G News 24 : भारत के पास है विश्‍व का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार !

 4 अरब डॉलर बढ़ा देश का खजाना, फिर ऑल टाइम हाई पर पहुंचा...

भारत के पास है विश्‍व का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार !

भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार अरब डॉलर उछलकर 670.86 अरब डॉलर के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

22 देशों की तरफ से अभी तक भारत के साथ कारोबार का भुगतान रूपये में करने की इच्छा जताई गई है। इन 22 देशों के बैंकों ने भारतीय बैंकों में रुपये के भुगतान के लिए आवश्यक वोस्ट्रो खाता भी खोल रखा है। अगले कुछ महीनों में पांच-छह देशों के बैंक भी उक्त खाता खोलने की प्रक्रिया में हैं।


  1. ■  देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।
  2. ■  पिछले महीने ही भारत के सॉवरन डेट बॉण्ड (Sovereign Debt Bond) को जेपी र्मोन चेज एंड कंपनी (JPMorgan Chase & Co.) के इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में शामिल किया गया था। इसके बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ ही रहा है।
  3. ■  बीते 19 जुलाई 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से $4.003 billion की बढ़ोतरी हुई है। अब अपना भंडार 670.857 बिलियन डॉलर का हो गया है।
  4. ■  साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ।
  5. ■  2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा।
  6. ■  2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।
  7. ■  वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला।
  8. ■  जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है।
  9. ■  जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है।

भारत दुनिया का चौथा सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है।

  1. ◆ चीन: 3400 अरब डॉलर
  2. ◆ जापान: 1254 अरब डॉलर
  3. ◆ स्विट्ज़रलैंड: 912 अरब डॉलर
  4. ◆ भारत: 670.86 अरब डॉलर
  5. ◆ रूस: 585 अरब डॉलर

G News 24 : मां -परिवार को छोड़ सकता हूं, खालिस्तान की मांग नहीं छोडूंगा:अमृतपाल सिंह !

 शपथ लेने के बाद उनकी मां ने कहा था कि उनका बेटा (अमृतपाल) खालिस्तानी समर्थक नहीं हैं...

मां-परिवार को छोड़ सकता हूं, खालिस्तान की मांग नहीं छोडूंगा:अमृतपाल सिंह !

लोकसभा का सांसद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का एक बयान इन दिनों खूब चर्चा में है, यह बयान अमृतपाल सिंह ले सांसद की शपथ लेने के बाद दिया है. जिसमें मां ने कुछ बातें अपने बेटे के लिए कही थी. लोकसभा के सांसद के तौर पर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने शपथ ले ली है. शपथ लेने के बाद उन्हें फिर से असम की डिब्रूगढ़ जेल वापस भेज दिया गया है. अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने लोकसभा सांसद की शपथ लेने के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक बयान जारी किया है. उन्होंने अपनी मां के बयान से खुद को अलग करते हुए पोस्ट में कहा 'जब मुझे आज मां द्वारा कल दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा दिल बहुत दुखी हुआ. बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान सच है."

मां के बयान पर जताया दुख

अमृतपाल सिंह ने अपने पोस्ट में लिखा कि आज जब मुझे मां द्वारा दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ. बेशक, मुझे यकीन है कि यह बयान मां ने अनजाने में दिया होगा, लेकिन फिर भी ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरफ से नहीं आना चाहिए. खालसा राज्य का ख्वाब देखना कोई गुनाह नहीं, गर्व की बात है. जिस रास्ते के लिए लाखों सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है, उससे पीछे हटने का हम ख्वाब में भी नहीं देख सकते.

परिवार को छोड़ दूंगा

अमृतपाल ने आगे कहा, "मैंने मंच से बोलते हुए कई बार कहा है कि अगर मुझे पंथ और परिवार में से किसी एक को चुनना पड़े, तो मैं हमेशा पंथ को ही चुनूंगा. अमृतपाल सिंह ने अपने पोस्ट में कहा, "मैंने इसके लिए अपने परिवार को कभी नहीं डांटा. सिख राज्य पर समझौते के बारे में सोचना भी अस्वीकार्य है और उम्मीद है कि आगे यह गलती दोहराई जाएगी.

जेल से दिल्ली सांसद की ली शपथ

पंजाब के खडूर साहिब सीट से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह को (5 जुलाई) को लोकसभा के सदस्य के तौर पर शपथ दिलाई गई. लोकसभा सांसद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल को शपथ दिलाने के लिए असम के डिब्रूगढ़ जेल से दिल्ली लाया गया था. शपथ लेने के बाद उन्हें फिर से दिल्ली से डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया है.  खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की शपथ के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए थे. अमृतपाल सिंह को हवाई जहाज से असम से सीधे नई दिल्ली लाया गया था. इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा सदस्य के रूप में उन्हें शपथ दिलाई थी. 

मां ने क्या दिया था बयान

जेल में बंद अमृतपाल सिंह के लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद उनकी मां ने कहा था कि उनका बेटा (अमृतपाल) खालिस्तानी समर्थक नहीं हैं. युवाओं के पक्ष में बोलने से वह "खालिस्तानी समर्थक" नहीं बन जाता. क्या पंजाब के बारे में बोलना, पंजाब के युवाओं को बचाना उन्हें खालिस्तानी समर्थक बनाता है? उन्होंने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा और अब उन्हें (खालिस्तानी समर्थक) नहीं कहा जाना चाहिए.

मां बेटे के सांसद बनने पर खुश

अमृतपाल सिंह की मां ने अपने बेटे के सांसद बनने पर खुशी जाहिर की थी. उनका कहना था कि उनके बेटे को जून में ही शपथ की इजाजत मिलनी चाहिए थी.  अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने कहा, ''मैं सभी समर्थकों का आभार जताती हूं. उन्हें दूसरे सांसदों की तरह जून में ही लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ की इजाजत दी जानी चाहिए थी. लोकसभा सांसद के रूप में शपथ लेने पर उनके समर्थक बेहद खुश हैं. मैं उसे जेल से रिहा करने की अपील करती हूं.'' अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने भी कहा कि जनता हमारे बेटे से प्यार करती है और वह चाहती है कि उन्हें जेल से रिहा किया जाए ताकि वे अपनी जिम्मेदारी निभा सकें.

शर्तों  के साथ मिली थी अमृतपाल को पैरोल, असम की जेल में बद

'वारिश पंजाब दे' के चीफ अमृतपाल को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था. अमृतपाल बीते एक साल से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. खडूर साहिब के सांसद को चार दिन की पैरोल दी गई है. अमृतपाल को शर्तों के साथ पैरोल दी गई, जिसके तहत वह सार्वजनिक बयान नहीं दे सकते. साथ ही किसी भी तरह की मीडिया कवरेज पर भी प्रतिबंध है.

अमृतपाल और उनके नौ साथियों पर पुलिसकर्मियों पर हमले आरोप हैं. सभी पर एनएसए लगाया गया है. वे सभी असम की जेल में बंद हैं. अमृतपाल ने जेल में रहते हुए ही लोकसभा का चुनाव जीता है. उन्होंने कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को हराया था. 

G News 24 : देश के प्रधानमंत्री से पुलिस ने मांगी 35 रुपए की रिश्वत !

 उसके बाद पूरा पुलिस थाना हो गया सस्पेंड ...

देश के प्रधानमंत्री से पुलिस ने मांगी 35 रुपए की रिश्वत !

