G News 24 : भारत में भी दौड़ती है एक बिना इंजन वाली ट्रेन !

 इंजन नहीं फिर भी है रफ्तार की रानी...राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस भी इसके सामने भरती हैं पानी!

भारत में भी दौड़ती है एक बिना इंजन वाली ट्रेन !

अगर आपने ट्रेन से सफर किया होगा तो ट्रेन के सबसे आगे लगे इंजन को जरूर देखा होगा. ट्रेन को खींचने की जिम्मेदारी इसी की होती है. छुकछुक करता ट्रेन का इंजन, सीटी बजाती रेलगाड़ी...ये सारे किस्से-कहानियां ट्रेन के इंजन से ही जुड़ी है. इसी इंजन में बैठकर लोकोपायलट ट्रेन को अपनी मंजिल तक पहुंचाता है, लेकिन आज जिस ट्रेन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसमें इंजन है ही नहीं.  इस ट्रेन में कोई इंजन ही नहीं. 

देश की पहली इंजन रहित ट्रेन के बारे में भले ही आपने न सुना हो, लेकिन आपमें से अधिकांश लोगों ने उसमें सफर जरूर किया होगा. देश की पहले इंजनलेस ट्रेन की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हर राज्य अपने लिए इस ट्रेन की डिमांड रख रहा है. बिना इंजन वाली यह ट्रेन रफ्तार के मामले में  राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को टक्कर देता है. 

बिना इंजन वाली ट्रेन की रफ्तार  

इंजन रहित हाई स्पीड ट्रेन की ट्रायल रन में रफ्तार 183 किमी प्रति घंटे की रही, लेकिन पटरियों की क्षमता की वजह से यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है.  अब जरा इस ट्रेन का नाम भी जान लेते हैं. इस ट्रेन का नाम है वंदे भारत एक्सप्रेस या ट्रेन 18 ( Train 18). ये सेमी हाई स्पीड ट्रेन लोगों को खूब पसंद आ रही है. 

बिना इंजन के कैसे चलती है ट्रेन  

सवाल मन में जरूर उठ रहे होंगे ति बिना इंजन के ये ट्रेन पटरी पर दौड़ती कैसे हैं. आपको बता दें कि यह ट्रेन पूरी तरह ऑटोमेटिक है.  चेन्नई के इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा बनाया गया यह ट्रेन देश की पहली इंजन-रहित ट्रेन ‘ट्रेन 18’, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को राजधानी और शताब्दी ट्रेनों का उत्तराधिकारी कहा जाता है.  रफ्तार और सुविधाओं के मामले में यह ट्रेन देश में फिलहाल नंबर 1 के पायदान पर है. आमतौर पर इंजन ट्रेन की बोगियों के साथ अलग से जुड़ा रहता है.  लेकिन इस ट्रेन 18 में बुलेट या मेट्रो ट्रेन की तरह एंटीग्रेटेड यानी एकीकृत इंजन होता है, जो कोच या बोगियों के साथ ही लगा रहता है. 

इंजनलेस होने का फायदा  

अलग से इंजन नहीं होने की वजह से ट्रेन की रफ्तार अधिक होती है.  इंजनलेस इलेक्ट्रिक ट्रेन को चलाने के लिए पूरा सिस्टम ट्रेन की बोगियों में ही फिट है.  हालांकि जरूरत के लिए दो लोकोमोटिव पायलट ट्रेन में मौजूद रहते हैं.  मेड इन इंडिया इस ट्रेन की स्पीड 180 किमी प्रति घंटे की है, लेकिन फिलहाल सेफ्टी इश्यू के चलते ट्रेन 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. 

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