स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के लिए नगर निगम के दावे खोखले ...
सड़कों-गलियों में उड़ती धुल और जगह-जगह कचरे के ढेर, ये जागरूकता अभियान या दिखावा !
ग्वालियर। नगर निगम के स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शहर में कचरे का उठाव सिमटा हुआ है, जिससे जगह-जगह गंदगी का अंबार लग गया है। सार्वजनिक स्थलों और वार्डों में रखे डस्टबिन कूड़े से लबालब भरे पड़े हैं, लेकिन नगर निगम का ध्यान सफाई पर नहीं है।
शहर में स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के तमाम दावों के बीच हकीकत कुछ और ही नजर आई। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत जब स्वच्छता रैंकिंग टीम के सर्वे से पहले शहर का जायजा लिया, तो जगह-जगह कचरे के ढेर, गंदगी से बजबजाते सार्वजनिक शौचालय और अव्यवस्थित सफाई व्यवस्था सामने आई। डस्टबिन कचरे से भरे पड़े हैं, लेकिन उठाव समय पर नहीं हो रहा। सामुदायिक शौचालयों की हालत खराब है, महिलाओं और दिव्यांगों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर कोई रोक नहीं, खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। कुछ जगहों में डस्टबिन तो रखे हैं लेकिन छोटे हैं। डस्टबिन के चारों ओर कचरा उठाव न होने से गंदगी बजबजाती रहती है, जिससे लोग डस्टबिन का भी उपयोग नहीं करते हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद शहर में धड़ल्ले से इसकी बिक्री जारी है। पहले नगर निगम द्वारा प्लास्टिक पर कभी-कभी औपचारिक कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब यह अभियान पूरी तरह सिमट कर रह गया है। होली में शहरभर में कचरे का ढेर लग गया, लेकिन सफाई का कोई इंतजाम नहीं किया गया। सब्जी मंडी, मुख्य बाजार और वार्डों में गंदगी के बीच व्यापारी कारोबार करने को मजबूर हैं। नगर पालिका ने सिर्फ मुख्य मार्गों पर झाड़ू लगवाने तक ही सीमित रखा, लेकिन कचरा उठाने का कार्य अधूरा छोड़ दिया। शहर में स्वच्छता अभियान के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है।
लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग करने के लिए बताया तो जा रहा है, लेकिन कचरा वाहन में सभी प्रकार का कचरा एक साथ डाल दिया जाता है। शहर में स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन सफाई की स्थिति जस की तस बनी हुई है। सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए डस्टबिन पूरी तरह भरे हुए हैं, जिससे कचरा बाहर फेंका जा रहा है। छोटे आकार के डस्टबिन जल्दी भर जाते हैं और लोगों को कचरा डालने में असुविधा होती है। कई वार्डों और प्रमुख बाजारों में सफाई कर्मचारियों की गैर मौजूदगी से गंदगी बढ़ रही है।
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