1965 तक मुस्लिम रेजिमेंट थी, 3 प्रमुख घटनाएं हैं जिस कारण से मुस्लिम रेजिमेंट को हटा दिया गया ...
भारतीय सेना में राजपूत,सिख़,गोरखा आदि तमाम रेजिमेंट हैं लेकिन मुस्लिम मुस्लिम नहीं है !
आपको जानकर हैरानी होगी कि 1965 तक भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट थी। 3 प्रमुख घटनाएं हुई जिनके कारण सेना से मुस्लिम रेजिमेंट को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐहसिक एवं मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार -
1. पहली घटना - 15 अक्टूबर 1947 को जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पठानों ने भारत पर हमला किया तो पूरी सोई हुई बहादुर गोरखा कंपनी को अपनी ही बटालियन के साथी मुस्लिम सैनिकों ने मार डाला। कंपनी कमांडर प्रेम सिंह सबसे पहले शिकार बने। 30 अन्य रैंकों के साथ 2 गोरखा JCO भागने में सफल रहे और घटना की रिपोर्ट की।
अगले दिन मेजर नसरुल्ला खान ने रात में बेखौफ गोरखाओं की एक भयानक पुनरावृत्ति प्रदर्शन में हत्या करवा दी गई थी। उनके कमांडर कप्तान रघुबीर सिंह थापा को "जिंदा जला दिया"। पी.एम. नेहरू ने मामले को दबा दिया। यह सब "द मिलिट्री प्लाइट ऑफ पाकिस्तान" पुस्तक में वर्णित है।
2. दूसरी- पाकिस्तान के साथ 1947 के युद्ध के दौरान नेहरू द्वारा छिपाई गई एक और बड़ी बात यह थी कि कई मुसलमानों ने अपने हथियार डाल दिए और भारतीयों से लड़ने के लिए ब्रिटिश प्रमुख जॉन बर्ड के नेतृत्व में पाकिस्तान में शामिल हो गये। लेकिन बाद के चरण में ब्रिटिश प्रमुख को निलंबित कर दिया गया और तुरंत अगले जहाज पर इंग्लैंड बुला लिया गया।
सरदार पटेल इसे सार्वजनिक करना चाहते थे लेकिन गांधी द्वारा ऐसा न करने का आदेश दिया गया था।
3. तीसरी -1965 के भारत-पाक युद्ध में मुस्लिम रेजीमेंट के 30,000 भारतीय सैनिकों ने न केवल पाकिस्तान से लड़ने से इनकार किया बल्कि उनका समर्थन करने के लिए हथियार लेकर पाकिस्तान चले गये। इसने भारत को बड़ी मुसीबत में डाल दिया क्योंकि उन्होंने उन पर भरोसा किया। लाल बहादुर शास्त्री ने मुस्लिम रेजिमेंट को खत्म कर दिया। जो कुछ कटटरवादी मौलाना बोलते हैं कि हम भी आजादी की लड़ाई लड़ी थी मुल्क हमारा भी है। ये देश किसी के बाप का नहीं है। नि :संदेह देश सभी का है किसी के बाप का नहीं है लेकिन उन्हें ये सच्चाई भी देश को बताना चाहिए।
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