13 जनवरी जेड मोड़ सुरंग को राष्ट्र के नाम समर्पित करके मोदी करेंगे एक टनल से दो शिकार...
Z Morh सुरंग ने उड़ा दी है चीन-पाकिस्तान की नींद; भारत के लिए है गेमचेंजर !
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल का दौरा करने जा रहे हैं. 2024 के विधानसभा चुनाव और केंद्र शासित प्रदेश में निर्वाचित सरकार के गठन के बाद पीएम मोदी की जम्मू और कश्मीर की पहली यात्रा होगी. पीएम मोदी यहां पर 'जेड मोड़' सुरंग का उद्घाटन करने वाले हैं. इस 'जेड मोड़' सुरंग को लेकर भारत समेत, पाकिस्तान, चीन में हल्ला है. सीमाओं के उस पार के लोगों की नींद उड़ी है. इसी सुरंग को बनने से रोकने के लिए आंतकियों ने खूब कोशिश की. हमला किया. लेकिन काम नहीं बंद हुआ और सोमवार को इसी सुरंग के उद्घाटन के लिए देश के पीएम मोदी गांदबल जा रहे हो, यानी यह सुरंग कोई आम सुरंग नहीं है. तो आइए जानते हैं 'जेड मोड़' टनल की खासियत. क्या होगा भारत का इससे फायदा. चीन, पाकिस्तान की क्यों उड़ी है नींद.क्या है जेड-मोड़ सुरंग !
सुरंग का निर्माण हिमस्खलन की आशंका वाले क्षेत्र में किया जा रहा है, जिससे सर्दियों के अधिकांश समय में सोनमर्ग की सड़क दुर्गम हो जाती है. सुरंग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कश्मीर के एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल सोनमर्ग को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करेगी. जिस जगह पर सुरंग स्थित है, वहां Z-आकार की सड़क के कारण सुरंग को Z-मोड़ नाम दिया गया है. इस सुरंग का उद्देश्य श्रीनगर से सोनमर्ग और बाद में लद्दाख के बीच पहुंच को बेहतर बनाना है. 8,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, सड़क का यह हिस्सा विशेष रूप से सर्दियों के मौसम की स्थिति के लिए संवेदनशील है, और सुरंग का उद्देश्य इन चुनौतियों को कम करना है.
जेड-मोड़ सुरंग भारत के लिए क्यों खास !
Z-मोड़ सुरंग कश्मीर घाटी और लद्दाख दोनों के लिए रणनीतिक और आर्थिक महत्व रखती है. इसका तात्कालिक लाभ सोनमर्ग तक साल भर पहुंच सुनिश्चित करना है, साथ ही यह लद्दाख को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों से लद्दाख की निकटता को देखते हुए, सुरंग सैन्य कर्मियों के लिए तेज़ और अधिक विश्वसनीय पहुंच प्रदान करेगी. जोजिला सुरंग का निर्माण दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है, तब इसका महत्व और बढ़ जाएगा, जो अंततः सोनमर्ग को लद्दाख में द्रास से जोड़ेगी, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी और बढ़ेगी.
सुरंग का काम 2012 में शुरू
सुरंग का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 2012 में शुरू किया था, परियोजना को टनलवे लिमिटेड को दिया गया था. हालांकि, बाद में इसे राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने अपने अधीन ले लिया, जिसने परियोजना के लिए फिर से निविदा जारी की. अनुबंध अंततः APCO इंफ्राटेक द्वारा संरक्षित किया गया था, जो एक विशेष प्रयोजन वाहन, APCO -श्री अमरनाथजी टनल प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है. 2,680 करोड़ रुपये की लागत वाली यह द्विदिश सुरंग साल भर लद्दाख घाटी में नागरिक और सैन्य दोनों तरह की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण है.
6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग 2,400 करोड़ रुपये की लागत
जेड-मोड़ सुरंग जम्मू और कश्मीर में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बुनियादी ढांचा परियोजना है जिसका उद्घाटन 13 जनवरी को पीएम मोदी करने आ रहे हैं. सुरंग के खुलने से कश्मीर सोनमर्ग और लद्दाख के बीच साल भर संपर्क आसान हो जाएगा. गंदेरबल जिले के गगनगीर इलाके में श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर 6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग 2,400 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है. इस सुरंग के शुरू होने के बाद आम लोगों के साथ ही देश के सशस्त्र बलों को भी बड़ा होने की उम्मीद की जा रही है. जेड मोड़ सुरंग श्रीनगर-लेह हाईवे (NH-1) पर बनाई गई है.
पाकिस्तान, चीन की उड़ी नींद !
भारतीय सेना के लिए के यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण र्है. जेड-मोड़ सुरंग, जोजिला सुरंग परियोजना के साथ मिलकर लद्दाख में सुरक्षा बलों की तेज़ आवाजाही सुनिश्चित करेगी. द ट्रिब्यून में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1999 के युद्ध के दौरान कारगिल में आपूर्ति भेजने में रक्षा बलों द्वारा सामना की गई कठिनाइयों के बाद जेड-मोड़ और जोजिला सुरंगों के माध्यम से लद्दाख को कश्मीर क्षेत्र से जोड़ने का विचार सामने आया था. पूरा होने पर, दोनों सुरंगें लद्दाख को सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, एक ऐसा क्षेत्र जो अक्सर भारी बर्फ जमा होने के कारण महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कटा रहता है.
जम्मू विश्वविद्यालय में सामरिक और क्षेत्रीय अध्ययन विभाग के निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र कौंडल ने बताया कि एक बार जोजिला सुरंग पूरी हो जाने के बाद, "भारत का पाकिस्तान और चीन पर भू-रणनीतिक प्रभुत्व होगा," क्योंकि इससे इस क्षेत्र में सैनिकों की तेज़ आवाजाही संभव हो सकेगी. उन्होंने आगे बताया कि 1999 के युद्ध के दौरान, रक्षा बलों को पाकिस्तान की सीमा से लगे अग्रिम क्षेत्रों में आपूर्ति और तोपखाना भेजने में संघर्ष करना पड़ा था. हालांकि, ज़ेड-मोड़ और जोजिला सुरंगों के पूरा होने से, रक्षा बलों को रणनीतिक लाभ मिलेगा, जिससे वे लद्दाख में भारी तोपखाना जल्दी से तैनात कर सकेंगे.
0 Comments