G News 24 : उद्योगों को सौर ऊर्जा पर सब्सिडी देने की मांग !

 बिजली दरों में वृद्धि का विरोध...

उद्योगों को सौर ऊर्जा पर सब्सिडी देने की मांग !

ग्वालियर | मध्यप्रदेश में बिजली दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की जानी चाहिए, जब तक वितरण कंपनियां अपने लाइन लॉस को 10% से कम नहीं कर लेतीं। यह सुझाव मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्य एवं चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने दिया। भोपाल में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में उन्होंने प्रस्तावित टैरिफ प्लान 2025-26 पर अपनी राय रखते हुए कहा कि प्रदेश सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित कर रही है, जहां बिजली की बहुतायत और सस्ती दरों की बात कही जा रही है। ऐसे में बिजली कंपनियों द्वारा औद्योगिक टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव इस पहल के विपरीत है और प्रदेश के औद्योगिक विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।

प्रमुख सुझाव-

  • बिजली दरों में वृद्धि न हो: औद्योगिक, घरेलू या गैर-घरेलू किसी भी श्रेणी में बिजली की दरें नहीं बढ़ाई जानी चाहिए।
  • लाइन लॉस 10% से कम करने की अनिवार्यता: जब तक कंपनियां लाइन लॉस 10% से कम नहीं करतीं, तब तक उन्हें टैरिफ बढ़ाने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।
  • उद्योगों को सौर ऊर्जा पर सब्सिडी: जो उद्योग अपनी विद्युत खपत के बराबर सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करें, उन्हें ₹1 प्रति यूनिट की सब्सिडी मिले।
  • छोटे स्वरोजगार को प्रोत्साहन: झुग्गी-झोपड़ी, छोटे दुकानदारों और गरीब तबके के लोगों को 1 किलोवाट तक घरेलू कनेक्शन से गैर-घरेलू उपयोग की अनुमति मिले।
  • अन्यायपूर्ण बिलिंग पर रोक: एम.डी. मीटर से होने वाली अतिरिक्त चार्जिंग और घरेलू कनेक्शन के गैर-घरेलू उपयोग पर एक साल की दोगुनी दर से बिलिंग का प्रावधान खत्म हो।
  • टीओडी टैरिफ को समाप्त किया जाए: जब प्रदेश में बिजली सरप्लस है, तो इस तरह के अतिरिक्त चार्ज लागू नहीं होने चाहिए।
  •  ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा: घरेलू उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा अपनाने पर विशेष छूट मिले।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यदि दरें बढ़ाई जाती हैं तो ईमानदार उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा और बिजली चोरी को बढ़ावा मिलेगा। सरकार को पहले बिजली कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए और लाइन लॉस की भरपाई के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि घरेलू और गैर-घरेलू टैरिफ में अधिक अंतर नहीं है, इसलिए 1 किलोवाट तक के घरेलू कनेक्शन से छोटे व्यापारिक उपयोग की अनुमति से राजस्व को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, बल्कि स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

बिजली दरों में वृद्धि निवेश और उपभोक्ताओं के हित में नहीं

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेशभर से विशेषज्ञों ने भाग लिया और सुझाव दिए। अब देखना यह होगा कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग इन सुझावों को अंतिम टैरिफ प्लान में शामिल करता है या नहीं।

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