40 करोड़ से अधिक लोग एक सीमित पर एकत्रित हैं,स्नान कर रहे हैं फिर भी ...
प्रयागराज में चल रहे महा कुंभ को लेकर विश्व चकित है......और होना भी चाहिये !
ना कोई मास्क हैं,
ना कोई दूरियां हैं,
ना कोई हाइजीन का पालन है,
ना कोई सैनिटाइजर्स हैं
और कर करोड़ों मानव एक ही नदी में एक सीमित जगह पर स्नानरहे हैं
और कोई महामारी नहीं फैल रही।
सारे कीटाणु और जीवाणु दुम दबाये पड़े हैं....
यही श्रद्धा है....!, यही है माँ गंगा...!
यही आस्था है...!,और यही कुंभ है...!
यही धर्म है....!ही विज्ञान है....!
यही सितारों का योग है...!
जन सैलाब एक ही उद्देश्य को लेकर उमड़ रहा है,
पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति।
ना कोई जात-पात का भेद, ना कोई वर्ण का भेद,
ना कोई ब्राह्मण, ना क्षत्रिय, ना वैश्य और ना शूद्र,
ना कोई ऊंचा, ना कोई नीचा।
यहां सब हैं समान, हे आधुनिक विज्ञान......!!
एक बार फिर से बैठ कर गहन चिंतन कर।
नहीं फैल रही महामारी...!,क्या होता है मोक्ष,
कोशिश करो जानने की।
क्या होते हैं पाप और पुण्य....!क्या होता है पुनर्जन्म...!
जानो आधुनिक विज्ञान...,तुम्हें अभी बहुत कुछ जानना है.......!!
झुको आस्था के आगे,धर्म के आगे
हो सकता है आस्था का विज्ञान,
धर्म का विज्ञान तुमसे बड़ा है....?
थोड़ा झुकना सीखो आधुनिक विज्ञान, कहते हैं झुकने से ज्ञान बढ़ता है...
सत्य सनातन धर्म की जय....तीर्थराज प्रयाग की जय
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