गरीबों को जो भी सौगात मिले, उसका स्वागत होना चाहिए,हर बात में सियासत नहीं होना चाहिए ...
ईद के अवसर पर मुसलमानों को मिलने वाली है सौगात-ए-मोदी !
रमज़ान के बाद ईद आने वाली है। जगह-जगह इफ्तार पार्टियों का दौर चल रहा है। बीजेपी ने मुसलमानों का भरोसा जीतने के लिए बीजेपी ने एक नई पहल शुरू की।गरीब मुसलमानों के घर खाने के सामान का गिफ्ट हैंपर पहुंचाने की मुहिम शुरू की है। इस मुहिम को नाम दिया गया है, सौगात-ए-मोदी।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के कार्यकर्ता देशभर में 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को ईद के मौके पर सौगात-ए-मोदी किट 32 हजार मस्जिदों के ज़रिए पहुंचाएंगे। मंगलवार को दिल्ली और नवी मुंबई में इसकी शुरुआत हुई। सौगात-ए-मोदी किट में सेवइयां, खजूर, मेवे, चीनी, बेसन और घी से लेकर महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा और पुरुषों के लिए कुर्ता पायजामे का कपड़ा है।
चूंकि बीजेपी की इस स्कीम के लाभार्थी मुसलमान हैं, इसलिए विरोधी दलों को ये पहल रास नहीं आई। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसे बिहार चुनाव से जोड़ा। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने कहा कि मुसलमानों के प्रति बीजेपी जो अपनापन दिखा रही है, उससे उम्मीद है, मुसलमानों का मन भी बदलेगा। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि बीजेपी की तरफ से मोहब्बत के ऐसे पैगाम से नफरत की वो खाई मिटेगी, जो कुछ लोगों की बयानबाजी से पैदा होती है।
जो लोग कह रहे हैं कि ईद पर मोदी की सौगात मुसलमानों के वोटों के लिए है, वो मुसलमानों को क्या समझते हैं? बस सेवई, खजूर और मेवे का एक पैकेट मिलेगा और मुसलमान बीजेपी को वोट देने के लिए निकल पड़ेंगे? अगर गरीब मुसलमान को सौगात देने से इतना फायदा होता है तो बाकी पार्टियों को भी सौगात बांटना चाहिए। उन्होंने पहले क्यों नहीं सोचा? मुझे लगता है कि त्योहार के मौके पर गरीबों को जो भी सौगात मिले, उसका स्वागत होना चाहिए। हर बात में सियासत घुसाने की कोई जरूरत नहीं है।
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