राजतिलक समारोह में कई राजघरानों की मौजूदगी रही...
राहुल देव ने स्वयं को दतिया का 14वां राजा किया घोषित, राजपरिवार ने किया विरोध !
दतिया। एक राजतिलक समारोह में स्वयं को दतिया का 14वां राजा घोषित करते हुए राहुल देवसिंह ने शहर के हेरिटेज होटल में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ रविवार के साथ रविवार को राजतिलक और पकड़ी रस्म निभाई। इसके बाद उन्हें नया नाम गोविंदसिंह जूदेव दिया गया।इसके चलते एक विवाद भी उठखडा हुआ, यही कारण रहा कि इस समारोह को दतिया राजघराने और स्थानीय ठाकुर समाज ने पूरी अवैध दिखावा करार दिया हे। विरोध स्वरूप समाज और राजपरिवार का कोई भी सदस्य क्रार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ।
राजतिलक समारोह में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे
कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिये देशभर के करीब 2 दर्जन राजघरानों के राजा-महाराज, सांसद, रेसलर और कम्प्यूटर बाबा सहित कई विशिष्ठ अतिथि आदि शामिल हुए। अयोध्या और वाराणसी से आये ब्राहम्णों ने मंत्रोच्चार और विधि-विधान से रस्मे अदा की गयी है। राहुल देव सिंह को पारंपरिक पोशाक पहनाकर पगड़ी पहनाई और उन्हें दतिया के 14वें राजा के रूप में स्वयंभू घोषित किया गया।
राजपरिवार और ठाकुर समाज ने जताया विरोध
दतिया राजघराने और ठाकुर समाज ने इस आयोजन को पूरी तरह अवैध बताते हुए राहुल देव सिंह और उनके परिवार को समजा से बेदखल कर दिया और समाज की तरफ से दतिया एसपी वीरेन्द्र सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए कार्यवाही की मांग की गयी।
घनश्याम सिंह ने यह भी कहा कि राहुल देव सिंह का शुरुआती जीवन बहुत संघर्षपूर्ण था। वे पहले डांसर बनना चाहते थे, फिर फिल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाई, लेकिन जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो वे राजनीति में आए और अपनी पत्नी को चुनाव में उतारा, जहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में धर्म की ओर रुझान हुआ और वे महामंडलेश्वर बन गए। अब उन्हें महाराजा बनने की लालसा हो गई है।
दतिया रियासत का ऐतिहासिक क्रम
महाराजा गोविंद सिंह दतिया के अंतिम शासक थे, जिनका निधन 1951 में हुआ। उनके दो पुत्र – बलभद्र सिंह और जसवंत सिंह थे। बलभद्र सिंह के बाद महाराजा किशन सिंह, फिर महाराजा राजेंद्र सिंह और अंतत 30 अप्रैल 2020 को अरुणादित्य देव को 14वां राजा घोषित किया गया। इस लिहाज से समाज का दावा है कि राहुल देव सिंह का राजतिलक पूर्णत अवैध और परंपरा के विपरीत है।
दतिया किले में हुई समाज की बैठक
रविवार को दतिया किले में एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें ठाकुर समाज और राजघराने के वरिष्ठ सदस्य शामिल हुए। बैठक में राहुल देव सिंह और उनके परिवार को समाज से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया।
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