2023 के आदेश को चुनौती देते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी...
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद HC से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनवाई टाली !
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवारी मस्जिद के अंदर मौजूद कथित शिवलिंग को छोड़कर वजूखाना क्षेत्र का एएसआई सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर के आदेश के मद्देनजर टाली गई है.वाराणसी की जिला अदालत के 21 अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी. निचली अदालत ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे का आदेश देने से मना कर दिया था.
जस्टिस रोहित रंजन की पीठ ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों से धार्मिक स्थलों से संबंधित मुकदमों में आदेश पारित करने से मना किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के जरिए वाराणसी की अदालत में वादी राखी सिंह द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया गया.
नीचली अदालत ने भी टाल दी थी सुनवाई
वाराणसी की जिला अदालत के 21 अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी. निचली अदालत ने भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे का आदेश देने से मना कर दिया था. सोमवार को जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई, अदालत को बताया गया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर अप्रैल, 2025 के पहले सप्ताह में सुनवाई किए जाने की संभावना है. इस पर अदालत ने सुनवाई टाल दी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट, 1991 पर सुनवाई करते हुए किसी भी धार्मिक स्थल के सर्वे पर रोक लगा दी थी. प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट, 1991 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अगली सुनवाई अप्रैल के महीने में होनी है.
क्या है प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट, 1991
देश में मुख्तलिफ धर्मों के पूजा स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने के लिए 15 अगस्त 1991 को प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट, 1991 लागू किया गया था. कानून में यह भी जिक्र किया गया था कि देश में आजादी के समय यानी 15 अगस्त 1947 को जो पूजा स्थल थे, वे उसी स्थिति में रहेंगे.
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