G News 24 : 'माथे से बिंदी तक हटाई, अल्लाह हू अकबर भी बोला, फिर भी आतंकियों ने पति को नहीं छोड़ा !

 पहलगाम अटैक में अपने पति को खो चुकी एक महिला का दर्द...

'माथे से बिंदी तक हटाई, अल्लाह हू अकबर भी बोला, फिर भी आतंकियों ने पति को नहीं छोड़ा !

नई दिल्ली। 'हमने तुरंत अपने माथे से 'टिकली' (बिंदी) हटा दी और 'अल्लाहु अकबर' का नारा लगाना शुरू कर दिया, उम्मीद थी कि हम बच जाएंगे। लेकिन, उन्होंने फिर भी मेरे पति, उनके दोस्त और पास में बैठे एक अन्य व्यक्ति को मार डाला।' ये बात पहलगाम अटैक पर महिला ने अपने पति की मौत के बाद कही है। एनसीपी (एससीपी) के दिग्गज नेताशरद पवार से बात करते हुए शोकाकुल संगीता गुनबोटे ने कहा।

संगीता के पति कौस्तुभ गुनबोटे (58) और उनके बचपन के दोस्त संतोष जगदाले (50) के पार्थिव शरीर को गुरुवार सुबह पुणे के वैकुंठ श्मशान घाट पर अग्नि में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। दोनों दोस्तों के अंतिम संस्कार के लिए हजारों लोग इकट्ठा हुए, जिन्हें पहलगाम में उनके परिवार के सामने आतंकवादियों ने गोली मार दी थी, जब वे मारे गए, तो गम और गुस्से की चीखें गूंज उठीं।

लोगों से लगाई मदद की गुहार

अंतिम यात्रा के दौरान, संगीता ने उस डरावने पल के एक-एक क्षण के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जैसे ही उनके पति और दोस्त को गोली लगी, हम तुरंत बाजार की तरफ भागे। जगदाले की पत्नी और बेटी के साथ घायलों की मदद के लिए घोड़े पर सवार होकर पहलगाम के मेन बाजार में पहुंचे। हमने मदद के लिए गुहार लगाई और स्थानीय लोगों से जिम्मेदार अधिकारियों से हमले की जानकारी देने के लिए गुहार लगाई।

स्थानीय लोगों ने की मदद

संगीता ने आगे बताया, ‘घाटी तक पहुंचने के लिए हमने एक स्थानीय घुड़सवार को काम पर रखा था। उन्होंने ही हमें बाजार तक पहुंचने में मदद की। एक दूसरे स्थानीय कैब ड्राइवर ने उन्हें अधिकारियों से संपर्क करने में मदद की। तब तक सेना और पुलिस मौके पर पहुंच चुकी थी। सेना के हेलिकॉप्टर से घायलों से अस्पताल पहुंचाना शुरू कर दिया था।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुट

संगीता से मिलने शरद पवार के अलावा चंद्रकांत पाटिल और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण भी पहुंचे थे। वहीं, केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल और राज्य मंत्री माधुरी मिसाल अंतिम संस्कार में शामिल हुए। इससे पहले जगदाले और गुनबो के शवों फ्लाइट से सुबह करीब 4 बजे पुणे पहुंचा। कुछ दोस्त, कुछ जानकार और सगे संबंधियों के अलावा पूरा शहर शोक संतप्त के घर पहुंच रहे थे। उन्होंने आतंकवाद के एकजुटता दिखाई।

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