पंजशीर में तालिबान के हमले में अहमद मसूद के करीबियों की मौत !

तालिबान ने बातचीत फेल होने का ठीकरा रेसिस्टेंस फ्रंट के सिर फोड़ा…

पंजशीर में तालिबान के हमले में अहमद मसूद के करीबियों की मौत !

काबुल। अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान और नॉर्दर्न अलायंस की तरफ से अपने अपने दावे किए जा रहे हैं. लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक तालिबान के खिलाफ लड़ाई में रेसिस्टेंस फ्रंट को बड़ा झटका लगा है. हमले में रेसिस्टेंट फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दश्ती की मौत हो गई है. हमले में जनरल अब्दुल वुदूद जारा की भी मौत हो गई है. रेसिस्टेंस फोर्स ने खुद ट्वीट करते हुए जानकारी दी, ''दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि दमन और आक्रमण के खिलाफ जारी पवित्र लड़ाई में हमने अफगानिस्तान रेसिस्टेंस के दो साथियों को खो दिया. रेसिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दश्ती और अहमद शाह मसूद के भतीजे जनरल अब्दुल वुदूद शहीद हो गए हैं.'' फहीम दश्ती की मौत रेसिस्टेंट फ्रंट के लिए बड़ा झटका है क्योंकि प्रवक्ता होने के साथ साथ वो अहमद मसूद के काफी करीबी थे. अहमद मसूद और उसके पिता अहमद शाह मसूद के बेहद करीबी रहे फहीद दश्ती की मौत के बाद पंजशीर में एक तरफ शांति की आवाज उठ रही है वहीं कुछ ऐसे नेता भी हैं जो खून के बदले की बात कर रहे हैं. 

फहीम दश्ती की मौत पूरे अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान को पानी पिलाने वाले पंजशीर के नेता अहमद मसूद के लिए बड़ा झटका है. फहीम दश्ती को अहमद मसूद और उसके पिता अहमद शाह मसूद का बेहद करीबी माना जाता था. 9/11  के दो दिन बाद जिस आतंकी हमले में अहमद शाह मसूद की मौत हुई थी तब फहीम दश्ती भी उनके साथ थे. उस हमले में फहीम दश्ती करीब 90% तक जल गए थे. तालिबान के साथ जारी ताजा तकरार में भी फहीम दश्ती खुलकर लोहा ले रहे थे. दश्ती की मौत रेसिस्टेंस फ्रंट के लिए ऐसा बड़ा नुकसान है जिसकी भरपाई संभव नहीं है. इस बीच अफगानिस्तान के पत्रकार बिलाल सरवरी ने दावा किया है कि गनी सरकार में उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह के घर पर हेलिकॉप्टर से हमला हुआ है. 

इसके बाद अमरुल्ला सालेह को पंजशीर में ही किसी अज्ञात जगह छिपना पड़ा है. पत्रकार बिलाल सरवरी का दावा है कि उन्हें ये जानकारी सालेह के करीबी ने दी है. ये भी पता नहीं है कि वो अफगानिस्तान में ही हैं या दूसरे देश चले गए हैं. वहीं अहमद मसूद ने एक बार फिर तालिबान से बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की पेशकश की है. अहमद मसूद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बातचीत के जरिए विवाद के हल की बात कही है ताकि आगे पंजशीर में  कम से कम नुकसान हो. ऐसा माना जा रहा है कि दश्ती और अब्दुल वुदूद की मौत के बाद अब अहमद मसूद और ज्यादा नुकसान नहीं चाहते हों इसलिए बातचीत की पहल की पेशकश कर रहे हैं. रेसिस्टेंस फ्रंट के विदेशी मामलों के प्रमुख अली मैसम नजारी के तेवर तालिबान के लिए अब भी तल्ख हैं. दश्ती और वुदूदी की मौत पर नजारी ने ट्वीट करते हुए तालिबान पर अपनी भड़ास निकाली है.  

नजारी ने लिखा, ''तालिबान पूरे अफगानिस्तान और खासकर पंजशीर में जो कर रहा है उससे सामाजिक खाई और गहरी होगी जिसकी भरपाई में दशकों लगेंगे. उनके पास मौका था, हमने उन्हें आजादी और एक अफगानिस्तान बनाने का मौका दिया लेकिन उन्होंने गलत फैसला लिया.'' वहीं तालिबान बातचीत फेल होने का ठीकरा रेसिस्टेंस फ्रंट के सिर फोड़ रहा है. तालिबानी नेता अहमदुल्ला वासिक ने चीनी मीडिया से बात करते हुए बयान दिया है कि पंजशीर अफगानिस्तान का हिस्सा है. विरोध करने वालों से हमने शांतिपूर्ण तरीके से हमारे साथ शामिल होने की पेशकश की लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया. हमारा मकसद है कि स्थानीय लोगों को नुकसान ना हो. चूंकि बातचीत फेल हो गई है इसलिए हमारे पास सैन्य कार्रवाई के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है.

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