संविधान कब देता है इसकी परमिशन आपको भी पता होना चाहिए ...
मुर्शिदाबाद हिंसा बाद बंगाल में लग सकता है राष्ट्रपति शासन !
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम है. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो रही है. आइए जानते हें आखिर किसी राज्य में कब और कैसे लगता है राष्ट्रपति शासन, क्या है इसके नियम कानून...
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. प्रभावित इलाकों में इंटरनेट बंद है. शहर में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. दुकानें बंद हैं और सड़कों पर सुरक्षा बल तैनात हैं. जिले के सुती, समसेरगंज, धुलियान और जंगीपुर में अब हालात थोड़े शांत हैं, लेकिन तनाव बना हुआ है. जिला प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 163 लागू की हुई है. बंगाल में हिंसा के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है. क्या यह संभव है? आइए, जानते हैं पूरा मामला और राष्ट्रपति शासन के लगाने की जानते हैं प्रकिया.
बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद मतदान के अधिकार पर चिंताओं का हवाला देते हुए मांग की कि उन क्षेत्रों में राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव कराए जाएं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं. बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है और निष्पक्ष चुनाव के लिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है. सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि पुलिस ममता के "कैडर" की तरह काम कर रही है.
राष्ट्रपति शासन क्या है...
राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है, जब किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था टूट जाती है. इसका मतलब है कि अगर राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर पा रही हो, तो केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करती है. इस दौरान राज्य की विधानसभा को निलंबित या भंग कर दिया जाता है. पूरे राज्य का प्रशासन केंद्र के जरिए, यानी राज्यपाल या उनके सलाहकारों के हाथ में चला जाता है. अब मुख्यमंत्री का इसमें कोई रोल नहीं रहता.
राष्ट्रपति शासन के लिए संविधान क्या कहता है...
राष्ट्रपति शासन को लागू करने के लिए भारत में इसके लिए बकायदा संविधान में नियम बनाए गए हैं, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति शासन का जिक्र है. इसको लागू करने के लिए कुछ कारण भी दिए गए हैं यानी किस आधार पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
राष्ट्रपति शासन कब लगाया जा सकता है...
राज्य में संवैधानिक संकट: अगर राज्य सरकार संविधान के हिसाब से काम नहीं कर पा रही हो. जैसे, कानून-व्यवस्था बिगड़ जाए, सरकार बहुमत खो दे या कोई बड़ा प्रशासनिक संकट हो. तब राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.राज्यपाल की रिपोर्ट: मान लीजिए किसी राज्यपाल को लगे कि उसके राज्य में हालात बेकाबू हैं, तो वो केंद्र को रिपोर्ट भेज कर अपने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर सकता है. इस आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश हो सकती है. केंद्र की सलाह: इस मामले में कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति इसे मंजूरी देते हैं. लेकिन इसे 6 महीने से ज्यादा चलाने के लिए संसद की मंजूरी चाहिए.
अनुच्छेद 355 क्या कहता है...
संविधान के अनुच्छेद 355 में ये भी कहा गया है कि केंद्र का दायित्व है कि वो राज्यों को आंतरिक अशांति या बाहरी खतरों से बचाए. लेकिन डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि इस प्रावधान का इस्तेमाल कम से कम होना चाहिए, ताकि ये "मृत पत्र" (बेकार नियम) बनकर रहे.
मणिपुर में क्यों लगा राष्ट्रपति शासन...
मणिपुर में फरवरी 2025 में 11वीं बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ. वहां मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा चल रही थी, जिसमें 250 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि हिंसा और संवैधानिक संकट के चलते बीजेपी नया नेता चुनने में नाकाम रही. हिंसा की वजह से कानून-व्यवस्था बिगड़ गई थी. बीजेपी के पास 37 विधायक और सहयोगियों के 11 विधायक होने के बावजूद, कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अविश्वास इतना था कि कोई सर्वमान्य मुख्यमंत्री नहीं चुना जा सका.
मणिपुर में कब लगा राष्ट्रपति शासन...
गृह मंत्रालय ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर 13 फरवरी 2025 को अधिसूचना जारी की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने माना कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक नहीं चल सकती. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया. अब मणिपुर में प्रशासन राज्यपाल के जरिए चल रहा है, और विधानसभा निलंबित है.
बंगाल में लग सकता है राष्ट्रपति शासन...
मुर्शिदाबाद में हाल की हिंसा के बाद बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम है. सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि पुलिस ममता के "कैडर" की तरह काम कर रही है. लेकिन राष्ट्रपति शासन लगाना इतना आसान नहीं. इसके लिए ठोस सबूत चाहिए कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है. ममता की सरकार के पास विधानसभा में मजबूत बहुमत भी है तो सिर्फ हिंसा या राजनीतिक विरोध के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाना मुश्किल है,राष्ट्रपति शासन के लिए कोई ठोस वजह जरूर होनी चाहिए. बंगाल में भी अगर हिंसा बढ़ती है, तो केंद्र इस पर विचार कर सकता है, लेकिन इसके लिए मजबूत सबूत और संवैधानिक आधार चाहिए. संविधान इसकी इजाजत तभी देता है, जब हालात पूरी तरह बेकाबू हों, और इसका इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना पड़ता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों पर बहुत गंभीरता से जांच करता है.
राष्ट्रपति शासन लगाने में सावधानी जरूरी ...
राष्ट्रपति शासन एक आपातकालीन उपाय है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी हुआ है. 1950 से अब तक 100 से ज्यादा बार इसका इस्तेमाल हुआ, खासकर 1970-80 के दशक में राजनीतिक कारणों से इसका खूब इस्तेमाल हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के एस.आर. बोम्मई केस में कहा था कि राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जा सकता है, जब कोई और रास्ता न बचे, क्योंकि यह संसद से लेकर कोर्ट तक मामला जाता है.
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