26/11 के आरोपी का प्रत्यर्पण होने वाला है, वहीं उसे सजा से बचाने वाले कानून के दलाल भी तैयार हैं ...
भारत में तहव्वुर राणा की पैरवी को तैयार,सिब्बल जैसे वकील उसे वो सजा होने देंगे,जो उसे मिलना चाहिए !
26/11 हमले का मुख्य रचयिताओं में एक तहव्वुर राणा को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने की सुनवाई के बाद ही भारत को प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दी - भारत ने उसके प्रत्यर्पण के लिए 2019 में अमेरिका से अनुरोध किया था - राणा को अमेरिका में 2013 में 14 साल की सजा हुई थी और इसके बाद अभी डेविड हेडली का नंबर है जो 2013 से 35 साल की सजा भुगत रहा है - हेडली से NIA पूछताछ कर चुकी है -
राणा का जन्म पाकिस्तान का है और वह कनाडा में बस गया था -तहव्वुर राणा मौजूदा समय में लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है। 63 वर्षीय राणा लश्कर-ए-तैयबा का एक्टिव मेंबर था और उसने आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को मदद पहुंचाई थी - हेडली मुंबई अटैक का मास्टरमाइंड है। भारत उसके भी प्रत्यर्पण की मांग लंबे समय से करता आ रहा है - अब भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को लाने का रास्ता साफ हो गया है
राणा ने मदद की हेडली की और हेडली ने पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को 26 / 2008 का हमला करने के लिए सहायता की थी
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि राणा का भारत में उसके बचाव के लिए वकील कौन होगा - पुराना पाकिस्तानी है, कांग्रेस में तड़प तो होगी उसे बचाने की और जमीयत उलेमा ए हिंद तो है ही उसके बचाव का प्रबंध करने के लिए - कसाब को सरकार से (Maharashtra State Legal Services Department) अमीन सोनकर और फरहाना शाह दिए गए थे -
भारत में आतंकियों और दंगाइयों के लिए खड़े होने वालों की कमी नहीं है जबकि राणा जैसे अपराधी की किसी वकील को पैरवी नहीं करनी चाहिए, 175 लोगों की हत्या हुई थी कसाब गैंग के मुंबई पर हमले में, फिर कैसी सहानुभूति -
आपको याद होगा बांग्लादेश में इस्कॉन के साधु Chinmoy Krishna Das का किसी भी मुस्लिम वकील ने केस लड़ने से मना कर दिया था और उन्हें आजतक जमानत नहीं दी गई है - लेकिन भारत में सैफ अली खान के कथित बांग्लादेशी हमलावर मोहमद शहजाद के 2 हिंदू वकील कोर्ट में भिड़ गए और दोनों उसके वकील बनना चाहते थे - तब मजिस्ट्रेट ने कहा, दोनों टीम बना कर पैरवी करो और एक वकील संदीप सुखाने का नाम तो सामने आया लेकिन दूसरे का नाम पता नहीं चला - संदीप ने तो यहां तक कह दिया कि शहजाद बांग्लादेशी है ही नहीं - अब पूछिए इन दोनों वकीलों से कि आप लोगों को केस लड़ने के लिए पैसा किसने दिया -
चंदन गुप्ता के केस में ट्रायल कोर्ट ने 28 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा देते हुए यह सवाल उठाया था कि दंगे के आरोपियों की पैरवी को देशी / विदेशी NGOs और अन्य संगठन कैसे सामने आ जाते हैं - उन 7 संगठनों के नाम भी दिए जो चंदन गुप्ता के हत्यारों को बचा रहे थे और जज साहब ने गृह मंत्रालय को अपने फैसले की कॉपी भेजते हुए इसकी जांच करने का अनुरोध भी किया है -
तहव्वुर राणा के वकीलों पर भी नज़र रखनी चाहिए - कौन उन्हें पैसा देगा और कितनी जल्दी उसकी जमानत कराने में वे सफल होते हैं - याद रहे Article 21 of the Indian Constitution guarantees the right to life and personal liberty -
अब यह भारतीय संविधान है तो भारतीय नागरिकों पर ही लागू होना चाहिए लेकिन इसकी व्याख्या कर दी गई और कह दिया गया कि it applies to foreigners. It guarantees the right to life and personal liberty to all people, including non-citizens.
और कुछ पता नहीं सुप्रीम कोर्ट तक सभी कोर्ट उतावले हो जाएं तहव्वुर को जमानत देने के लिए - आखिर उसका भी तो निजी आज़ादी (personal liberty) का अधिकार होगा - वैसे आतंकियों और दंगाइयों के सबसे बड़े वकीलों में कपिल सिब्बल सबसे ऊपर होते हैं.
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