ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल की बिगड़ी लगातार बिगड़ती व्यवस्थाएं ...
न्यूरोलॉजी में मोबाइल टोर्च की रोशनी में इलाज करने को मजबूर डॉक्टर !
ग्वालियर।शहर का सरकारी अस्पताल, जयारोग्य अस्पताल, जो कि चंबल अंचल का सबसे बड़ा सरकारी चिकित्सा केंद्र है, हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना के कारण सुर्खियों में आ गया है। अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में इलाज कर रहे चिकित्सकों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वे मोबाइल की टोर्च की रोशनी में मरीज का इलाज करते हुए नजर आ रहे हैं। इस घटना ने अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं को उजागर कर दिया है और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में मोबाइल की टोर्च की रोशनी में इलाज करते डॉक्टरों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल। क्या सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की यह कमी नहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर वायरल हुआ यह वीडियो ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट का है, जिसमें एक डॉक्टर अपने मरीज का इलाज मोबाइल के टोर्च की रोशनी में करता हुआ दिखाई दे रहा है।
अस्पताल में बिजली की कमी के कारण या फिर अन्य व्यवस्थाओं की कमी के कारण इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई। वीडियो में डॉक्टर पर्चे लिखते हुए दिख रहे हैं और कमरे में कोई उचित लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है, केवल मोबाइल की टोर्च की हल्की रोशनी में उनका काम हो रहा है।
वीडियो वायरल होने के बाद से यह मामला चर्चा का विषय बन गया है और अस्पताल प्रशासन के लिए यह एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण बन गया है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकारी अस्पतालों में न केवल मरीजों के लिए उचित इलाज की कमी है, बल्कि डॉक्टरों को भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं का खुलासा
जयारोग्य अस्पताल में यह घटना केवल एक उदाहरण है, बल्कि यह अस्पताल की आम स्थिति को भी दर्शाती है। अस्पताल में समय-समय पर बिजली की समस्या सामने आती रहती है, जिससे मरीजों को इलाज में कठिनाइयाँ होती हैं। इसके अलावा, अस्पताल में दवाइयाँ, चिकित्सा उपकरण और अन्य बुनियादी सुविधाओं की भी भारी कमी है। वीडियो में देखा जा सकता है कि डॉक्टर इलाज के लिए आवश्यक रोशनी की व्यवस्था के बिना काम करने को मजबूर हैं, जिससे मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है।
अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि वे इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे और अस्पताल के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। इस वीडियो के बाद अब प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जा रहा है और लोगों में गुस्सा साफ तौर पर देखने को मिल रहा है।
सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल
ग्वालियर का जयारोग्य अस्पताल एक बड़ा सरकारी अस्पताल है, जहां दूर-दूर से लोग इलाज के लिए आते हैं। यह अस्पताल न केवल ग्वालियर, बल्कि आसपास के जिलों के मरीजों के लिए भी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है। लेकिन, हालिया घटनाओं ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले भी, सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट की खबरें सामने आती रही हैं।
यह मामला इस बात का संकेत है कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भारी सुधार की आवश्यकता है। जहां एक तरफ सरकारें स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े-बड़े वादे करती हैं, वहीं दूसरी तरफ इस प्रकार की घटनाएं समाज में सरकारी अस्पतालों की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। यह घटना केवल ग्वालियर के अस्पताल की नहीं, बल्कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता की पोल खोलती है।
क्या है राज्य सरकार का रवैया !
राज्य सरकार ने हमेशा यह दावा किया है कि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत दिखाई देती है। अस्पतालों की हालात में सुधार के बजाय, अधिकांश सरकारी अस्पतालों में स्थिति और भी खराब होती जा रही है। जयारोग्य अस्पताल की इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या सरकार वास्तव में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए गंभीर है, या फिर यह केवल एक राजनीतिक एजेंडा है। हालांकि, सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले में बयान दिया है कि वे इस घटना की गंभीरता से जांच करेंगे और दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम केवल प्रतिक्रिया के रूप में लिया जा रहा है, या वास्तव में सरकारी अस्पतालों के ढांचे में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।
मरीजों की बढ़ती परेशानियाँ
इस घटना के बाद, अस्पताल के मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं। एक मरीज के परिजनों ने कहा, "हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था, इसलिए हम यहाँ इलाज के लिए आए थे। लेकिन अब इस घटना को देखकर हमें यह समझ में आ गया है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना कितना खतरनाक हो सकता है। हम भी यह सोच रहे हैं कि क्या हमें यहां इलाज करवाना चाहिए या किसी निजी अस्पताल में जाना चाहिए।ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में इलाज करवा रहे मरीजों का कहना है कि उन्हें पहले ही अस्पताल की खराब व्यवस्था का सामना करना पड़ता था, और अब इस वीडियो ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है। मरीजों के अनुसार, अस्पताल में ना तो समय पर दवाइयाँ मिलती हैं, और ना ही कर्मचारियों का व्यवहार ठीक होता है। ऐसी स्थितियों में मरीजों को इलाज करवाना और भी मुश्किल हो जाता है।
प्रशासन की भूमिका
इस मामले में प्रशासन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यदि प्रशासन जल्द ही अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार करने के लिए कदम नहीं उठाता, तो मरीजों और उनके परिवारों का विश्वास सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से उठ सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की तुरंत समीक्षा करे और सुनिश्चित करे कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सके। इसके अलावा, अस्पताल के कर्मचारियों के लिए भी प्रशिक्षण और सुविधाएँ बढ़ानी चाहिए, ताकि वे मरीजों को बेहतर तरीके से सेवा दे सकें। अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में मोबाइल की टोर्च की रोशनी में इलाज की घटना ने राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी का काम किया है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है और इससे मरीजों की जिंदगी पर खतरा मंडरा सकता है। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हो और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।
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