G News 24 : कुछ लोगों को महाकुम्भ में सड़कें,बन्द और जाम दिखे,लेकिन उन्होंने कुंभ की दिव्यता नहीं देखी !

 लोग अपनी नासमझी और मूर्खता को सरकार पर थोपकर कुंभ की व्यवस्थाओं लेकर सवाल उठा रहे हैँ...

कुछ लोगों को महाकुम्भ में सड़कें,बन्द और जाम दिखे,लेकिन उन्होंने कुंभ की दिव्यता नहीं देखी !

राजनैतिक विपक्षी पार्टियों की की तरह कुछ लोगों को महाकुम्भ में सड़कें,बन्द और जाम दिखे ! कुंभ में लोगों कीअपनी नासमझी और मूर्खता के कारण मची भगदड़ में  कुछ लोगों की जान चली गई जो दुःख की बात है ! ऐसा नहीं होना चाहिए था ,लेकिन क्या ये सब रोकने की एवं व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन एवं सरकार की ही है ? जो वहां जा रहे हैं उनकी कोई जबावदारी नहीं बनती है। जब जरूरत से ज्यादा भीड़ एकत्रित होगी तो अव्यवस्था तो फैलेगी ही ! महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए घर से निकलने से पहले सही जानकारी जुटाना आपका दाईत्व नहीं बनता ! 

इतना विवेक तो आपके अंदर होना चाहिए कि 40 से 50 किलोमीटर के दायरे में बने संगम क्षेत्र में जब हजारों नहीं लाखों लोग एक साथ एक ही जगह एकत्रित होंगे तो क्या होगा ! और फिर यहां तो 55 करोड़ लोग अभी तक शामिल हो चुके हैं जहां देश की आधी आबादी से भी ज्यादा लोग आ रहे हैं वहां इस प्रकार की छुटपुट अव्यवस्था फैलना बहुत बड़ी बात नहीं है !

आप सोचकर देखिये की जब किसी के यहां शादी विवाह होता है तो 2 -3 सौ लोगों की व्यवस्था बनाने में लोगों के हाथ-पैर फूल जाते हैं ये तो फिर महाकुंभ है जिसमें  करोड़ो लोगों की भीड़ जुट रही है अब आपको सोचना है  क्या ऐसी स्थिति में उस भीड़ का हिस्सा बनना जरूरी है, और अगर भीड़ का हिस्सा बन ही गए हैं  तो धैर्य रखना भी आना चाहिए। वे-बजह सरकार को कोसना नहीं चाहिए। 

कुछ लोगों ने  कुछ लोगों को महाकुम्भ में सड़कें,बन्द और जाम दिखे ! कुंभ में लोगों कीअपनी नासमझी और मूर्खता के कारण मची भगदड़ में  कुछ लोगों की जान चली गई जो दुःख की बात है ! ऐसा नहीं होना चाहिए था ,इसी महाकुंभ में कुछ लोगों ने महाकुम्भ में अपने माता-पिता और अपने सपने पूरे होते देखे, लेकिन कुछ लोगों ने कुंभ की दिव्यता नहीं देखी ! लेकिन किसी ने भी यह नहीं देखा कि कैसे इतने छोटे से शहर ने लगभग आधे भारत के लोगों के लिए बिजली,पानी,रहने,खाने आदि की सफल व्यवस्था सरकार कैसे की है ! लेकिन किसी ने भी यह नहीं देखा कि 50 करोड़ हिन्दुओं में से किसी ने भी किसी के भोजन या चाय में थूक नहीं डाला ! किसी ने भी यह नहीं देखा कि 50 करोड़ हिन्दुओं में से किसी ने भी किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी, न ही किसी के नरसंहार का आह्वान किया !

किसी ने भी यह नहीं देखा कि 50 करोड़ हिन्दुओं में से किसी ने भी सड़कों, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर पूजा नहीं की, जिससे दूसरों को तनिक भी परेशानी होती,किसी ने भी यह नहीं देखा कि महाकुम्भ में कोई अलग घाट दलितों, ब्राह्मणों, जाटों या अग्रवालों के लिए नहीं था। सभी हिन्दुओं ने साथ में स्नान किया, हर हिन्दू को जातिवाद से नितान्त दूर रहकर समान रूप से सम्मानित किया गया।

किसी ने भी यह नहीं देखा कि 50 करोड़ हिन्दुओं में से कोई भी भूखा नहीं सोया, किसी ने भी यह नहीं देखा कि इतने सारे हिन्दुओं के बावजूद, किसी ने भी अन्य पंथों की धार्मिक संरचनाओं पर न कोई टीका टिप्पणी की और न पत्थरबाजी, न ही अजान या सामूहिक प्रार्थना के दौरान कोई व्यवधान डाला,किसी ने भी यह नहीं देखा कि 50 करोड़ हिन्दुओं में से किसी ने भी किसी विदेशी या अन्य धमावलंबी को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित नहीं किया। सभी को इसे ध्यान से देखना चाहिए और सनातन संस्कृति को, देव संस्कृति को नमन करना चाहिए।

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