G News 24 : HMPV के बढ़ते मामलों लेकर सरकार अलर्ट,भारत में इसके चार मामले सामने आ चुके हैं !

 मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी; अस्पतालों को अलर्ट मोड में रहने के आदेश...

HMPV के बढ़ते मामलों लेकर सरकार अलर्ट,भारत में इसके चार मामले सामने आ चुके हैं !

देश में HMP वायरस के कुछ केस सामने आए हैं। इसपर हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने कहा है कि यह वायरस कोई नया वायरस नहीं है। पहली बार 2001 में पहचान हुई थी। ये हवा के जरिए सांस लेने से फैलता है। उन्होंने कहा कि इसपर चिंता की कोई बात नहीं है, WHO इसपर नजर बनाए हुए है। मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी; अस्पतालों को अलर्ट मोड में रहने के आदेश

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) ने दुनिया में दहशत पैदा कर दी है। लोगों के मन में सवाल उठने लगा है कि क्या एक बार फिर कोरोना जैसा कहर लोगों पर टूटने वाला है। कोरोना महामारी से अभी दुनिया पूरी तरह उबरी नहीं है कि HMPV नाम के इस नए वायरस ने लोगों को डरा दिया है। भारत में इसके चार मामले सामने आ चुके हैं। दो मामले कर्नाटक में मिले हैं, तीसरा केस गुजरात के अहमदाबाद में और चौथा कोलकाता में सामने आया है।

HPMV को लेकर सरकार ने कसी कमर

देश और दुनिया भर में स्थिति को बिगड़ता देख अब केंद्र सरकार पूरी तरह से अलर्ट हो गई है। अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से HMPV को लेकर लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इस एडवाइजरी में बताया गया है कि लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। भारत में HMPV के दस्तक के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इसे लेकर पैनिक होने की जरुरत नहीं है। ये वायरस भारत में पहले से ही मौजूद है। फिलहाल हेल्थ मिनिस्ट्री पूरे मामले को मॉनिटर कर रही है और लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

एडवाइजरी में क्या कहा गया है?

  1. एडवाइजरी में अस्पतालों से सभी तरह के सांसों से संबंधी संक्रामक बीमारियों के लिए रियल टाइम रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा गया है। साथ ही सीवर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इंफेक्शन से संबंधित इन मामलों को तत्काल इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम वाले पोर्टल में एंट्री करने के लिए कहा गया है।
  2. एडवाइजरी में कहा गया कि सीवर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इंफेक्शन के सबी मामले और इंफ्लूएंजा के सभी मामलों को आईएचआईपी पोर्टल में सूचीबद्ध करें।
  3. एडवाइजरी के मुताबिक अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जब भी कोई इस तरह के संदेहास्पद मरीज आए तो उनके आइसोलेशन की व्यवस्था हो और तत्काल प्रभाव से उनका इलाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि संक्रामक बीमारी का प्रसार अन्य में न हो।
  4. अस्पतालों से कहा गया है कि वह निजी अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित कर संक्रामक बीमारियों की सही रिपोर्टिंग और उपचार सुनिश्चित करें।
  5. हर हाल में मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित हो और अस्पतालों में इलाज के लिए कोई असुविधा न हो।
  6. एडवाइजरी के मुताबिक सभी अस्पतालों के सीएमओ से कहा गया है कि हल्के-फुल्के लक्षणों के लिए वे अस्पतालों में पैरासिटामोल, एंटीहिस्टामिन, ब्रोंकोडायलेटर, कफ सीरफ का स्टोरेज कर लें ताकि इन सबकी कोई कमी न रहे।

हेल्पलाइन नंबर जारी

एडवाइजरी में कहा गया है कि बीमारी को लेकर समुचित हाईजीन का पूरा ख्याल रखा जाए. इसके अलावा गंभीर मरीजों के लिए किसी भी तरह से वेंटिलेटर की कमी न हो, इसके लिए पहले से सुनिश्चित कर लें। हर तरह से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को तैयार कर के रखें। सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी बनाया है। हेल्पलाइन नंबर है –helpline no. of DGHS,HQ – 011-22307145 or 011-22300012,वहीं phw4delhi@yahoo.com पर फीडबैक देने को कहा गया है।

कोलकाता में मिला चौथा केस

वहीं, कोलकाता में HMP वायरस से पीड़ित साढ़े 5 महीने की बच्ची ठीक हो गया है। उसका एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। स्वस्थ होने के बाद वह मुंबई लौट गई है। 12 नवंबर को मुंबई निवासी एक बच्ची को बाईपास के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह हवाई मार्ग से मुंबई से कोलकाता आई थी। उसे फीवर और सांस लेने में कठिनाई हो रही था। इसके बाद हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वह HMV वायरस से संक्रिमत पाई गई। 10-12 दिन के इलाज के बाद बच्ची ठीक हो गया, जिसके बाद वह वापस मुंबई लौट गई है।

डॉक्टर सहेली दासगुप्ता ने कहा कि  पिछले साल भी उनके पास ऐसे एक-दो मामले आए थे

बच्चे की डॉक्टर सहेली दासगुप्ता ने कहा कि पिछले छह महीनों में दिसंबर में यह एक बच्ची HMVP वायरस पॉजिटिव था। इसके अलावा पिछले साल भी उनके पास ऐसे एक-दो मामले आए थे। इस वायरस से डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इलाज मिलने पर मरीज 10 से 12 दिन में ठीक हो जाएगा। सावधान रहना चाहिए। जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है उनके संक्रमित होने की संभावना कम होती है।

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