यह राजा छिपाते थे अपना खजाना...
दोस्ती की मिसाल है MP के ग्वालियर की ये ऐतिहासिक धरोहर !
ग्वालियर। शहर की एक ऐसी ऐतहासिक धरोहर है, जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं। जिसे लधेड़ी अथवा बुलंद दरवाजा,हथिया पौर के नाम से भी जाना जाता है। इस दरवाजे का निर्माण 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है।
मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। यहां पर लधेड़ी दरवाजा मौजूद है, जिसे ग्वालियर का बुलंद दरवाजा भी कहा जाता है। यह इस शहर की ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं। इस दरवाजे का निर्माण 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है, जब तत्कालीन राजा कल्याण मल रियासत में थे। बता दें कि यह दरवाजा दोस्ती की मिसाल है। आज भी यह दरवाजा उसी शान से खड़ा है, जो कि ग्वालियर और जौनपुर के शासकों की दोस्ती की मिसाल है। जिसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना है।
रोचक कहानी
हालांकि, जितनी ही यह देखने में शानदार है, उतनी ही डरावनी इसकी कहानी भी है। कई लोग आज भी यहां से होकर गुजरने में काफी डरते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजाओं ने शहर की सीमा से बाहर इस दरवाजे को बनवाया था, जहां दोषियों को सजा दी जाती थी। इतिहासकारों का कहना है कि यहां पर अपराधियों को लटका कर कई दिनों तक उन्हें यातनाएं दी जाती थी। तो वहीं कुछ शहर वासियों का यह भी कहना है कि यहां पर गलत काम करने वालों को खुलेआम फांसी भी दिया जाता था।
कुछ कथाओं में इस दरवाजे को लेकर अन्य बात ही कही गई है। जिसके अनुसार, राजा ने अपने खजाने को छिपाने के लिए दरवाजे का निर्माण करवाया था। साथ ही एक निशानी के तौर पर भी इसे बनवाया गया था, जो आज ग्वालियर की ऐतिहासिक धरोहर है। जिसकी देखरेख वर्तमान में राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा किया जाता है।
यदि आप भी इस शहर को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप गर्मी के मौसम में यहां जा सकते हैं। हालांकि, हर मौसम में यहां का तापमान अच्छा रहता है। यहां आप ग्वालियर किला, जय विलास पैलेस, गुजरी महल, चतुर्भुज मंदिर, ,सूर्य मंदिर, सहस्त्रबाहु मंदिर, तानसेन मकबरा, तिघरा बांध आदि जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हैं। ग्वालियर अपने वस्त्रों और हथकरघा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में यदि आप इन चीजों के शौकिन हैं, तो आप यहां के लोकल मार्केट भी घूम सकते हैं।
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