G.NEWS 24 : शासन-प्रशासन चाहे तो त्वरित कार्रवाई संभव है, फिर चुनिंदा मामलों में ही तेजी क्यों !

एक बच्चे के अपहरण ने मुख्यमंत्री, सांसद और पुलिस सबको किया सक्रीय...

शासन-प्रशासन चाहे तो त्वरित कार्रवाई संभव है, फिर चुनिंदा मामलों में ही तेजी क्यों !

उक्त तस्वीर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बच्चे को गोद में लिए हुए। यह साफ दर्शा रहा है कि जब आमजन और शासन प्रशासन चाहे, तो त्वरित कार्रवाई संभव है। लेकिन क्या शिवाय एक गरीब का बच्चा होता तब भी यही सक्रियता देखने को मिलती ?

ग्वालियर में एक बड़े व्यापारी के बच्चे के अपहरण की घटना सामने आई, जिसमें मुख्यमंत्री, सांसद और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत सक्रिय हो गए। लेकिन यह सवाल उठता है—जब प्रशासन चाहे, तो त्वरित कार्रवाई संभव है, फिर यही तत्परता आमजन के मामलों में क्यों नहीं दिखती?

CM डॉ. मोहन ने अफसरों की बुलाई थी बैठक, 15 घंटे बाद बरामद हुआ बच्चा, मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि “मुझे यह बताते हुए संतुष्टि है कि अपहरण हुआ ग्वालियर निवासी सात वर्षीय बालक शिवाय गुप्ता, मुरैना में सकुशल मिल गया है। अपहरण की घटना की जानकारी मिलते ही मैंने डीजी पुलिस और एडीजी इंटेलिजेंस को तत्काल आवास बुलाकर पुलिस की कार्रवाई पर विस्तृत जानकारी ली। साथ ही यह स्पष्ट कर दिया था कि बच्चे को खरोंच भी आई तो अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।” 

इसके बाद इस मामले की खुद मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग कर रहे थे। इस दौरान पूरे शहर में शिवाय को किडनैप किए जाने की चर्चा जोरों पर थी। पुलिस किसी भी सूरत में बदमाशों की तलाश करके धर पकड़ की कोशिश में जुटी हुई थी। बड़ी संख्या में मोहल्ले वाले और मीडियाकर्मी शिवाय के घर के बाहर डेरा डाले हुए थे। 

पुलिस को अपहरण की सूचना जल्द ही मिल गई थी, लेकिन अपराधियों का हौसला देखिए कि वे ग्वालियर से मुरैना तक पहुँच गए। जब उन्होंने देखा कि पुलिस, पत्रकारों और आमजन का दबाव लगातार बढ़ रहा है, तब वे अपहृत बच्चे को मुरैना में छोड़कर भाग गए। यह घटना दर्शाती है कि अपराधी बेखौफ होकर अपनी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं, और केवल जब सामाजिक और मीडिया दबाव बनता है, तभी पुलिस व प्रशासन सक्रिय होता है।

कई गंभीर अपराधों में पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटकते रहते हैं, लेकिन जब मामला हाई-प्रोफाइल होता है, तो पूरी व्यवस्था तुरंत हरकत में आ जाती है। क्या यही  प्रशासनिक निष्पक्षता है, या फिर चुनिंदा मामलों में ही तत्परता दिखाने की नीति? सवाल उठता है—क्या हमें हर अपराध में यही एकजुटता नहीं दिखानी चाहिए?

क्या किसी गरीब को न्याय का नहीं है ? जरूरत इस बात की है कि पुलिस और प्रशासन हर अपराध को समान गंभीरता से लें, ताकि आमजन भी खुद को सुरक्षित महसूस कर सके।

- दिव्या सिंह

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