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की आज पुण्यतिथि है। वह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक पीएम पद पर रहे। उनसे जुड़ा एक मशहूर खबर है, कि जब एक थाने में पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न चौधरी चरण सिंह से पुलिसकर्मियों ने 35 रुपए की रिश्वत मांगी थी और फिर पूरा थाना सस्पेंड हो गया।

ये वाकया साल 1979 का है। यूपी के इटावा जिले के उसराहार थाने में एक किसान पहुंचा और पुलिसकर्मियों से कहा कि वह मेरठ से अपने रिश्तेदार के यहां बैल खरीदने आया है। इस दौरान रास्ते में उसकी जेब कट गई और पैसे चुरा लिए गए। इसकी शिकायत दर्ज कर लीजिए।

इस पर पुलिसकर्मियों ने किसान से ऊल-जलूल सवाल करने शुरु कर दिए और बाद में एक कांस्टेबल ने शिकायत लिखने से मना कर दिया। कांस्टेबल के मना करने पर किसान मायूस हो गया। इसी दौरान एक सिपाही ने कहा कि अगर कुछ रिश्वत मिल जाए तो काम हो सकता है।

किसान ने रिश्वत देने की बात मान ली और 100 रुपए की रिश्वत पर मोलभाव करते-करते 35 रुपए में बात तय हुई। इसके बाद मुंशी ने उनकी शिकायत लिख ली। मुंशी ने किसान से पूछा कि आप हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे। इस पर किसान ने अपनी जेब से एक मुहर और कलम निकाली और मुहर से कागज पर ठप्पा लगा दिया। उस मुहर की छाप को पढ़कर मुंशी दंग रह गया। कागज पर जो मुहर लगी थी वह 'प्रधानमंत्री भारत सरकार' की थी।

इसके बाद पूरे थाने में हंगामा हो गया कि देश के पीएम चरण सिंह किसान बनकर अपनी शिकायत लिखवाने आए थे और पुलिसकर्मियों ने उनसे ही रिश्वत मांग ली। इस घटना के बाद पूरा थाना सस्पेंड हो गया था।

G News 24 : खास है 10 मई 1857 की वो तारीख,जब मेरठ छावनी मेंभारतीय सिपाहियों ने कर दी थी बगावत !

इतिहास के झरोखे से आजादी की पहली लड़ाई की पूरी टाइमलाइन

खास है 10 मई 1857 की वो तारीख,जब मेरठ छावनी मेंभारतीय सिपाहियों ने कर दी थी बगावत !

भारत में पहली बार 1857 में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 10 मई को मेरठ की छावनी में तैनात भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी थी. ये बगावत धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत में फैल गई. इस विद्रोह के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन खत्म हो गया और भारत की सेना में भी बड़े बदलाव किए गए. 1857 का विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का पहला कदम और आजादी के लिए फूटी पहली चिंगारी माना जाता है. इसके बाद यह आग पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैल गई. विद्रोह के मुख्य केंद्र दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झांसी और ग्वालियर थे. एक साल से ज्यादा अंग्रेज अपना राज बचाने के लिए लड़ते रहे. इस लड़ाई में काफी खून-खराबा हुआ और दोनों तरफ से अत्याचार किए गए.  दिल्ली विद्रोह का केंद्र बन गया. अंग्रेजों से पहले दिल्ली पर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर राज करते थे. मेरठ से आए बागी सिपाही मुगल बादशाह से मदद और नेतृत्व मांगने पहुंच गए. बहादुर शाह जफर ने अनमने ढंग से ही सही, लेकिन फिर भी उनकी मदद करने के लिए हां कर दी.

10 मई 1857 जब धधक उठी थीं क्रांति की मशालें

1857 का विद्रोह एक ही वजह से नहीं हुआ, बल्कि बहुत सी छोटी-छोटी वजह थी जिसने समय के साथ गुस्से का रूप ले लिया. उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में ज्यादातर भारतीय सिपाही होते थे. 1857 से पहले फौज में करीब 3 लाख सिपाही थे, जबकि अंग्रेज सैनिक सिर्फ 50,000 के करीब थे. कंपनी की फौज तीन हिस्सों में बंटी थी- बॉम्बे, मद्रास और बंगाल. बंगाल की फौज में ज्यादातर ऊंची जाति के लोग था. जैसे ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार होते थे. ये लोग खासकर अवध और बिहार इलाके से भर्ती किए जाते थे. 1855 में तो कंपनी ने और भी सख्ती कर दी, जिससे निचली जाति के लोगों को फौज में शामिल होना और भी मुश्किल हो गया. मद्रास और बॉम्बे की फौजों में ऐसा नहीं था, वहां किसी भी जाति का आदमी शामिल हो सकता था. बंगाल की फौज में ऊंची जाति के लोगों के ज्यादा होने को 1857 के विद्रोह की शुरुआत का एक कारण माना जाता है.   

 1856 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध को अपने राज में मिला लिया. इससे वहां के सिपाहियों को दो तरह की परेशानी हुई. पहली ये कि अवध के दरबार में ऊंची जाति के होने के नाते उन्हें मिलने वाले फायदे खत्म हो गए. दूसरी ये कि उन्हें डर था कि अब जमीन का लगान (टैक्स) बढ़ जाएगा. इसके अलावा ईस्ट इंडिया कंपनी युद्ध जीतकर नए इलाके अपने अधीन करने के बाद अपने शासन का दायरा बढ़ाती जा रही थी. इसकी वजह से सिपाहियों को न सिर्फ उन अनजान इलाकों (जैसे बर्मा) में लड़ना पड़ता था, बल्कि पहले मिलने वाला 'विदेशी सेवा' का अतिरिक्त पैसा भी बंद कर दिया गया.

एक ऐसा कानून जिससे सिपाहियों में बढ़ गया गुस्सा

1857 के विद्रोह से 10 महीने पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक ऐसा कानून बनाया जिससे सिपाहियों में गुस्सा बढ़ गया. ये कानून 25 जुलाई 1856 का 'जनरल सर्विस एनलिस्टमेंट Sएक्ट' था. पहले बंगाल आर्मी के सिपाहियों को विदेशी जंगों में नहीं लड़ना पड़ता था. उन्हें सिर्फ उन्हीं इलाकों में लड़ना होता था जहां तक वो पैदल चलकर जा सकते थे. लेकिन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौसी को ये गलत लगता था. लॉर्ड कैनिंग (डलहौसी के बाद गवर्नर जनरल बने) ने ये कानून लागू कर दिया. इस कानून के मुताबिक सिर्फ नई भर्ती होने वाले सिपाहियों को ही विदेशी जंगों में लड़ना होता था. लेकिन बंगाल आर्मी के ऊंची जाति के सिपाहियों को डर था कि ये कानून उन पर भी लागू हो जाएगा. साथ ही उन्हें ये भी चिंता थी कि उनके बेटे अब उनके नक्शे कदम पर चलकर फौज में शामिल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि अब फौज में परंपरागत रूप से बाप-बेटे साथ नहीं रह पाएंगे.  

आखिरी चिंगारी ने फोड़ दिया विद्रोह का गुब्बारा

1857 के विद्रोह की आखिरी वजह एक बंदूक की कारतूस थी. ये नई बंदूक थी जिसका नाम 'एनफील्ड पैटर्न 1853 राइफल' था. इसमें पहले वाली बंदूकों से अलग कारतूस इस्तेमाल होते थे. इन कारतूसों को चलाने से पहले सिपाहियों को अपने दांतों से कागज (ग्रीस लगे हुए) काटना पड़ता था. कारतूस को खोलने के लिए सिपाहियों को उसे मुंह से काटना पड़ता था. जनवरी में अफवाह फैल गई कि इस ग्रीज में गाय की (जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है) और सुअर की (जो मुस्लिम धर्म में निषेध है) चर्बी लगी हुई है. 

