तमिलनाडु सरकार का रुपये के चिन्ह को हटाने का कदम खतरनाक मानसिकता का संकेत ...
स्टालिन सरकार ने बदला '₹' का सिंबल, भड़कीं निर्मला सीतारमण !
तमिलनाडु सरकार ने 2025-26 के लिए बजट के लिए जो प्रचार सामग्री तैयार की, उसमें रुपये का चिह्न तमिल अक्षर से बदल दिया गया. इस मामले को लेकर अब रजनीति जोरों पर है. बीजेपी इसे राष्ट्रीय सिंबल का अनादर बता रही है, जबकि डीएमके सरकार इस बदलाव को तमिल भाषा के सम्मान के रूप में पेश कर रही है.
'खतरनाक मानसिकता का संकेत'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (13 मार्च 2025) को कहा कि तमिलनाडु सरकार का रुपये के चिन्ह को हटाने का कदम खतरनाक मानसिकता का संकेत है, जो देश की एकता को कमजोर करता है. उन्होंने यह भी कहा कि रुपये का चिन्ह मिटाकर डीएमके न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी अवहेलना कर रही है.
'अलगाववादियों को मिलेगा बढ़ावा'
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक्स पर लिखा, ‘‘यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत है जो देश की एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है....’’ उन्होंने कहा, ‘‘रुपये का प्रतीक चिह्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है और वैश्विक वित्तीय लेनदेन में भारत की पहचान के रूप में काम करता है. ऐसे समय में जब भारत यूपीआई का उपयोग करके सीमापार भुगतान पर जोर दे रहा है, क्या हमें वास्तव में अपने स्वयं के राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को कमतर आंकना चाहिए?’’
'राष्ट्रीय एकता कमजोर करता है ऐसे फैसले'
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘वास्तव में, इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, सेशेल्स और श्रीलंका सहित कई देश आधिकारिक तौर पर 'रुपया' या इसे मिले-जुले नाम को अपनी मुद्रा के नाम के रूप में उपयोग करते हैं....’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी संविधान के तहत हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेते हैं. राज्य बजट दस्तावेजों से रुपये के चिन्ह जैसे राष्ट्रीय प्रतीक को हटाना उस शपथ के खिलाफ है. यह राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करता है.’’
डीएमके सरकार पर खूब बरसीं वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘विडंबना यह है कि रुपये के चिन्ह को डीएमके के पूर्व विधायक एन. धर्मलिंगम के बेटे डी उदय कुमार ने डिजाइन किया था. अब इसे मिटाकर डीएमके न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी पूरी तरह से अवहेलना कर रही है.’’ इसके अलावा, तमिल शब्द रुपाई की जड़ें संस्कृत शब्द रुपया से गहाई से जुड़ी हैं, जिसका अर्थ है गढ़ी हुई चांदी या ऐसा चांदी का सिक्का जिस पर काम हुआ हो. यह शब्द तमिल व्यापार और साहित्य में सदियों से चलता आ रहा है और आज भी, रुपाई तमिलनाडु और श्रीलंका में मुद्रा का नाम बना हुआ है.
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