पीडि़ता के लिए संजीवनी बने डॉक्टर...
तेजाब से झुलसी पीडि़ता का अनुभव संग तकनीक एवं 8 वर्षों की मेहनत से मिटाया तेजाब का दंश !
ग्वालियर। आज के दौर में, चिकित्सा क्षेत्र के पास काफी बड़ी ताकत है। इसका समय रहते लाभ लेने से उन लोगों के जीवन में भी रोशनी आ जाती है जो सालों से खुद को अंधकार में समेटे हुए हैं। हालांकि ऐसा उपचार करने के लिए बेहतर अनुभव और ज्ञान भी जरूरी है। साथ ही लोगों में नई चिकित्सा तकनीकों को लेकर भी जागरुकता होनी चाहिए। यह बात शनिवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. शाहीन नूरेयजदान ने कही।
उन्होंने बताया कि एक तेजाब पीडि़ता को संजीवनी दी। बताया कि कैसे उन्होंने उन्नत पुनर्निर्माण सर्जरी के जरिए तेजाब पीडि़ता के जीवन और गरिमा को बहाल किया? डॉ. शाहीन नूरेयजदान ने तेजाब पीडि़ता और उसके संघर्ष को सबके सामने लाते हुए उनकी चिकित्सा यात्रा के बारे में भी बताया जो किसी दुर्लभ मैराथन से कम नहीं है।
सालों से हर दिन तेजाब की आग में झुलस रही पीडि़ता ने भी अपने संघर्ष पर खुलकर बात की।
हर दिन आग महसूस करने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और करीब आठ साल बाद डॉक्टरों की मदद से वह तेजाब का दंश मिटाने में कामयाब रहीं। आठ साल में चेहरे और उनकी गर्दन को लेकर 14 पुनर्निर्माण सर्जरी हुईं। इस यात्रा में सहायता के लिए 39 लेजर प्रक्रियाओं का पालन किया गया। इन जटिल ऑपरेशनों में पलक, नाक और भौंह के पुनर्निर्माण के साथ-साथ एक आधुनिक नेत्र कृत्रिम अंग के साथ आंख के सॉकेट का पुनर्निर्माण भी किया जो सामान्य तौर पर आंख के साथ चलता है।
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