ईस्ट इंडिया कंपनी के बड़े अफसरों तक भी ये अफवाह पहुंच गई. उन्होंने ये कारतूस बनाना बंद कर दिया, ये उम्मीद करते हुए कि इससे विद्रोह की आशंका कम हो जाएगी. कंपनी ने नए कारतूस में थोड़ा बदलाव कर दिया. अब कारतूस दांतों से काटने की बजाय हाथ से फौड़े जाते थे. लेकिन इस बदलाव का भी उल्टा असर हुआ. सिपाहियों को अब पक्का यकीन हो गया कि अफवाहें सच थीं. इसके बाद अफवाह ये भी उड़ी कि नए कारतूसों के कागज पर भी वही ग्रीस लगा है. फरवरी में इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई. कुछ सिपाहियों को गवाही देने के लिए बुलाया गया. उन्होंने बताया कि नया कागज सख्त है और फाड़ने में मुश्किल होती है. जलाने पर उसमें से ग्रीस जैसी गंध आती है. 

इसके बाद 24 अप्रैल 1857 को लेफ्टिनेंट कर्नल जॉर्ज कारमाइकल-स्माइथ (जो तीसरी बंगाल लाइट कैवेलरी के कमांडिंग ऑफिसर थे) ने बहुत बेरुखी दिखाई. उन्होंने 90 सैनिकों को परेड पर बुलाया और उनको फायरिंग ड्रिल करने के लिए कहा. इन 90 में से 85 सिपाहियों ने कारतूस लेने से मना कर दिया. फिर 9 मई को इन 85 सैनिकों पर कोर्ट मार्शल किया गया. उनमें से ज्यादातर को 10 साल की कैद और साथ में मजदूरी की सजा सुनाई गई. इसके बाद पूरी गैरीसन की परेड बुलाई गई. सजा पाने वाले सैनिकों की सबके सामने वर्दी उतारी गई. अगले दिन रविवार था. बहुत से अंग्रेज सैनिक ड्यूटी पर नहीं थे. मौका देखकर मेरठ में बहुत से भारतीय सिपाहियों ने विद्रोह छेड़ दिया. बीच में आने वाले सभी अंग्रेज अफसरों को विद्रोहियों ने मार डाला. धीरे-धीरे पूरे शहर में कई जगहों पर दंगा भड़क गया. 

विद्रोह में शामिल  थे नाना साहेब

सितंबर के आखिरी तक अंग्रेजों ने आखिरकार दिल्ली को वापस जीत लिया, लेकिन ये विद्रोह अभी उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में जारी था. दिल्ली जीतने के बाद अंग्रेजों की सेना ने कानपुर की ओर रुख किया, जहां काफी समय से विद्रोह चल रहा था. 1857-58 के भारतीय विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक नाना साहब थे. हालांकि उन्होंने विद्रोह की शुरुआत नहीं की थी. उन्हें 1827 में मराठा साम्राज्य के आखिरी पेशवा बाजीराव द्वितीय ने गोद लिया था. बाजीराव की मृत्यु के बाद नाना साहब को विरासत में काफी संपत्ति मिली, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें मिलने वाली पेंशन बंद कर दी. साथ ही लंदन से उनके दूत को भी खाली हाथ लौटना पड़ा. इस सबने और सिपाहियों की असंतुष्टि के कारण नाना साहब जून 1857 में कानपुर में विद्रोही सिपाहियों के साथ शामिल हो गए थे. उन्होंने विद्रोह से पहले अंग्रेजों के कमांडर जनरल व्हीलर को एक चिट्ठी भेजकर हमले की चेतावनी दी थी.

विद्रोह के बाद उन्होंने अंग्रेजों की मदद करने से इनकार कर दिया. नाना साहब को ज्यादा सैन्य जानकारी नहीं थी, लेकिन ग्वालियर पर कब्जा करने के बाद विद्रोही नेता तात्या टोपे ने उन्हें जुलाई 1857 में पेशवा घोषित कर दिया था. मगर अंग्रेज जनरलों हेन्री हेवॉक और कॉलिन कैंपबेल ने उन्हें हरा दिया. इसके बाद नाना साहब नेपाल की पहाड़ियों में चले गए और वहीं उनकी मृत्यु हो जाने की संभावना है.

G News 24 : "चुनाव आयोग ने मुझे महिला बताया है तो मैंने सोचा कि इसका अच्छे से पालन करूं"

 मतदाता सूची में गलती से राजेंद्र को एक महिला दर्शा दिया गया था...

 "चुनाव आयोग ने मुझे महिला बताया है तो मैंने सोचा कि इसका अच्छे से पालन करूं"

 

केरल । लोकसभा चुनाव 2024 में दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है। उम्मीदवारों ने पांचवें चरण के मतदान के लिए नामांकन करना भी शुरू कर दिया है। इस बीच केरल के राजेंद्र प्रसाद चर्चा में बने हुए हैं। शुक्रवार को कोल्लम सीट के 78 वर्षीय बुजुर्ग जब वोट डालने पहुंचे तो उन्हें देखने वाला हर इंसान हैरान रह गया।

इझुकोन के सरकारी स्कूल में मतदान के लिए राजेंद्र प्रसाद ने अपने पड़ोस में रहने वाली महिला से मैक्सी मांगी। उसी से शॉल, हार और झुमके भी लिए। यह सब पहनने के बाद उन्होंने धूप से बचाने वाला चश्मा लगाया और मतदान करने पहुंच गए। न्यूज वेबसाइट मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक राजेंद्र हाथ में भारत के संविधान की एक कॉपी लेकर मतदान केंद्र पर पहुंचे

जब राजेंद्र प्रसाद इस हाल में मतदान करने पहुंचे तो सभी उनकी तरफ ही देखते रह गए। वह पंचायत के रिटायर्ड लाइब्रेरियन हैं और अकेले ही रहते हैं। ऐसे में उनकी वेशभूषा किसी को समझ नहीं आ रही थी। मतदान अधिकारी भी थोड़े हैरान थे, लेकिन जब प्रसाद ने अपने दस्तावेज दिखाए को अधिकारियों ने उन्हें वोट डालने की अनुमति दे दी।

मतदाता सूची में गलती से राजेंद्र को एक महिला दर्शा दिया गया था। उनकी मतदाता पर्ची में भी उन्हें महिला दिखाया गया था। इसी वजह से विरोध के रूप में उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने कहा "चुनाव आयोग ने मुझे महिला बताया है तो मैंने सोचा कि इसका अच्छे से पालन करूं।" शुक्रवार को केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा हो गया। केरल के साथ राजस्थान में भी मतदान खत्म हो चुका है। हालांकि, मणिपुर की कुछ सीटों पर दोबारा मतदान होना है। यहां मतदान के दौरान हिंसा के चलते चौथी बार मतदान की तारीख तय की गई है। इससे पहले 19 अप्रैल, 23 अप्रैल और 26 अप्रैल को यहां मतदान हो चुका है।

G News 24 : लोकसभा चुनाव का टिकट पाने के लिए 55 की उम्र में की शादी !

आपराधिक इतिहास से कारण नहीं मिल रहा था टिकट तो अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने के लिए... 

लोकसभा चुनाव का टिकट पाने के लिए 55 की उम्र में की शादी !

