G News 24 : दिल्ली के चुनावों से ठीक पहले,मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए चल दिया बड़ा दांव !

 चुनाव से पहले कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक...

दिल्ली  के चुनावों से ठीक पहले,मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए चल दिया बड़ा दांव !

राजनीति में सही समय पर उठाया गया कदम बहुत मायने रखता है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) के समर्थन में याचिका दाखिल कर बड़ा दांव खेला है. जहां बीजेपी और आम आदमी पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर आमने-सामने हैं, वहीं कांग्रेस ने इस कदम से अपने एजेंडे को साफ कर दिया है.

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर कांग्रेस का रुख

कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि 1991 में कांग्रेस सरकार ने यह कानून पास किया था, जो देश के सामाजिक सौहार्द और सेकुलर ढांचे की रक्षा करता है. पार्टी का कहना है कि इस कानून में बदलाव से देश की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के जरिए दाखिल इस याचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून से छेड़छाड़ करना देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए हानिकारक होगा.

दिल्ली चुनाव और मुस्लिम वोटबैंक का गणित

दिल्ली में करीब 13 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जो 12 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस ने इन्हीं वोटर्स को साधने के लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का मुद्दा उठाया है. राहुल गांधी ने प्रचार की शुरुआत दिल्ली के सीलमपुर से की, जो मुस्लिम बहुल इलाका है. यहां उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दे उठाए और कांग्रेस की नीतियों को उनके पक्ष में बताया.

बीजेपी, आप और AIMIM पर असर

कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर सीधा असर पड़ सकता है. बीते दो विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटर्स आम आदमी पार्टी के साथ थे, जबकि इससे पहले ये वोटर्स दशकों तक कांग्रेस के साथ रहे. वहीं, AIMIM ने भी दंगा आरोपियों को टिकट देकर खुद को मुसलमानों का रहनुमा दिखाने की कोशिश की है. ऐसे में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटर्स को अपने पक्ष में करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट और बढ़ता विवाद

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) का मकसद धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखना है. लेकिन हाल के वर्षों में देश के कई हिस्सों में इस कानून को लेकर विवाद बढ़ा है.

  • -संभल की जामा मस्जिद
  • -काशी की ज्ञानवापी मस्जिद
  • -मथुरा की शाही ईदगाह
  • -मध्य प्रदेश की भोजशाला

इन मामलों में मंदिर होने के दावों के साथ सर्वे की मांग की जा रही है. कांग्रेस ने इस एक्ट पर अपना रुख साफ कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

क्या कांग्रेस का दांव सफल होगा !

कांग्रेस के इस कदम ने दिल्ली के चुनावी दंगल को और दिलचस्प बना दिया है. हालांकि, बीजेपी और आप इस पर हमलावर हैं. सवाल यह है कि क्या कांग्रेस का यह मास्टरस्ट्रोक मुस्लिम वोटर्स को अपनी तरफ खींच पाएगा !

Reactions

Post a Comment

0 Comments