G News 24 : लाल किले के माधवदास पार्क में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजित !

 सम्राट विक्रमादित्य के जीवन की गाथा,लाल किले से सुनाई, दर्शक बोले-ऐसा पहले कभी नहीं देखा...

लाल किले के माधवदास पार्क में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजित !

लाल किले के माधवदास पार्क में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का आयोजन किया गया है. इस दौरान सम्राट विक्रमादित्य की कहानी सुन दर्शख रोमांचित हो गए. भारत के संघर्ष और आजादी के साक्षी रहे नई दिल्ली के लाल किले की रंगत 12 अप्रैल की शाम बदली-बदली सी रही. इस लाल किले ने आज सम्राट विक्रमादित्य की कहानी जन-जन तक पहुंचाई. लोग इस पराक्रमी राजा की गाथा को सुनकर रोमांचित हो गए. 

मौका था लाल किले के माधवदास पार्क में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का. इस महामंचन में 250 कलाकारों ने इस विक्रम संवत युग के प्रवर्तक राजा के जीवन संघर्ष को जीवंत किया. इस महामंचन को देखने हजारों दर्शक कार्यक्रम स्थल पहुंचे. इस दौरान उनका उत्साह देखने लायक था. दर्शकों का कहना था कि ऐसा ऐतिहासिक मंचन उन्होंने कभी नहीं देखा. 

देश के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का शुभारंभ किया. वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल उपस्थित थे. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नई दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय पर्यटन-संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत विशेष रूप से शामिल हुए. लाल किले के माधवदास पार्क में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और दीप प्रज्ज्वलन से हुई.

लौट रहा सम्राट विक्रमादित्य वाला युग :उप-राष्ट्रपति धनखड़

इस अवसर पर उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव साधुवाद के पात्र हैं. आपने दिल्ली के दिल को छूआ है. वह दिन दूर नहीं जब दिल्लीवालों को रिवर फ्रंट यमुना पर भी इस तरह का कार्यक्रम देखने को मिलेगा. जीवन का समर्पण राष्ट्र के निर्माण के लिए है. आज हम सभी का मन प्रफुल्लित है. लंबे अंतराल के बाद भारत ने एक नए युग में प्रवेश किया है. भारत लगातार विकास कर रहा है. इसकी संपन्नता बढ़ रही है. दुनिया की नजर आज भारत पर है. हमारा जुड़ाव सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति भी होना चाहिए.

दुनिया में कोई देश ऐसा नहीं है जिसकी सांस्कृतिक विरासत 5000 साल पुरानी हो. ऐसी परिस्थिति में आज का कार्यक्रम हमारे युग का नया आयाम है. महान सम्राट विक्रमादित्य न्याय के प्रतीक थे. उनकी शासन व्यवस्था उत्कृष्ट थी. आज सम्राट विक्रमादित्य वाला युग लौट रहा है. भारत का विकास जमीन से लेकर समुद्र की सतह और अंतरिक्ष तक हो रहा है. यह विकास इस बात का संकेत है कि भारत की जो स्थिति 1300 साल पहले थी वो फिर जीवित हो रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव साधुवाद के पात्र हैं.  मैं ये इसलिए कर रहा हूं कि वह खुद राष्ट्र प्रेमी हैं. उन्होंने राजा विक्रमादित्य के पिताजी की भूमिका भी निभाई है.

सम्राट विक्रमादित्य ने मानवता को धन्य किया:सीएम डॉ. मोहन यादव

इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के शासन का इतिहास 2000 साल पुराना है. इस शासन को लेकर इकबाल ने कहा है, "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से..." सीएम डॉ. यादव ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत की मान मर्यादा को बिगाड़ा. उन्होंने लालच की वजह से हमारी संस्कृति को चुनौती दी. यहां के वीर महापुरुषों ने हर परिस्थिति में भारत की आन बान शान को बचाया है. इस वजह से हमारी इस संस्कृति का कभी अंत नहीं हो सका.

सनातन संस्कृति गंगा की अविरल धारा की तरह उज्जवल धवल नीर की तरह बहती रहेगी. हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि सम्राट विक्रमादित्य ने तलवार के बलबूते पर न केवल पूरे देश को सुशासन में बदला, बल्कि देश से आगे जाकर शासन की व्यवस्थाओं को मजबूत किया और समूची मानवता को धन्य किया. हमारे यहां संवत प्रवर्तन में भी विक्रम संवत् प्रारंभ करने की जो परंपरा है उसको भी सम्राट विक्रमादित्य ने गौरवान्वित किया. उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य के शासन को याद करते हैं तो वह भगवान श्री राम के रामराज्य की याद आती है. धन्यवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का, जिन्होंने उस दौर के शासनकाल को याद करते हुए सम्राट विक्रमादित्य को शासन के प्रति अपनी शुभकामनाएं दी हैं.

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