लोकसभा चुनाव शुरू होने में अब काफी कम समय बाकी रह गया है। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस चुनाव के लिहाज से 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार का भी अहम रोल है। ऐसे समय में बिहार से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां लोकसभा का टिकट पाने के लिए कुख्यात बाहुबली अशोक महतो ने 55 साल की उम्र में शादी रचा ली है। आपको बता दें कि बिहार की राजनीति में आपराधिक चेहरे काफी लंबे समय से जुड़े रहे हैं। आइए जानते हैं इस मामले के बारे में।

अशोक महतो ने रचाई शादी

बिहार के कुख्यात बाहुबली अशोक महतो ने 55 साल की उम्र मे दिल्ली की एक लड़की से कल मंगलवार को आनन-फानन मे शादी कर ली है। अशोक महतो की शादी का मकसद मुंगेर से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना बताया जा रहा है। बता दें कि इस सीट से अभी जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह सांसद हैं। शादी करने के लिए अशोक महतो कल 50 गाड़ियों के काफिले के साथ पटना के जगदंबा स्थान के मंदिर में पहुंचे थे।

महतो ने जिस लड़की से शादी की है उसका नाम कुमारी अनिता है

कुख्यात बाहुबली अशोक महतो ने जिस लड़की से शादी की है उसका नाम कुमारी अनिता है। वह 46 साल की है और दिल्ली के आरके पुरम की रहने वाली है। मंगलवार को पटना जिले के सलेमपुर थाना क्षेत्र के करौटा में मां जगदंबा स्थान मंदिर में उसकी शादी हुई है। अशोक महतो की शादी में परिवार के लोगों के साथ-साथ कई समर्थक भी शामिल हुए थे। 

RJD से टिकट की आस

अशोक महतो बिहार की मुंगेर सीट से RJD के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि,  नवादा के पकरीबरावां के रहने वाले अशोक महतो का आपराधिक इतिहास रहा है। ऐसी स्थिति में अगर टिकट न मिले तो वह पत्नी को मैदान मे उतारने की सोच रहे हैं। अशोक का अभी सिर्फ इतना ही कहना है कि लालू यादव जब नाम का एलान कर देंगे तब बाकी चीजों की जानकारी दी जाएगी। 

G News 24 : आठ लेन और सिंगल पिलर पर नौ किमी तक एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे है कुछ खास !

 9000 करोड़ की लागत से बना  हैं द्वारका एक्सप्रेस-वे ...

आठ लेन और सिंगल पिलर पर नौ किमी तक एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे  है कुछ खास !

गुरुग्राम। दिल्ली-हरियाणा के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले द्वारका एक्सप्रेस-वे की सौगात देने जा रहे हैं। करीब नौ हजार करोड़ की लागत से बन रहे द्वारका एक्सप्रेसवे की सौगात मिलेगी। कुल 29.5 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे में से 19 किलोमीटर का हिस्सा गुरुग्राम से होकर गुजरता है। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए गुरु द्रोण की धरा गुरुग्राम पूरी तरह से तैयार है। 11 मार्च को उद्घाटन समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बसई रोड पर रोड शो कर क्षेत्र की जनता का अभिवादन स्वीकार करेंगे। इस कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह मौजूद रहेंगे। उद्घाटन समारोह स्थल में 36 सेक्टर बनाए गए हैं। इसके अलावा आठ पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।

नौ हजार करोड़ से बन रहा है द्वारका एक्सप्रेसवे

करीब नौ हजार करोड़ की लागत से बन रहे द्वारका एक्सप्रेसवे की सौगात मिलेगी। कुल 29.5 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे में से 19 किलोमीटर हिस्सा गुरुग्राम से होकर गुजरता है। इसे अंतिम रूप देने के लिए एनएचएआई के अधिकारी सुधार और सौंदर्यीकरण के कार्यों में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार चुनावी मोड में सरकार आचार संहिता से पहले द्वारका एक्सप्रेसवे के गुरुग्राम क्षेत्र में पड़ने वाले 19 किलोमीटर के हिस्से को जनता को समर्पित करेगी। दिल्ली में करीब नौ किलोमीटर पैच का काम जून माह तक पूरा होने की संभावना है।

चार हिस्सों में विभाजित है एक्सप्रेसवे

एक्सप्रेसवे को चार हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें पहला हिस्सा महिपालपुर के पास शिव मूर्ति से द्वारका तक जोड़ता है। दूसरा द्वारका अर्बन एक्सटेंशन रोड (यूईआर) से बजघेरा तक जोड़ता है। तीसरा हिस्सा बजघेरा से बसई रेल ओवरब्रिज (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) है। चौथा हिस्सा बसई आरओबी से खेड़की दौला तक है। इसमें गुरुग्राम में पड़ने वाले राजमार्ग के हिस्से में क्लोवरलीफ इंटरचेंज शामिल है, यह दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस वे (एनएच -48) और खेड़की दौला के पास दक्षिणी पेरिफेरल रोड (एसपीआर) को जोड़ेगा।

आईजीआई एयरपोर्ट के बीच कनेक्टिविटी होगी बेहतर

राव ने कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे एक्सप्रेसवे के आरंभ होने से गुरुग्राम और दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी। साथ ही इस परियोजना में सड़क परिवहन की चार श्रेणी जोकि टनल, अंडरपास, फ्लाईओवर तथा फ्लाईओवर के ऊपर फ्लाईओवर होंगे।

हरियाणा वाले हिस्से में इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 18.9 किलोमीटर तथा दिल्ली वाले क्षेत्र में 10.1 किलोमीटर है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम के निवासियों के लिए सरकार की यह एक बड़ी सौगात है। इस एक्सप्रेसवे के आरंभ होने से न केवल गुरुग्राम बल्कि एनसीआर क्षेत्र में सड़कों के ढांचागत तंत्र को नया विस्तार मिलेगा। जिसका लाभ इस क्षेत्र के नए सेक्टरों में रहने वाले लोगों को भी होगा।

पहला 8 लेन का एलिवेटेड एक्सप्रेसवे

लगभग 9000 करोड़ रुपये की लागत से देश का पहला 8 लेन का एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है। जिसमें 9 किलोमीटर लंबाई में सिंगल पिलर पर आठ लेन का 34 मीटर चौड़ा एलिवेटेड रोड भी है जोकि देश में अपनी तरह का पहला एलिवेटेड रोड है। हरियाणा में यह एक्सप्रेसवे पटौदी रोड (एसएच-26) में हरसरू के पास और फर्रुखनगर (एसएच-15 ए) में बसई के पास मिलेगा।

इसके अलावा यह दिल्ली-रेवाड़ी रेललाइन को गुरुग्राम के सेक्टर-88 (बी) के पास और भरथल में भी क्राॅस करेगा। एक्सप्रेसवे गुरुग्राम जिले में प्रस्तावित ग्लोबल सिटी के साथ-साथ सेक्टर - 88, 83, 84, 99, 113 को द्वारका सेक्टर-21 से जोड़ेगा।

दिल्ली-जयपुर हाईवे पर वाहनों का दबाव कम होगा

द्वारका एक्सप्रेसवे शुरू होने से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर वाहनों का दबाव कम होगा। अभी वाहनों के दबाव के कारण सरहौल बॉर्डर समेत खेड़कीदौला तक कई जगहों पर लोगों को रोजाना जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। द्वारका एक्सप्रेसवे खुलने से हाईवे पर वाहनों का दबाव कम होगा और लोगों को जाम से राहत मिलने की उम्मीद है।

G News 24 : भारत में मौत के बाद भी एक मुख्य्मंत्री पर पर लगा, 100 करोड़ का जुर्माना !

 कोर्ट के आदेश से 27 किलो सोने से होगी जुर्माने की भरपाई...

भारत में मौत के बाद भी एक मुख्य्मंत्री पर पर लगा,100 करोड़ का जुर्माना !

