राज्य पुरातत्व विभाग ने 2016-17 में करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर यहां संरक्षण कार्य किए थे ...
राज्य पुरातत्व विभाग ने ग्वालियर को किले को निजी हाथों में सौंपने की कर ली है तैयारी !
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध ग्वालियर किले को भी अब निजी हाथों में देने की मंशा अब पर्यटन विभाग बना चुका है। इसके लिए सरकार ने भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में पर्यटन संस्कृति विभाग की इंटर ग्लोबल एविएशन लिमिटेड (इंडिगो एयरलाइंस) के साथ MOU किया है। इसमें आगा खान कल्चर सर्विसेज फॉर्म (एकेसीएसएफ) को भी शामिल किया गया है। पहले फेस में यह करार 5 साल के लिए किया गया है। इस करार के अंतर्गत किले की संरक्षण और सौंदर्यकरण का काम होगा। इसके बाद इसका कार्यकाल 5 वर्ष के लिए और बढ़ाया जाएगा। इस पूरे कार्यक्रम की फंडिंग इंडिगो एयरलाइंस करेगी जबकि एकेसीएसएफ इसका संरक्षण करेगी।
इंडिगो एयरलाइंस और एकेसीएसएफ की टीमें आएंगी दुर्ग का अवलोकन करने
ग्वालियर किले पर एमओयू पूरा होने के बाद की प्रक्रिया शुरू करने से पहले मध्य प्रदेश टूरिज्म इंडिगो एयरलाइंस और एकेसीएसएफ की 100 लोगों की टीम 7 मार्च को ग्वालियर दुर्ग पर अवलोकन करने के लिए आएगी। इस एमओयू में ग्वालियर किले के जौहर कुंड, हुमायूं महल, शाहजहां महल, जहांगीर महल, गुजरी महल, करण महल सहित कई ऐतिहासिक संरचनाओं के दस्तावेजीकरण और संरक्षण की बात कही गई है जबकि राज्य पुरातत्व विभाग की ओर से सुरक्षित स्मारकों (Gwalior Fort) के संरक्षण का कार्य पूर्व में भी किया जाता रहा है और वर्तमान में भी यह कार्य किया जा रहा है।
पहले भी प्राचीन स्मारकों को निजी क्षेत्र को देने की हुई थी बात
राज्य पुरातत्व विभाग ने 2016-17 में करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर यहां संरक्षण कार्य किए थे वहीं अब यहां लगभग 75 लाख रुपए से अधिक खर्च का रिनोवेशन का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां पाथवे का निर्माण कार्य भी चल रहा है। ऐसे में अचानक निजी कंपनी के संरक्षण कार्य करने की बात गले नहीं उतर रही है। ग्वालियर किले पर बनी भीम सिंह राणा की छत्रि पर शासन के द्वारा वर्ष 2022-23 में होटल की योजना बनाई गई थी परंतु जाट समाज की विरोध के बात या योजना ठंडे बस्ते में चली गई। शिवपुरी का किला, बलदेव गढ़ का किला, दतिया का राजगढ़ पैलेस तथा राज्य पुरातत्व विभाग से और असंरक्षित कर पर्यटन निगम को दे दिए गए थे।
ग्वालियर फोर्ट से हर माह होती है 50 लाख रुपए की इनकम
आपको बता दे कि ग्वालियर किले से लगभग 50 लाख रुपए की मासिक आय होती है, विशेष दिनों में यह आय बढ़कर 70 से 80 लाख तक हो जाती है। ग्वालियर दुर्ग (Gwalior Fort) पर बने विभिन्न स्मारकों को देखना देश-विदेश से सैलानी आते हैं। पुरातत्वविदों की माने तो निजी कंपनी को पुरातत्व संरक्षित स्मारकों की जानकारी बिल्कुल नहीं होती है। वे प्राचीन धरोहरों का संरक्षण कार्य कैसे कर सकते हैं। ऐसे काम पहले भी हो चुके हैं। यह सब मिलीभगत का नतीजा हो सकता है।
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