भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई है...
भूकंप ने मचाई तिब्बत में तबाही, अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत !
मंगलवार की सुबह नेपाल और तिब्बत की सीमा के पास भयंकर भूकंप के कारण धरती कांप उठी है। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई है। भूकंप की तीव्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके भारत के बिहार, यूपी, दिल्ली एनसीआर, बंगाल समेत कई राज्यों में महसूस किए गए हैं। वहीं, इस भूकंप के कारण चीन प्रशासित तिब्बत में तबाही की खबरें सामने आ रही हैं।
अब तक 32 लोगों की मौत
चीन की ओर से सामने आई जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को आए शक्तिशाली भूकंप के कारण तिब्बत क्षेत्र में अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है। चीन की सरकारी मीडिया सीसीटीवी ने देश की आपात प्रबंधन मंत्रालय के हवाले से मरने वालों की संख्या बताई है। ये आंकड़ा बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। चीन की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप में कुछ गांवों के घर ढह गए हैं। भूकंप का केंद्र नेपाल के साथ हिमालयी सीमा के करीब सुदूर तिब्बती पठार में ऊपर बताया गया है।
नेपाल में क्या है हाल !
नेपाल की भूकंप निगरानी एजेंसी ने बताया है सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेपाल के मुताबिक, भूकंप का केंद्र चीन का डिंगी था। नेपाल की राजधानी काठमांडू में भूकंप के झटकों के कारण लोग बुरी तरह से घबरा गए और अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, अब तक भूकंप के कारण देश से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में मंगलवार सुबह 7.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया है. राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र ने यह जानकारी दी. देश की भूकंप निगरानी एजेंसी ने बताया कि भूकंप के झटके सुबह छह बजकर 50 मिनट पर महसूस किए गए, जिसका केंद्र नेपाल-तिब्बत बॉर्डर बताया जा रहा है.
10 किलोमीटर की गहराई में केंद्र
अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) ने बताया है कि मंगलवार को नेपाल की सीमा के पास तिब्बत क्षेत्र में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया है। भूकंप का केंद्र पर्वतीय इलाके में लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था। वहीं, चीन की भूकंप निगरानी एजेंसी ने भूकंप की तीव्रता 6.8 दर्ज की है। जानकारी के मुताबिक, भूकंप के केंद्र के आसपास के इलाके की औसत ऊंचाई करीब 4,200 मीटर (13,800 फुट) है।
हिमालयी की भौगोलिक कमजोरियां
नेपाल हिमालय पर्वत श्रृंखला के बीच में मौजूद है. जो भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के संधि क्षेत्र (plate boundary) पर है. भारतीय प्लेट उत्तर की तरफ बढ़ रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. इस टकराव से भारी तनाव पैदा होता है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में उभरता है. यह प्रक्रिया लाखों वर्षों से हो रही है, जिसकी वजह से हिमालय का निर्माण भी हुआ.
जब टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं तो उनकी रफ्तार बाधित होती है और उनमें तनाव जमा हो जाता है. यह तनाव अचानक टूटकर ऊर्जा के रूप में बाहर आता है, जो भूकंप का कारण बनता है. नेपाल इस प्रकार की ऊर्जा मुक्त होने वाले 'सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र' में आता है. जिस वजह से उसे बार-बार विनाशकारी हालत का सामना करना पड़ता. हिमालय पर्वत एक युवा पर्वत है जो भूवैज्ञानिक नजरिये से काफी अस्थिर है. कहा जाता है कि यहां की चट्टानें भी काफी कमजोर हैं, जो भूकंप के असर और ज्यादा बढ़ा देती हैं. इसके अलावा जमीन का कटाव और बारिश की वजह से जमीन खिसकने लगती है और घटना को ज्यादा गंभीर भी बना देती हैं.
1934 का नेपाल-बिहार भूकंप
थोड़ा इससे पहले जाएं तो 1934 में नेपाल के अंदर सबसे घातर 8 तीव्रता वाला भूकंप आया था. इसका इतना ज्यादा था कि बिहार में देखा गया था. इस भूकंप को इतिहास के सबसे खराब भूकंपों में से एक माना जाता है. 15 जनवरी 1934 को आए भूकंप में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस भूकंप के बाद महात्मा गांधी ने भी बिहार का दौरा किया था.
1988 का नेपाल भूकंप
इससे पहले 21 अगस्त 1988 के भी नेपाल की धरती बुरी तरह कांपी थी. हालांकि तीव्रता इसकी थोड़ी कम थी. 6.9 तीव्रता वाले इस भूकंप में 700 से ज्यादा लोग मरे थे और हजारों की तादाद में जख्मी हुए थे.
2015 का विनाशकारी भूकंप
इससे पहले नेपाल में 2015 में विनाशकारी भूकंप आया था. जिसकी तीव्रता 7.8 मांपी गई थी. अप्रैल 2015 में इस भूकंप में लगभग 9000 लोग मारे गए थे और 22 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हुई थी. इसके अलावा 8 लाख से ज्यादा घरों और स्कूलों की इमारत को नुकसान पहुंचा था.
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