G News 24 : जज के सामने ही कोर्ट रूम से जबरन आदिवासी को बाहर ले जाने का प्रयास !

 जस्टिस बोले जब मेरे सामने ये हाल हैं तो...

जज के सामने ही कोर्ट रूम से जबरन आदिवासी को बाहर ले जाने का प्रयास !

ग्वालियर। मध्यप्रदेश मे दबंग भूमाफिया कितना बेखौफ़ हैं, जिसे देखकर हाईकोर्ट जज भी न केवल चौंक पड़े बल्कि दंग रह गए। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई के दौरान बंधुआ बनाकर रखे गए एक भू स्वामी को भू माफिया जज के सामने उनके चेम्बर से जबरन बाहर ले जाने लगा। जस्टिस साहब की निगाह इस पर पड़ी तो वे दंग रहकर चौंक पड़े और हस्तक्षेप करते हुए दोनों दबंगों को बाहर निकालने के आदेश दिए और बोला कि जब अभी मेरे सामने ये हाल हैं तो आगे क्या होगा? कोर्ट ने इस मामले मे अशोकनगर कलेक्टर और एसपी को कड़े निर्देश भी दिए। हाईकोर्ट ने बंधुआ मजदूर को भू-माफिया द्वारा जबरन बाहर ले जाने की कोशिश पर एसपी को सख्त निर्देश दिए और विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई। पति-पत्नी को पुलिस सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। 

मामला संभाग के अशोकनगर का था। यहां दबंग और राजनीतिक रसूख वाले लोग आज भी आदिवासी लोगों को बंधुआ बनाकर रख रहे हैं। मामला अशोकनगर की ईसागढ़ तहसील के ग्राम अकलौन, बृजपुरा और कुलवर्ग में लगभग 4.87 हेक्टेयर जमीन से जुड़ा हुआ है। इस जमीन की भूस्वामी मुन्नी बाई हैं। हाई कोर्ट में इससे जुड़े मामले की सुनवाई थी। इसी दौरान आदिवासी मुन्नी ने रोते हुए कोर्ट से कहा कि मेरे पति छोटेलाल को हरदीप रंधावा ने बंधुआ बनाकर रखा हुआ है। मेरे नाम से जमीन है, ये लोग उससे जबरन लेकर किसी और को बेचना चाहते हैं। यह सुनकर कोर्ट ने प्रशासन और पुलिस को मुन्नी बाई के पति को चार बजे पेश करने का निर्देश दिया। लंच के बाद कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो तो छोटेलाल अशोकनगर से आकर चार बजे से पहले ही कोर्ट रूम में आकर पीछे बैठ गया। इस बीच रंधावा के साथी गौरव शर्मा और उसके पिता धर्मपाल शर्मा कोर्ट रूम में आए और छोटेलाल को जबरन कोर्ट रूम से बाहर ले जाने लगे।

कोर्ट की जैसे ही इस घटनाक्रम पर निगाह पड़ी तो कोर्ट चौंक गया। उन्होंने न केवल इस पर अपनी आपत्ति जताई बल्कि निर्देश देकर गौरव और उसके बाप को कोर्टरूम से बाहर करवा दिया। इस घटनाक्रम से नाराज जस्टिस आनंद पाठक ने कहा कि जब हमारे सामने ये हाल है तो फिर बाद में क्या होगा? इस घटनाक्रम के बाद लगभग आधे घंटे तक इस मामले की सुनवाई चली और सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस हिरदेश की डिवीजन बेंच ने अशोकनगर कलेक्टर और एसपी को विभिन्न बिंदुओं पर आदेश दिए। साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि प्रकरण खत्म होने तक मुन्नीबाई के नाम से जमीन की खरीद फरोख्त नहीं हो सकेगी।

इस मामले में छोटेलाल आदिवासी ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी इसमें पति ने कहा कि बेटी-दामाद ने पत्नी को कब्जे में कर लिया है। जबकि पत्नी ने कहा कि मेरा पति ही बंधुआ मजदूर है। छोटेलाल ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इसमें बेटी रामकली बाई, उसके पति रमेश और उसकी सास सरस्वती बाई पर पत्नी मुत्रीबाई का जबरन कब्जे में रखने का आरोप लगाया। याचिका में बताया कि पत्नी कुंभ स्नान के लिए 29 जनवरी को गई। उसके बाद से कोई खबर नहीं। 2 फरवरी को पुलिस में इसकी सूचना दी। बाद में याचिका लगाई।

कोर्ट के निर्देश पर अशोकनगर पुलिस ने मुन्नी बाई को हाईकोर्ट में पेश किया। उसने बताया कि मेरे नाम जमीन है, जिसे हरदीप सिंह रंधावा (पूर्व सरपंच, ग्राम शंकरपुर) किसी और को बेचना चाहता है। मेरा पति और मैं कई सालों से उसी के कब्जे में हैं। तब खुलासा हुआ कि जिस पति ने रिश्तेदारों पर पत्नी को कैद करने का आरोप लगाया, दरअसल वह खुद ही बंधुआ मजदूर है। एडवोकेट विभोर साहू ने कोर्ट को बताया कि रंधावा परिवार से बचने के लिए ही मुन्नीबाई ग्राम सुरेल (पुलिस थाना चंदेरी) चली गई थी। सुरेल में उसके रिश्तेदारों के साथ ही 300 से ज्यादा आदिवासी परिवार रहते हैं।

इस मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने विवादित जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने का आदेश देते हुए यह भी निर्देशित किया कि कलेक्टर अशोकनगर बीते दस साल में उन तमाम जमीन के सौदों की जांच करें, जिसमें जमीन बेचने वाला आदिवासी और खरीदने वाला अन्य समुदाय से हो। दो सप्ताह में उन्हें विस्तृत जांच रिपोर्ट देनी होगी। हाईकोर्ट ने एसपी अशोकनगर को निर्देश दिए कि वह छोटेलाल और उसकी पत्नी मुन्नीबाई को पुलिस सुरक्षा प्रदान करें। व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी भी रखें। पति-पत्नी को ग्राम सुरेल में साथ रखें और वहां पूरी पुलिस सुरक्षा दें।

 साथ ही यह भी कहा कि यदि जिले में किसी से भी जमीन छुड़ाने के उद्देश्य से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है तो कलेक्टर उसकी भी जांच कराएं। यदि कोई भी व्यक्ति इसमें बाधा डालता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। सुनवाई के दौरान महज चार घंटे में अशोकनगर से छोटेलाल के ग्वालियर पहुंचने पर हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि ग्वालियर से अशोकनगर चार घंटे में तभी आ सकते हैं, जब आपके पास लग्जरी कार हो। इनकी शक्ल देखकर तो नहीं लग रहा कि इनके पास मंहगीं कारें होंगी। ऐसा लगता है जैसे छोटेलाल तो डमी है। केस कोई और लड़ रहा है। 




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