भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सूची दर्ज मोहम्मद गौस का मकबरा एवं तानसेन की समाधि !
तानसेन समाधि कैंपस में अब उर्स के आयोजन की अनुमति से हाईकोर्ट से इंकार !
ग्वालियर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सूची दर्ज मोहम्मद गौस का मकबरा में उर्स के आयोजन की अनुमति मांगी थी। इस संबंध लिये सबला हसन ने एमपी हाईकोर्ट ने लगी याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिका कुछ तथ्यों को छिपाया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने जवाब में आरोप लगाया है कि याचिकाकर्त्ता के द्वारा तानसेन का मकबरा, मोहम्मद गौस का मकबरा पर आने वाले पर्यटकों के सामने भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता है।
याचिका में बताया गया है कि 2014 के हाईकोर्ट के आदेश के बाद से तानसेन का मकबरा व अन्य संरक्षित स्मारकों के पास में किसी भी प्रकार के आयोजन से पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से अनुमति लेनी होगी। इसी के चलते संरक्षित स्मारक के पास उर्स के आयोजन के लिये अनुमति मांगी गयी। एएसआई द्वारा अनुमति नहीं के बाद भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी।
मोहम्मद गौस के मकबरा का महत्व
यह मकबरा सूफी संत मोहम्मद गौस का है। जो 16वीं शताब्दी के प्रसिद्ध सूफी संत और ग्वालियर क मुस्लिम विद्वान थे। ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर और हुमायूं भी उनके अनुयायी थे। यह मकबरा मुगल और अफगानी स्थापत्य शैली का अद्भुत उदाहरण है।
वास्तुकलां की विशेषतायें
मकबरा चारबाग शैली में बनाया गया है जो इस्लामी वास्तुकला की एक प्रमुख विशेषता है। इसकी जालीदार स्क्रीन बेहद आकर्षक है और इसे ’’हवा महल‘‘ जैसा स्वरूप देती है। इसके गुम्बद और मेहराव भारतीय-मुगल स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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