तमिलनाडु की दिवंगत सीएम जे जयललिता को भ्रष्टाचार के एक मामले में 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। अब बेंगलुरु की एक कोर्ट ने जुर्माने की भरपाई के लिए 27 किलो सोने के गहने राज्य सरकार को सौंपने का आदेश दिया है। चेन्नई: बेंगलुरु की 36वीं सिटी सिविल कोर्ट ने सोमवार को घोषणा की कि वह तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के 27 किलोग्राम सोने और हीरे के आभूषण इस साल 6 और 7 मार्च को उनके राज्य के गृह सचिव को सौंप देगी। उन पर लगाए गए 100 करोड़ रुपये के जुर्माने को जुटाने के लिए उनकी संपत्ति बेचने की अंतिम न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। भ्रष्टाचार के एक मामले में जयललिता को दोषी ठहराए जाने और चार साल की कैद की सजा सुनाए जाने के लगभग 10 साल बाद और उनकी मृत्यु के सात साल से अधिक समय बाद यह कदम उठाया गया है।

विशेष अदालत की मौजूदा कार्यवाही जयललिता की चल और अचल संपत्ति की नीलामी के लिए है। आभूषणों की नीलामी के बाद अदालत उसकी अचल संपत्ति को नीलामी में लाएगी। जुर्माना वसूलने के लिए जहां 20 किलो आभूषण बेचे या नीलाम किए जाएंगे, वहीं 7 किलो आभूषण से छूट दी जाएगी क्योंकि इसे उसकी मां से विरासत में मिला हुआ माना जाएगा। अपनी ओर से, कैनफिन होम्स लिमिटेड, जहां जयललिता का खाता था, ने सोमवार को बेंगलुरु की विशेष अदालत को लगभग 60 लाख रुपये सौंपे।

सोने और हीरे के आभूषण से होगी भरपाई

विशेष न्यायाधीश मोहन ने इस तथ्य को दर्ज करते हुए एक संक्षिप्त आदेश पारित किया कि उनके पहले निर्देश के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने 16 फरवरी को एक जीओ जारी किया था जिसमें राज्य के गृह सचिव और सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय (डीवीएसी) के एक पुलिस महानिरीक्षक को बेंगलुरु कोर्ट में आकर सोने और हीरे के आभूषण प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया था ।

न्यायाधीश ने कहा कि अधिकारियों को "इस अदालत से गहने इकट्ठा करने के लिए एक फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर और आवश्यक सुरक्षा के साथ छह बड़े ट्रंक" लाने होंगे। उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, सिटी सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया जाता है कि वे गहने तमिलनाडु राज्य को सौंपने के उद्देश्य से उन दो दिनों में स्थानीय पुलिस के साथ आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था करें।"

जयललिता पर लगा था 100 करोड़ का जुर्माना

बता दें कि सितंबर 2014 में, विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल डी'कुन्हा ने 1,136 पन्नों के फैसले में जयललिता, एन शशिकला, जे इलावरसी और वीएन सुधाकरन को दोषी ठहराया था और सभी को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई थी। जयललिता पर 100 करोड़ रुपये और बाकी तीनों पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई, 2015 को उन सभी को बरी कर दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी, 2017 को न्यायाधीश डी'कुन्हा के आदेश को बहाल कर दिया।  चूंकि तब तक जयललिता की मृत्यु हो चुकी थी, शीर्ष अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप समाप्त हो जाएंगे, मगर अन्य तीन को चार साल की सज़ा काटनी पड़ी और जुर्माना भरना पड़ा।

G News 24 : भारतीयों ने 27 हजार फुट की ऊंचाई से किये कैलाश पर्वत के दर्शन !

 नेपाल गंज से 38 भारतीयों को लेकर कैलाश मानसरोवर पहुंची फ्लाइट...

भारतीयों ने 27 हजार फुट की ऊंचाई से किये कैलाश मानसरोवर पर्वत के दर्शन !

काठमांडू।  नेपाल से एक फ्लाइट ने उड़ान भरकर कैलाश मानसरोवर तक का सफर तय किया और श्रद्धालुओं को पवित्र पर्वत के दर्शन कराए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपालगंज से सोमवार को 38 भारतीयों के साथ एक चार्टर्ड विमान ने कैलाश मानसरोवर के लिए उड़ान भरी, और यह इस तरह की पहली पर्वतीय उड़ान थी। कैलाश-मानसरोवर दर्शन उड़ान के नाम वाली यह विमान सेवा तीर्थस्थल कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का मनमोहक दृश्य दिखाती है। फ्लाइट में मौजूद यात्रियों ने कैलाश पर्वत का नजारा 27 हजार फुट की ऊंचाई से देखा।

फरवरी के पहले हफ्ते में होगी अगली चार्टर्ड फ्लाइट

बता दें कि इस सर्विस को सिद्धार्थ बिजनेस ग्रुप ने शुरू किया है। कंपनी के क्षेत्रीय निदेशक केशव न्यूपाने ने यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया, '38 भारतीय पर्यटकों के साथ श्री एयरलाइंस के इस चार्टर्ड विमान को यह यात्रा पूरी करने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगा।' इस पहली उड़ान में दिल्ली, मुंबई, गुजरात और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न भारतीय राज्यों से कई पर्यटक सवार हुए थे। न्यूपेन ने कहा, 'कैलाश पर्वत और मानसरोवर के लिए यह उड़ान सस्ती, तेज, विश्वसनीय और सुरक्षित है। अगली चार्टर्ड उड़ान फरवरी के पहले सप्ताह में होगी।'

अब श्रद्धालुओं को काठमांडू जाने की जरूरत नहीं

चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं की कैलाश मानसरोवर यात्रा पर कोविड के चलते बैन लगाया हुआ था, लेकिन नेपाल की इस उड़ान सेवा ने नई उम्मीदें जगा दी हैं। कोविड महामारी के पहेल लगभग 12 हजार यात्री हर साल नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर जाया करते थे। नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को पहले काठमांडू जाना पड़ता है, लेकिन अगर वे इस फ्लाइट को चुनते हैं तो उन्हें नेपाल की राजधानी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से नेपालगंज की दूरी मुश्किल से 200 किलोमीटर है और यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।

G News 24 : एंबुलेंस में जिस स्ट्रेचर पर मरीज लेटा था, उसके नीचे भरी थीं शराब बोतलें

 यमुना एक्सप्रेस-वे पर चेकिंग के दौरान एंबुलेंसअंदर ...

एंबुलेंस में जिस स्ट्रेचर पर मरीज लेटा था, उसके नीचे भरी थीं शराब बोतलें 

मथुरा के मांट थाना क्षेत्र के यमुना एक्सप्रेस-वे पर पुलिस और आबकारी विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से एक एंबुलेंस को मुखबिर की सूचना पर पकड़ा। चेकिंग के दौरान एक एंबुलेंस को रोका तो अंदर का नजारा देख पुलिस कर्मियों की आंखें फटी रह गई। एंबुलेंस में मरीज लेटा हुआ था। टीम को शक हुआ तो एंबुलेस की तलाशी लेना शुरू की गई। 

जिला आबकारी अधिकारी कुमार प्रभात चंद्र ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर गाड़ियों से अवैध शराब की तस्करी की सूचना मिल रही थी। बृहस्पतिवार दोपहर तीन बजे वे खुद मांट थाना क्षेत्र के एक्सप्रेस-वे पर पहुंचे। पुलिस के सहयोग से संदिग्ध गाड़ियों को रुकवाकर चेकिंग शुरू की। शाम पांच बजे करीब सायरन बजाते हुए एक एंबुलेंस आती दिखी। पुलिस को देख ड्राइवर ने एंबुलेंस को दूर सड़क किनारे खड़ा कर लघुशंका का बहाना किया। गतिविधि संदिग्ध लगने पर एंबुलेंस की ओर गए। एंबुलेंस में स्ट्रेचर पर सिर्फ रोगी लेटा था। 

परिजनों के बारे में पूछने पर ड्राइवर हड़बड़ा गया और खेत की तरफ भाग निकला। पुलिस व आबकारी टीम ने उसे दबोच लिया। एंबुलेंस की तलाशी ली तो उसमें से 81 बोतल शराब बरामद हुईं, जो कि बिहार ले जाई जा रही थीं। शराब तस्कर संदीप कुमार तिवारी निवासी मुजफ्फरपुर, बिहार एवं रोशन कुमार निवासी वैशाली, बिहार को गिरफ्तार किया गया है। एंबुलेंस में स्ट्रेचर के नीचे गुप्त स्थान बनाकर बोतलों को छिपाया गया था। 108 लीटर शराब की कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है। 

उप पुलिस ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों हरियाणा से अवैध शराब लेकर यूपी के कई जिलों के साथ बिहार में सप्लाई करते थे। एंबुलेंस में अवैध तस्करी करने का फायदा मिल रहा था। एंबुलेंस पर पुलिस व आबकारी टीम शक नहीं करती थी। दिखावे के लिए उसमें साथी शराब तस्कर को मरीज बनाकर लिटा दिया जाता था। इंस्पेक्टर के अनुसार आरोपियों के खिलाफ आबकारी विभाग की ओर से मिली तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

G News 24 : दूल्हा-दुल्हन ने डीजे बीट्स पर नाच-नाचकर मचा दी धमाचौकड़ी !

