हर उस एक चीज के लिए आभारी बनें जो हमारे पास अभी है: प्रहलाद भाई
पीस ऑफ माइंड आज हम सबकी जरूरत : आदर्श दीदी
ग्वालियर। कभी-कभी ज़िंदगी की इस दौड़ में हम भूल जाते हैं कि हम दौड़ किस चीज़ की लगा रहे हैं। सुबह से रात तक काम, जिम्मेदारियाँ, रिश्तों की खींचतान यह सब अधिकतर लोगों के जीवन चलता है। फिर जब कभी हम अकेले बैठते हैं, तो एक सवाल मन में उठता है — “क्या मैं सचमुच शांति और खुशी का अनुभव कर रहा हूँ।
पीस ऑफ माइंड आज हम सबकी जरूरत है।
जिस तरह शरीर को ऑक्सीजन चाहिए होती है, उसी तरह आत्मा को मन की शांति चाहिए होती है। उक्त बात राजयोगिनी बीके आदर्श दीदी ने उच्च न्यायालय के के.के.डी. हॉल में अभिभाषकों को संबोधित करते हुए कही।
आपको बता दें कि यह कार्यक्रम उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ के सहयोग से प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के न्यायविद विंग द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में न्यायविद विभाग की जोनल कोऑर्डिनेटर तथा ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रमुख राजयोगिनी बीके आदर्श दीदी, एवं प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद भाई उपस्थित थे।
दीदी ने आगे कहा की ब्रह्माकुमारीज का न्यायविद विंग अभिभाषक और न्यायविदों के लिए कार्य करता है। इसका उद्देश्य है कि वर्क और लाईफ का बैलेंस रखते हुए जीवन को आनंदित तरीके से जीना तथा अपने जीवन से दूसरों को सुंदर प्रेरणाएं देना।
इसके साथ ही कार्यक्रम में प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद ने पीस ऑफ माइंड और मेडिटेशन विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि हम दूसरों को खुश करने की कोशिश में, कई बार हम अपने को टाईम नहीं दे पाते है। और शांति, खुशी, प्रेम, आनंद जैसे मूल गुण जिनके बिना सुंदर जीवन की कल्पना नही की जा सकती उनसे बंचित रहते है।
यह सभी गुण भी एक टारगेट बन गए है — “जब मेरे पास गाड़ी होगी, घर होगा, नाम होगा – तब मैं शांत और खुश रहूंगा। या मुझे अन्य कोई प्राप्ति हो जाएगी तो मैं खुश रहूंगा। लेकिन क्या ऐसा होता है? नहीं। क्योंकि एक लक्ष्य पूरा होता है, दूसरा खड़ा हो जाता है। ये सिलसिला चलता ही रहता है।
इसलिए खुशी और शांति के लिए नहीं बल्कि हर कार्य खुश और शांत होकर करें। तभी हम जीवन का सही आनंद ले पाएंगे। इसके लिए मेडिटेशन बहुत आवश्यक है। थोड़ी देर ही सही लेकिन अवश्य करें। ब्रह्माकुमारीज के सभी केंद्रो पर सुबह और शाम निःशुल्क मेडिटेशन सिखाया जाता है। कोई भी इसका लाभ ले सकता है।
हम वर्तमान में जीना सीखें हैं। हम हर उस चीज़ के लिए आभारी बनें जो हमारे पास अभी है। जब हम खुद से, अपने विचारों से, अपने मन से दोस्ती करना सीखते हैं। और हम यह मान लेते हैं कि हर चीज़ को कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं है।
शांति एक यात्रा है।
रोज़ अभ्यास करें — आज गुस्सा कम करेंगे, चिंता कम करेंगे, आज सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करेंगे। हर रोज खुश होकर कार्य करेंगे। तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी। और आप जीवन का आनंद ले सकेंगे।
इसके साथ ही राजयोग से आठ शक्तियों का हमारे जीवन मे विकास होता है उस पर भी प्रकाश डाला तथा अंत में सभी को राजयोग ध्यान की सरल विधि बताते हुए अनुभूति कराई।
कार्यक्रम में आशीर्वाद द्विवेदी, आर के जोशी, उमेश राजौरिया, जितेंद्र त्यागी, जितेंद्र सिमरोदिया,अंकिता शर्मा, राज राठौर, अरशद अली, अरुण सिंह, अनिरुद्ध सिंह सहित अनेकानेक अभिभाषक संघ के पदाधिकारी एवं अभिभाषक उपस्थित थे।
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