चुनाव हों या हिंदू पर्व या फिर कोई बिल उसके ख़िलाफ़ उग्र प्रतिक्रिया कोलकाता से ही क्यों !
क्या बंगाल के मुस्लिम्स देश का हिस्सा नहीं, जो बार-बार देश के कानून का मजाक उड़ाते हैं !
भारत एक विविधता से भरा देश है, जहां हर धर्म, संस्कृति और परंपरा को सम्मान दिया जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में देखा गया है कि जब भी हिंदू त्योहार आते हैं या चुनाव का माहौल बनता है, खासकर कोलकाता जैसे शहरों में, वहां तनाव, पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसा की घटनाएं सामने आने लगती हैं। यह सिर्फ एक संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ गहरे सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक कारण छिपे होते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में धार्मिक ध्रुवीकरण नया नहीं है। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार पर यह आरोप विशेष रूप से लगता है कि वह मुस्लिम मतदाताओं को खुश रखने के लिए कठोर कार्रवाई से बचती है, भले ही स्थिति हिंसक क्यों न हो। इसका उदाहरण कुछ सांप्रदायिक तनाव वाली घटनाओं में प्रशासन की निष्क्रियता के रूप में सामने आता है।
ये कैसी लाचारी है, कि संसद से पास वफ्फ कानून के खिलाफ कुछ राजनेता और कुछ मुल्ला-मौलवी मुस्लिमस को झूठ फैलाकर भड़का रहे हैं जिसकी वजह से दंगे और आगजनी हो रही है। इसके बावजूद केंद्र सरकार और माननीय सुप्रीम कोर्ट जो जरा जरा सी घटनाओं पर स्वयं संज्ञान लेकर फैसले कर देता है। अभी क्यों मौन है !
क्यों नहीं इन दोगले नेताओं और भड़काऊ भाई जानों के खिलाफ कोई कार्वाही हो रही है ! यही काम यदि कोई आम आदमी करता तो अभी तक जेल की हवा खा रहा होता। केंद्र सरकार को ऐसे लोगों को तुरंत सबक सिखाते हुए जेल में क्यों नहीं डाला जा रहा है जो लोगों को बरगलाकर दंगे करने के लिए उकसा रहे हैं।
वफ्फ एक्ट दंगे की मार झेल रहे इन लोगों ने तो ये एक्ट पास किया नहीं है जो दंगे की आग में झुलस रहे है। फिर भी इन्हें मारा-लूटा जा रहा है। क्यों ये अपना घर-वार छोड़ने को मजबूर हो रहे है ! हिन्दू अपने ही देश में पलायन को मजबूर है ! हिन्दू आखिर ये सब क्यों झेले ! उसका तो वफ्फ एक्ट से कोई लेना देना नहीं है तो फिर क्यों नेताओं की राजनीति का शिकार बने हिन्दू ! सरकार ये दायित्व बनता है कि दंगाइयों से पीड़ित हर हिन्दू की रक्षा करे और इन दंगाइयों को ढंग से सबक सिखाना भी जरूरी है जिससे ये दंगा करने या किसी के जीवन से खिलवाड़ करने से पहले अपने खुद के परिणाम के बारे में सोचने को मजबूर हो जाएं।
सरकार ने यदि कोई ठोस कार्रवाही नहीं की, तो आज कोलकाता में दंगे है कल अन्य किसी और स्टेट,जिला शहर या गावं में भी ऐसे ही हालत होंगे। एक बात और सरकार-सरकार खेलने वाले इन नेताओं(पक्ष हो या विपक्ष) को एक बात और गांठ बांध लेनी चाहिए कि सरकार और देश चलाने और देश व समाज सेवा के नाम पर आप जो वेतन-भत्ते पाकर ऐशोआरम की जिंदगी जीते हैं उसका खर्च ये आम जनता ही वहन करती है उसी द्वारा टैक्स के रूप में मिले पैसे से ही ये सब संभव हो पाता है। इसलिए जनता के जानमाल और संपत्ती की सुक्षा आपकी ही जिम्मेदारी है सरकार ! आप उसे यूं ही दंगाइयों के हवाले नहीं क्र सकते हैं।
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