 दूल्हा-दुल्हन दोनों ही भूल गए कि ये उनकी ही शादी है... 

दूल्हा-दुल्हन ने डीजे बीट्स पर नाच-नाचकर मचा दी धमाचौकड़ी !

शादियों में इन दिनों दूल्हा और दुल्हन का डांस इतना जरूरी हो गया है कि, अगर दूल्हा-दुल्हन खुद की ही शादी में डांस न करें, तो लगता है जैसे कोई रस्म अधूरी रह गई हो. आजकल के लड़के-लड़कियां बिना शर्माए अपनी शादी में बेधड़क डांस करते हैं. दुल्हनों के लिए शादी के दिन एंट्री डांस करना तो इतना जरूरी हो गया है कि अगर वो डांस न कर पाएं तो उनके लिए शादी ही बेकार है. सोशल मीडिया पर आए दिन दूल्हा-दुल्हन के डांस के मजेदार और शानदार वीडियो वायरल होते रहते हैं. कुछ वीडियो तो इतने फनी होते हैं, जिन्हें देख हंसते-हंसते हमारे पेट में दर्द हो जाता है. ऐसा ही एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन का डांस देख आप भी लोटपोट हो जाएंगे.

वायरल हो रहे इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि दूल्हा-दुल्हन डीजे पर धमाकेदार डांस कर रहे हैं. बैकग्राउंड में हरियाणवी गाना बज रहा है और दोनों गाने पर मस्त होकर डांस किए जा रहे हैं. दोनों को देखकर ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा है कि इन दोनों की खुद की शादी है. दोनों बिना शर्माए अपने अपने स्टेप्स करने में मगन हैं. दोनों आसपास खड़े लोगों पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं और मस्ती में डांस किए जा रहे हैं. 

इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर नाम के यूजर ने शेयर किया है. वीडियो को अबतक 3 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. लोग वीडियो पर ढेरों कमेंट्स कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा- दुल्हन तो बड़ी खतरनाक डांसर है. दूसरे यूजर ने लिखा- इनको कोई बताओ, शादी भी इनकी ही हो रही है,भूल गये क्या. तीसरे ने लिखा- आजकल की दुल्हन में ज़रा भी शर्म नहीं बची है. इस वीडियो के बारे में आपका क्या कहना है? कमेंट करके बताइए.

G News 24 :भाजपा में विधानसभा का टिकट लेगा, 3 केंद्रीय मंत्रियों की अग्नि परीक्षा

 ये प्रमोशन है या डिमोशन, छोटा चुनाव बड़ा इम्तेहान !

भाजपा में विधानसभा का टिकट लेगा, 3 केंद्रीय मंत्रियों की अग्नि परीक्षा 

भोपाल। चुनाव लड़ाने वाले ये दिग्गज नेता जो केन्द्रीय मंत्री की जवाबदारी संभाल चुके हैं, इन केन्द्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव का कितना तजुर्बा है. केन्द्रीय मंत्रियों में वो कौन से नाम हैं जिनके लिए विधानसभा का ये चुनाव पहला है. प्रहलाद पटेल अपने राजनीतिक जीवन का पहला विधानसभा चुनाव केन्द्रीय मंत्री बन जाने के बाद नरसिंहपुर सीट से लड़ेंगे. पांच बार के सांसद रहे केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने केवल एक विधानसभा का चुनाव लड़ा है वो भी इसी निवास सीट से, तोमर तीस साल पहले पहली बार विधानसभा के मैदान में उतरे थे.

63 की उम्र में प्रहलाद पटेल लड़ेंगे पहला विधानसभा चुनाव:मंजिल तक का सफर तय करने के बाद किसी को लौटाया जाए और जहां से शुरू किया था फिर वहीं पहुंचे कहानी तो कैसा लगेगा. लोग समझ नहीं पा रहे है कि  ये प्रमोशन है या डिमोशन, छोटा चुनाव बड़ा इम्तेहान ! लेकिन, केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के मामले में तो ये भी नहीं है. प्रहलाद पटेल अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. प्रहलाद पटेल ने 1989 में लोकसभा का पहला चुनाव जीता था. प्रहलाद पटेल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी केन्द्रीय मंत्री बने. पांच बार के सांसद प्रहलाद पटेल ने अपने पूरे राजनीतिक कैरियर में एक बार भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा.

कुलस्ते का निवास विधानसभा कनेक्शन:उधर,केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते अपने पूरे राजनीतिक कैरियर में एक ही विधानसभा चुनाव लड़े हैं. वो भी इसी निवास सीट से. 1990 में निवास सीट से कुलस्ते ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था, लेकिन उसके बाद लगातार वे लोकसभा में ही अपने कदम जमाए रहे. मंडला लोकसभा सीट से पांच बार के लगातार सांसद रहे कुलस्ते अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी राज्य मंत्री रहे हैं.

तोमर ने 30 साल पहले लड़ा था पहला विधानसभा चुनाव:केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के मुकाबले ज्यादा विधानसभा चुनाव लड़े हैं. तोमर ने 1993 में पहला विधआनसभा का चुनाव लड़ा था, फिर उसके बाद 1998 और 2003 में भी चुनाव लड़ा और 2003 में उमा भारती सरकार में मंत्री भी बने. 2009 से लगातार फिर सांसद और केन्द्रीय मंत्री बनें. तोमर ने तीस साल पहले अपने राजनीतिक जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था.

G News 24 :जब मां नहीं रहती तो बेटी के साथ मायके में अमूमन ऐसा ही व्यवहार होता है !


अब मां नहीं है ना इसलिए इस प्रकार का  व्यवहार ...

                जब मां नहीं रहती तो बेटी के साथ मायके में अमूमन ऐसा ही व्यवहार होता है !

G News 24 : देश की 450 बेटियों ने एक साथ रचाया भगवान शिव से विवाह !

 

पीएचडी, इंजीनियरिंग, एमटेक, एमएससी कर चुकीं 450 बेटियां एक साथ बनीं ब्रह्माकुमारी

देश की 450 बेटियों  ने एक साथ रचाया  भगवान शिव से विवाह !



G News 24 : भारत के पांच ऐसे मंदिर जो एक रात में बनकर हुए थे तैयार !

 हर मंदिर की अपनी रचना से जुड़ी अपनी कहानी है…

भारत के पांच ऐसे मंदिर जो एक रात में बनकर हुए थे तैयार !


