प्रशासन से लेकर पुलिस ने जो प्रयोग किए, वह सफल नही हो सके है...
ये है स्मार्ट शहर ग्वालियर, जहां रेंग कर चलता है ट्रैफिक !
ग्वालियर । शहरों की सूरत बेहतर बनाने के लिए मोदी जी ने 10 वर्ष पहले 100 स्मार्ट शहर बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए केंद्र से पैसा भी उन्होंने खूब दिया। लेकिन उस पैसे से 100 में से 99 स्मार्ट शहर बने कि नहीं पता नहीं लेकिन ग्वालियर के हालात की बात करें तो करोड़ों की राशि खर्च करने के बाद भी आज ये स्थिति है कि हर रोज ट्रैफिक रेंग कर ही चल रहा है। प्रशासन से लेकर पुलिस ने जो प्रयोग किए, वह सफल नही हो सके है। यही कारण है कि ग्वालियर को स्मार्ट शहर तो कहा जाने लगा है, लेकिन यहां का ट्रैफिक किस तरह से चलता है यह किसी से छिपा नहीं है। शहर की आबादी बढ़ने के साथ ही सीमा का विस्तार भी हुआ है, लेकिन ट्रैफिक के हालात जिस तरह से बिगड़े हुए हैं, उसमें लोग हर रोज सर्दी के मौसम में भी सड़कों से निकलने के लिए पसीना बहाने को मजबूर होते हैं।
ऐसा नहीं है कि सड़कों का चैड़ीकरण न हुआ हो, लेकिन वाहन भी उसी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। हालात यह हैं वाहनों की रेलमपेल से हर जगह जाम लगा रहता है। कहने को स्मार्ट शहर बनाने के लिए करोड़ों की राशि खर्च की जा चुकी है पर उसके बाद भी शहर की सूरत बिगड़ी हुई नजर आ रही है, तो जिम्मेदारों पर सवाल उठना लाजिमी है। शहर का लगातार विस्तार होता जा रहा है। शहर को स्मार्ट बनाने केलिए करोड़ों की राशि खर्च की जा चुकी है, लेकिन यह राशि किस तरह से खर्च की जा रही है, वह किसी से छिपा नहीं है, पर उसको लेकर किसी भी जनप्रतिनिधि ने सवाल उठाने की हिमाकत नहीं की है। अब इसके पीछे क्या कारण है यह जनप्रतिनिधि ही बता सकते हैं। स्मार्ट सिटी के तहत शहर के कुछ हिस्सों में ही सड़कों को ठीक किया गया है? सड़कें खुदी पड़ी हैं, जिसके कारण भी ट्रैफिक बदहाल हो रहा है, क्योंकि जो सड़के खुदी हैं और जहां पाइप लाइन डालने का काम किया जा रहा है, उसके कारण ट्रैफिक एक ही सड़क पर आ गया है।
शहर की आबादी इस समय करीब 15 से 16 लाख के बीच है और यहां वाहनों की संख्या 7 लाख से ऊपर हो चुकी है। इसमें लोकल परिवहन के वाहन अलग से हैं, जो शहर की सड़कों पर ट्रैफिक की चाल बिगाड़ने में सहायक बने हुए हैं। नए साल का आगाज भी सड़कों पर वाहनों के रेंगकर चलने के साथ हुआ और हालत इस कदर बिगड़ी थी कि एक रास्ते से निकलने में ही लोगों को घंटों का इंतजार करना पड़ा। पुलिस किसी भी चैराहे पर दिखाई तक नहीं दी थी।
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