एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन में...
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हुआ लाखों रुपए का भ्रष्टाचार !
ग्वालियर। सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल परिसर स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लगे एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के संचालन में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। एक निजी फर्म, फ्लरिश इंडिया इंटरप्राइज को इन दोनों प्लांट के संचालन का जिम्मा दिया गया। कुल अवधि तीन साल थी, जिसके एवज में 1.80 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। लेकिन पैसे मिलने के बाद भी निजी फर्म ने काम नहीं किया। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में ये खुलासा हुआ है।
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरआर सिंह सेंगर ने बताया, प्लांट कभी काम करता था, ये कहना बेहद मुश्किल है क्योंकि प्लांट का इनलेट और आउटलेट का ही अता-पता नहीं है। प्लांट की डिजाइन ही गलत है। हमारी टीम ने जब जांच की तो पता चला कि प्लांट में भरा हुआ पानी संक्रमित नहीं है, जो कि संभव नहीं है। संभवतः बोर्ड के निरीक्षण को देखते हुए प्लांट में पानी भर दिया गया। जिस कंपनी को काम दिया, उसका अनुबंध मेडिकल कॉलेज से है। ऐसे में बोर्ड कार्रवाई नहीं कर सकता।
अस्पतालों से निकलने वाले पानी में कई खतरनाक वायरस, बैक्टीरिया होते हैं। जो किसी के भी संपर्क में आकर उसे भी संक्रमित कर देते हैं। इसलिए ईटीपी से पानी का ट्रीटमेंट किया जाता है। इसके बाद ये पानी बगीचों के साथ फर्श की सफाई में उपयोग किया जा सकता है। संक्रमित पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे सीवर में डालने से ना केवल सीवर का पानी संक्रमित होता है, बल्कि लाइन लीक होने की स्थिति में अन्य लाइन में भी मिल सकता है। प्लांट में संक्रमित पानी कितना गया, इसका पता मीटर से लग जाता है।
ट्रीटमेंट के बाद कितना पानी बाहर निकला, इसकी गणना भी एक अन्य मीटर से होती है। अस्पताल प्रबंधन के पास इसका अधूरा रिकॉर्ड तक नहीं है। हर तीन माह में प्लांट से निकलने वाली स्लग को इंदौर के पीथमपुर में लगी यूनिट में डिस्पोज करवाना था। एक बार भी स्लज भेजी नहीं गई। जून-जुलाई 24 में पहली बार पता चला कि ईटीपी काम नहीं कर रहा। जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिखा। 2 जनवरी को बोर्ड की टीम सैंपल लेकर गई थी। रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्लांट के संचालन के लिए भुगतान डीन कार्यालय, गजराराजा मेडिकल कॉलेज से किया गया है। क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आरआर एस सेंगर का कहना है कि 2 जनवरी को अस्पताल अधीक्षक डॉ. जीएस गुप्ता ने पत्र लिखा था। इसमें प्लांट के सही ढंग के काम नहीं करने की शिकायत की गई थी। 2 जनवरी को क्षेत्रीय कार्यालय से टीम जांच के लिए गई थी। सैंपल की जांच में खुलासा हुआ कि ईटीपी चालू ही नहीं है। अब अस्पताल को नोटिस भेजेंगे। जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर कार्रवाई करेंगे।
0 Comments