हमारे देश में आपने कई मंदिर देखे होंगे, जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इनमें से कई सैकड़ों साल पुराने हैं और हर मंदिर की अपनी रचना से जुड़ी अपनी कहानी है। आज हम आपको कुछ ऐसा ही बताने जा रहे हैं, जो एक ही रात में बन गया। इन्हें बनाने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है, आइए आपको बताते हैं इन मंदिरों के बारे में।

काकनमठो - मध्य प्रदेश के मोराइनों के बीच बने इस प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण के पीछे एक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण शिव भक्तों- भूतों ने रातों-रात करवाया था। इसके अलावा, यह मंदिर मोर्टार या सीमेंट का उपयोग किए बिना बनाया गया था।


गोविंद देव जी मंदिर - मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है और स्थानीय लोगों का मानना ??है कि इसे रातों-रात बनाया गया था। इसके अतिरिक्त, लोगों का मानना ??है कि यह संरचना भगवान विष्णु के सम्मान में देवताओं और राक्षसों दोनों द्वारा बनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर को अधूरा छोड़ दिया गया था क्योंकि वे इसे सूर्योदय से पहले पूरा नहीं कर सके थे।


देवघर मंदिर - माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था, झारखंड में देवघर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। एक बार रावण ने शिवलिंग के रूप में भगवान शिव को लंका ले जाने की ठानी। शिव मान गए, लेकिन केवल एक शर्त पर कि लिंग जमीन को नहीं छूना चाहिए। रावण के साथ छेड़छाड़ की गई और शिवलिंग जमीन को छू गया। शिवलिंग जहां जमीन पर था, वहां से उसे हिलाना मुश्किल था। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को रातों-रात यहां एक मंदिर बनाना पड़ा।


हटिया देवल - उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसे हटिया देवल के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही हाथ के शिल्पकार ने एक रात में किया था। हालांकि रात में पहले शिवलिंग बनवाने के मामले में विपरीत दिशा में किया गया। इस कारण यहां शिवलिंग की पूजा नहीं होती है।


भोजेश्वर मंदिर - स्थानीय लोगों का मानना है कि वनवास के दौरान भगवान शिव ने पांडवों को उनके सपने में दर्शन दिए थे। अगली सुबह उन्होंने अपनी माँ से इस बारे में बात की, जिस पर उन्होंने पांडवों को एक मंदिर बनाने की सलाह दी जहाँ उन्होंने सपना देखा था, इसलिए भोजेश्वर मंदिर का निर्माण रातों-रात पूरा हो गया।



G News 24: भारत का दलाही कुंड जहां ताली बजाने से बाहर आ जाता है पानी !

 नहीं सुलझा पाए वैज्ञानिक तक ये गुत्थी…

भारत का दलाही कुंड जहां ताली बजाने से बाहर आ जाता है पानी !

प्रकृति द्वारा बनाए गए दुनिया में हजारों रहस्य छिपे हैं। आज तक किसी को इनके बारे में पता नहीं चला और ना ही कोई इनका समाधान कर पाया। चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या पर्यटन स्थल। आज हम आपको एक ऐसे ही पूल के बारे में बता रहे हैं, जिसके रहस्य अभी तक सुलझे नहीं हैं। यह टैंक झारखंड के बोकारो शहर से 27 किमी दूर स्थित है। जिसे दलाही कुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि ताली के सामने ताली बजाने से उसका पानी अपने आप ऊपर उठ जाता है। ऐसा लगता है जैसे किसी बर्तन में पानी उबल रहा हो। 

कई बार वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसलिए यह कुंड आज तक एक रहस्य है। इस चमत्कार के कारण लोग इस कुंड की भव्यता को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। तो आइए जानते हैं इस दलाही कुंड के बारे में। इस कुंड की खास बात यह है कि इस कुंड का पानी मौसम के अनुसार बदलता रहता है। पूल का पानी गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म होता है। मान्यता है कि इस तालाब के पानी में नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इसके पानी से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं तो इसका मतलब है कि इसमें सल्फर और हीलियम गैस है। 

यह टैंक भारत के प्रसिद्ध टैंकों में से एक है। यहां हर साल मकर संक्रांति के दिन विशाल मेला लगता है। यहां दूर-दूर से लोग स्नान करने आते हैं। यह रहस्यमय कुंड देवता दलाही गोसाई का पूजा स्थल है। यहां हर रविवार को लोग पूजा करते हैं। दलाही कुंड में लोगों की काफी आस्था है। लोग जानते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इसलिए देश भर से लोग यहां स्नान करने आते हैं। बता दें कि इस कुंड का पानी साफ और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसलिए इस पानी से नहाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस कुंड पर अब तक कई शोध हो चुके हैं, लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि इस कुंड का पानी कहां से आता है और आखिर कहां जाता है। 

कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार यह पानी जमुई नामक एक चैनल के माध्यम से गरगा नदी में बहता है। यहां पानी बहुत कम है। बहुत कम होने के कारण ताली बजाने पर ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। ध्वनि तरंगों के कारण होने वाले कंपन के कारण पानी ऊपर की ओर उठता है। जिससे पानी ऊपर की ओर उठने लगता है। इस कुंड के चारों ओर अब कंक्रीट की दीवारें बनाई गई हैं। यहां रहने वाले लोग आज भी इस जगह को आस्था की नजर से देखते हैं। उनके अनुसार यहां के कुंड में स्नान करने से जीवन की सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।


G News 24:संसद के उद्घाटन का विपक्षी दलों द्वारा विरोध ! कारण कुछ समझ नहीं आया !

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राष्ट्रपति से नई संसद के उद्घाटन की मांग वाली याचिका..

संसद के उद्घाटन का विपक्षी दलों द्वारा विरोध ! कारण कुछ समझ नहीं आया !

1947 में जब सत्ता का हस्तांतरण हुआ था तब अंग्रजों ने प्रधानमंत्री की हैसियत से ही नेहरू जी हाथों में सौंपी गई थी तो फिर अब देश के PM द्वारा सत्ता के संचालन केंद्र संसद के  शुभारंभ का विरोध में खड़े दल बताएं तब और अब के बीच का अंतर जिसके कारण कर रहे हैं विरोध और इतना ही नहीं राजनैतिक लालसाओं की प्रतिपूर्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक लगा दी है l नेहरू जी ने एक PM की हैसियत से सत्ता का राजदंड अंग्रेजों से अपने हाथों में थमा था  फिर अब यदि दूसरा PM इसके संचालन केंद्र का उद्घाटन तो विपक्षी दल उसका विरोध कर रहे हैं बात कुछ हज़म नहीं हुई !!!

नए संसद भवन का उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है। तमिलनाडु के एक वकील सी आर जयासुकिन ने PIL दाखिल कर संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने का अनुरोध किया है। इस पीआईएल में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं और संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं और संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं। ऐसे में 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी।

बीएसपी ने किया समर्थन !

नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी का दौर जारी है। इस बीच सत्ता पक्ष को एक और क्षेत्रीय दल का समर्थन मिला है। बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री द्वारा संसद के नये भवन के उद्घाटन का समर्थन किया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा - "केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।"

पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण समारोह में शामिल नहीं होंगी मायावती

वैसे उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थता जताई है। उन्होंने लिखा कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें। लेकिन अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी। इनके अलावा एनडीए से सहयोगी दलों बीजू जनता दल और शिरोमणि अकाली दल ने भी नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का समर्थन किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राष्ट्रपति से नई संसद के उद्घाटन की मांग वाली याचिका

नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका पर आज (26 मई) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के पीएम मोदी से उद्घाटन किए जाने के खिलाफ दी गई याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, 'हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना क्यों न लगाएं.' ये याचिका सीआर जयासुकिन नाम के वकील ने दाखिल की थी.

10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की नींव रखी थी. अब पीएम मोदी ही 28 मई को इसका उद्घाटन करेंगे. नया संसद भवन करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार है. नया संसद भवन 4 मंजिला है. इसमें आज के दौर के हिसाब से कई सुविधाएं हैं. इसके अलावा सिटिंग अरेंजमेंट को भी बढ़ाया गया है. नई संसद में लोकसभा के 888 मेंबर बैठक सकते हैं जबकि राज्यसभा के 384 सदस्य भी बैठ सकते हैं. नए संसद भवन की बिल्डिंग पुरानी संसद से 17,000 स्क्वायर मीटर बड़ी है.

G News 24:अब बिना इंटरनेट के भी हो जाएगी UPI पेमेंट, ये है आसान तरीका

 आरबीआई ने UPI 123Pay को किया है लाॅन्च ...

