G News 24 : एकबार फिर सुलगा मणिपुर,सुरक्षाकर्मियों से भिड़े उपद्रवी; 67 घायल, 12 की हालत गंभीर !

 कुकी समुदाय को नहीं रास आया केंद्र का फैसला...

एकबार फिर सुलगा मणिपुर,सुरक्षाकर्मियों से भिड़े उपद्रवी; 67 घायल, 12 की हालत गंभीर !

मणिपुर में शनिवार (8 मार्च) को एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क गई. केंद्र सरकार के 'फ्री मूवमेंट' वाले फैसले यानी लोगों के बिना गतिरोध एक-दूसरे जिलों में आवागमन को फिर से शुरू करने के पहले दिन ही बवाल मच गया. सरकार के इस कदम के विरोध में कुकी समुदाय के लोगों ने ऐसा बवाल मचाया कि 27 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिनमें दो की हालत गंभीर है. 40 लोगों को भी चोटें आई हैं. इनमें भी 10 गंभीर रूप से घायल हुए हैं. अब तक एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है. मणिपुर में पूरे चार महीने बाद इस स्तर की हिंसा सामने आई है.

मणिपुर में शनिवार से केंद्र का 'फ्री मूवमेंट' वाला फैसला लागू होना था. इसी के विरोध में यहां के कांगपोकपी जिले में कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और बसों की आवाजाही को रोकने की कोशिश करने लगे. कांगपोकपी जिला एक कुकी बहुल इलाका है. यहां प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की एक बस को रोकने का प्रयास किया. यह बस 'फ्री मूवमेंट' सुनिश्चित करने के प्रशासन के प्रयासों के तहत इंफाल से सेनापति जिले में जा रही थी. प्रदर्शनकारियों ने यहां बस पर पथराव किया. जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें खदेड़ा तो इन्हें भी पत्थरबाजी का सामना करना पड़ा. इसी के बाद हालात बिगड़ते चले गए.

मणिपुर पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया है, 'गामगीफाई में भीड़ ने बस पर पथराव करना शुरू किया. सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया. इन लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ कई स्थानों पर सड़क अवरोध लगाए गए थे. बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी सड़कों पर थे, जो बस की आवाजाही को रोकने की कोशिश कर रहे थे. विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों की ओर से सुरक्षा बलों पर गोलीबारी भी हुईं, जिसका सुरक्षा बलों ने जवाब दिया.'

पुलिस ने यह भी बताया कि इम्फाल से लगभग 37 किलोमीटर दूर कीथेलमैनबी में झड़प के दौरान 30 वर्षीय लालगौथांग सिंगसिट नाम के एक व्यक्ति को गोली लगने से मौत हो गई. पुलिस ने बताया, 'सरकार ने हमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुक्त आवाजाही को अवरुद्ध न किया जाए. दुर्भाग्य से एक कुकी व्यक्ति, लालगौथांग सिंगसिट की मौत हो गई.' मणिपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया है कि अभी भी मणिपुर के कुछ इलाकों में केंद्र के इस फैसले के विरोध में तनाव है, लेकिन फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है.

हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने गामगीफाई से कीथेलमनबी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (दीमापुर-इम्फाल) को अवरुद्ध कर दिया. सुरक्षा बलों ने इन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले, नकली बम और लाइव राउंड का इस्तेमाल किया. उपद्रवियों ने भी सुरक्षाकर्मियों पर खूब पत्थर बरसाए. वहां निजी वाहनों को भी आग के हवाले करना शुरू कर दिया. इस दौरान गोलियां भी चलीं. गामगीफाई में रोकी गई बस में मौजूद 16 लोग घायल हुए. कुल 40 लोगों को चोटें आईं, जिनमें से 10 की हालत गंभीर बताई जा रही है. उधर, 27 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं. पुलिस के बयान में कहा गया है, 'प्रदर्शनकारियों में से हथियारबंद बदमाशों द्वारा भारी पथराव, गुलेल के इस्तेमाल और बेतरतीब गोलीबारी के कारण 27 सुरक्षा बल के जवान घायल हो गए, जिनमें 2 एसएफ कर्मी गंभीर रूप से घायल हैं. सुरक्षा बलों के दो वाहन भी जला दिए गए.'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह सुरक्षा बलों और राज्य प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे 8 मार्च से राज्य की सभी सड़कों पर लोगों की स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करें ताकि कुकी और मैतेई लोग कम-कम संख्या में एक-दूसरे के इलाकों आने-जाने लगें. इस पर अलग-अलग कुकी समूहों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी. इनक कहना था कि वे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मैतई लोगों का तब तक विरोध करते रहेंगे, जब तक कि उनकी आठ सूत्री मांगें न मान ली जाएं.

कुकी-जो काउंसिल (KJC) ने शनिवार को हुई हिंसा के बाद सभी पहाड़ी जिलों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है. इनके बयान में कहा गया है, 'पर्याप्त चेतावनियों के बावजूद मैतेई लोगों को कुकी-जो इलाकों में भेजने की राज्य सरकार की हालिया कार्रवाई ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है. इसी कारण लालगुन सिंगसिट की मौत हुई. KJC बफर जोन में मैतेई लोगों की स्वतंत्र आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकता और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकता.' यानी साफ है केंद्र सरकार के 'फ्री मूवमेंट' फैसले का विरोध जारी रहना तय है.

दो साल से जल रहा मणिपुर !

मई 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा की चपेट में है. अब तक करीब 250 लोगों की मौत हो गई है. हजारों की तादाद में लोग विस्थापित हो चुके हैं. मैतई और कुकी समुदाय के बीच यह पूरा विवाद है. मैतेई मुख्य रूप से इम्फाल घाटी के मैदानी इलाकों में रहते हैं और कुकी मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहते हैं. लंबे समय से चल रहे तनाव के कारण ये लोग अपने-अपने गढ़ों में वापस चले गए हैं.

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