29 मार्च शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या के कारण ...
शनि को साधने के लिए मुरैना के ऐंती पर्वत पर स्थित शनि मंदिर पर दि नभर लगा रहा भक्तों का तांता
ग्वालियर। 29 मार्च शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर शनि को साधने के लिए मुरैना जिले के ऐंती पर्वत पर स्थित शनि मंदिर पर सुबह से भक्तों का तांता लग गया। यहां पहुंचे लोगों का मानना है की शनिचरी अमावश्या के दिन यहां आने से हमेशा शनि भक्तों से प्रसन्न बने रहेंगे और लोग उनके क्रोध व दंड से भी बचे रहेगे। इसलिये यह भक्त देश भर से यहां पहुंचे। शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के असर को कम करने के लिए शनि अमावस्या का बहुत महत्व बताया गया है।
शनि अमावस्या पर अंचल के प्रसिद्ध एंती शनि मंदिर पर मेले का आयोजन किया गया। शनिचरा स्थित शनि मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। भक्त सुबह से मुंडन कराकर पुराने वस्त्र त्यागकर शनिदेव को कालो तिल और तेल अर्पित कर रहे हैं। गर्मी को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं। स्टॉल लगाकर भक्तों को प्रसादी वितरित की जा रही है। साथ ही जगह जगह शीतल पेयजल वितरित किया जा रहा है।
इसके साथ शहर के शनि मंदिरों में भी लोगों ने पहुंचकर दर्शन किए एवं दान-पुण्य किया। शहर में जीवाजीगंज कटीघाटी स्थित शनिमंदिर, एबी रोड स्थित नवग्रह मंदिर, दाल बाजार शनि मंदिर पर इस अवसर पर विशेष आयोजन हुए जहां श्रद्धालुओं ने पहुंचकर शनिदेव का तेल से अभिषेक कर उन्हें काले तिल, काले वस्त्र, जनेऊ, फूलमाला अर्पित कर इमरती एवं उड़द के पकवानों का भोग लगाया।
- मंदिरों के बाहर प्रसादी वितरित करने के लिए स्टॉल लगाए गए हैं। वहीं फूल, फल, तेल, तिल, अगरबत्ती, धूप बत्ती आदि की अस्थायी दुकानें भी सजी हुई हैं।
- बतातें है कि शनिश्चरी अमावस्या पर दान करने कई यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। साथ ही तर्पण व श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोषों से भी मुक्ति मिलती है।
- शनि ढाई साल में राशि परिवर्तन करते हैं। 29 मार्च शनिवार से शनिदेव ने मेष राशि में प्रवेश कर लिया। यानि अब मेष राशि वालों पर 2032 तक शनि की साढ़े साती रहेगी।
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