अब बिना इंटरनेट के भी हो जाएगी UPI पेमेंट, ये है आसान तरीका

नई दिल्ली l  डिजिटल पेमेंट का चलन इस समय काफी बढ़ गया है। पेटीएम से लेकर गूगल पे जैसे कई ऐप हैं, जिनकी मदद से लोग पेमेंट कर रहे हैं। इसका कारण है कि आनलाइन पेमेंट चंद सकेंड में हो जाता है। इसके साथ कैश का झंझट भी खत्म हो जाता है। मगर कभी-कभी इंटरनेट में समस्या आने के कारण यूपीआई पमेंट में लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। स्लो इंटरनेट की वजह से लोगों को काफी दिक्कत होती है। ऐसे में आरबीआई ने UPI 123Pay को लाॅन्च किया है। इसकी मदद से आप कहीं भी पेमेंट कर सकते हैं।

अगर इंटरनेट में खराबी के कारण आपको ऑनलाइन पेमेंट में समस्या का सामना करना पड़ता है तो आपको बस एक काम करना होगा। इस काम से आपके लिए पमेंट आसान हो जाएगा। इसके लिए आपको जिस फोन से पेमेंट करना है, उसे बैंक अकाउंट से लिंक कर दें। इसके बाद आप इन तरीकों से आसानी से पेमेंट कर सकेंगे।

मिस्ड काॅल- अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है तो भी आप इसका लाभ ले सकते हैं। इसके लिए आपको एक नंबर पर मिस काॅल करना होगा। मगर जैसे ही कॉल बैक आए। अपना रजिस्टर्ड नंबर दर्ज करें। इसके कुछ देर बाद आपकी पेमेंट हो जाएगी।

IVR- कहीं पेमेंट करना है तो आपको आईवीआर नंबर पर कॉल करना होगा। इसके बाद आपको अपनी पसंदीदा भाषा को चुनना होगा। इसके बाद जैसा-जैसा आपको बताया जाए, वैसे-वैसे आपको आगे बढ़ना होगा। इसके बाद आपको नंबर दर्ज करना होगा। जितना अमाउंट है, उसे दर्ज कर दें। इसके बाद आगे बढ़ें।

UPI एप्लीकेशन – इसे डाउनलोड करके स्कैन और पे को छोड़कर बाकि सभी तरह से पेमेंट कर सकते हैं। प्रोक्सिमिटी साउंड पेमेन्टः इस तकनीक की मदद से पेमेंट करने को लेकर साउंड वेब्स का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग आप स्मार्टफोन और फीचर फोन दोनों में कर सकने में सक्षम हैं। 

G News 24:भारत में पहली बार नदी के नीचे दौड़ी मेट्रो !

  45 सेकंड में तय किया इतना सफर...

भारत में पहली बार नदी के नीचे दौड़ी मेट्रो !

कोलकाता l देश की सबसे पुरानी मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो ने इतिहास रच दिया. भारत में पहली बार किसी मेट्रो ने नदी के नीचे रफ्तार भरी है. ट्रेल रन हावड़ा से कोलकाता में एस्प्लेनेड तक आयोजित किया गया था क्योंकि मेट्रो ने हुगली नदी के नीचे अपनी यात्रा की थी. कोलकाता मेट्रो के महाप्रबंधक पी उदय कुमार रेड्डी ने इस दौड़ को कोलकाता शहर के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया. 

उदय कुमार रेड्डी ने कहा कि यह पहली बार है कि एक ट्रेन हुगली नदी के नीचे चली गई है. यह 33 मीटर की गहराई पर सबसे गहरा स्टेशन भी है. भारत में पहली बार ऐसा हुआ है. यह कोलकाता शहर के लिए ऐतिहासिक क्षण है. उन्होंने कहा कि हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक ट्रायल रन अगले 7 महीनों तक चलेगा. इसके बाद इसे लोगों के लिए नियमित रूप से शुरू कर दिया जाएगा. 

Kolkata Metro creates History!For the first time in India,a Metro rake ran under any river today!Regular trial runs from #HowrahMaidan to #Esplanade will start very soon. Shri P Uday Kumar Reddy,General Manager has described this run as a historic moment for the city of #Kolkata. pic.twitter.com/sA4Kqdvf0v — Metro Rail Kolkata (@metrorailwaykol) April 12, 2023

45 सेकंड में 520 मीटर की दूरी 

उम्मीद है कि इस साल हावड़ा-एस्प्लेनेड खंड पर कमर्शियल सेवाएं शुरू हो जाएंगी. मेट्रो ने 45 सेकंड में हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी तय की. नदी के नीचे यह सुरंग नदी तल से 32 मीटर नीचे है. यह सेक्शन कोलकाता के आईटी हब साल्ट लेक में हावड़ा मैदान और सेक्टर V को जोड़ने वाले ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का हिस्सा है. यह परियोजना कोलकाता मेट्रो की नॉर्थ-साउथ लाइन के एस्प्लेनेड स्टेशन को हावड़ा और सियालदह में भारतीय रेलवे स्टेशनों से जोड़ेगी. 

यह विकास कोलकाता मेट्रो (Kolkata Metro) के लिए एक और मील का पत्थर है क्योंकि यह देश का पहला मेट्रो रेलवे भी था, जो 1984 में कोलकाता में शुरू हुआ था. इसके बाद राजधानी दिल्ली ने 2002 में मेट्रो सेवाओं की पेशकश शुरू की थी. 

G News 24 : बदमाश के हाथ में पिस्तौल का मुकाबला सिपाही ने पत्थर से किया

 सिपाही ने साहस का परिचय देते हुए दबोचा लुटेरा...

बदमाश के हाथ में पिस्तौल का मुकाबला सिपाही ने पत्थर से किया

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के निलोठी में दिल्ली पुलिस के जवान के बहादुरी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है। इस जवान ने ईंट से हमला कर एक पिस्टलधारी बदमाश को दबोच लिया। घटना मंगलवार की बताई जा रही है। उधर, सोशल मीडिया पर लोग उसकी दिलेरी और बहादुरी की खूब तारीफ हो रही है। दरअसल दिल्ली पुलिस का यह जवान निलोठी इलाके में एक जवान को पकड़ने के लिए गया था। लेकिन वहां बदमाश ने पिस्टल निकालकर पुलिसकर्मी पर तान दिया। 

बावजूद इसके पुलिस के जवान ने हिम्मत नहीं हारी और ईंट से हमला कर बदमाश को काबू कर लिया। बदमाश की इस तरह गिरफ्तारी की घटना मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है। अब यही सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस का इस जवान को अंदाजा भी नहीं था कि इस बदमाश के पास पिस्टल हो सकती है। वह निहत्था ही उसे पकड़ने पहुंच गया था। लेकिन जब वहां बदमाश के हाथ में पिस्टल देखी तो एक सेकंड के लिए ठिठका, लेकिन तुरंत उसने पास में पड़ा ईंट का टुकड़ा उठाकर बदमाश पर वार किया और दौड़कर उसे दबोच लिया। बता दें कि पुलिस पहले ही इस बदमाश के साथी को गिरफ्तार कर चुकी है।

इन दोनों बदमाशों की पहचान ध्यान सिंह और नवनीत के रूप में हुई है। गौरतलब है कि इसी साल जनवरी महीने में दिल्ली के ही मायापुरी में दिल्ली पुलिस के एएसआई शंभुदयाल ने एक झपटमार को पकड़ लिया था। इस दौरान एएसआई निहत्थे थे, जबकि बदमाश के पास चाकू था। पकड़े जाने के बावजूद बदमाश ने उसी चाकू से एएसआई पर कई बार हमले कर दिए, बावजूद इसके एएसआई ने बदमाश को नहीं छोड़ा। हालांकि बाद में चाकू के घाव की वजह से इलाज के दौरान एएसआई की मौत हो गई थी।