G News 24 : मध्य-प्रदेश सरकार,सरकारी जमीन से जुड़े केस क्यों हार रही हैं :HC

 सरकारी जमीनों को बचाने का काम सरकार का है, तो केश हारने पर तत्काल अपील क्यों नहीं की !

मध्य-प्रदेश सरकार,सरकारी जमीन से जुड़े केस क्यों हार रही हैं :HC 

ग्वालियर। मध्य-प्रदेश में  बड़ी मात्रा मे सरकारी जमीनों के लगातार खुर्द-बुर्द होने और इनको बचाने के मामले मे सरकार के गंभीर न होने पर हाई कोर्ट (ने चिंता जताई है. मुरार स्थित लगभग 4 बीघा शासकीय जमीन के मामले में चल रही एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस हिरदेश की डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकारी जमीनों के संरक्षण के मामले में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. कोर्ट ने सवाल किया कि सरकारी जमीनों को बचाने का काम सरकार का है, तो इसका प्रदर्शन इतना निराशाजनक क्यों है?

प्रमुख सचिव को दिए ये निर्देश

हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में मध्य प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (राजस्व) को शपथ पत्र पर सरकारी जमीनों को बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी.

कोर्ट में कैसे पहुंचा मामला...

जमीन से जुडा एक मामला जनहित याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में पहुंचा. दीपक कुमार, नवाब सिंह परिहार और अन्य ने याचिका दायर कर रामचरण, गीता और पूरन बाथम पर खसरा क्रमांक 703, 705, 706, 707, 708 की लगभग 4 बीघा 1 बिस्वा शासकीय जमीन हड़पने का आरोप लगाया था. इसमें दायर केस का हवाला भी दिया गया, जिसमें उक्त जमीन के स्वामित्व को लेकर दावा पेश किया गया था.

सिविल कोर्ट ने 23 अप्रैल 2024 को एक पक्षीय फैसला देते हुए सरकारी जमीन को निजी मानते हुए रामचरण और अन्य को भूमिस्वामी घोषित किया. दूसरी ओर, मप्र शासन ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने तथ्यों को छुपाकर याचिका दायर की है. सवाल यह उठता है कि याचिकाकर्ता  सिविल कोर्ट में क्यों चुप रहे और उस आदेश के खिलाफ तत्काल अपील क्यों नहीं की? हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव से जवाब तलब किया है.

Reactions

Post a Comment

0 Comments