भ्रष्टाचा में सबसे अव्वल परिवहन विभाग का नाम आता है...
5 तरीकों से की गई वसूली से भरती हैं RTO अफसरों और नेताओं की जेब !
भोपाल. प्रदेश की सडकों पर दौड रहे एक करोड से ज्यादा वाहनों से इस विभाग का सीधा रिश्ता है। अन्य राज्यों से मप्र सीमा में आने वाले वाहन भी इस रिश्ते से जुड जाते है। परिवहन विभाग में रिश्वत और अवैध वसूली का खेल खुले अंदाज में चलता है। सिर्फ चेकपोस्ट ही नहीं यहां से जुडे ऐसे अनेक काम है जिनसे परिवहन विभाग का अमला औ दलाल मिलकर काली कमाई के महल खडे कर रहे है। प्रदेश में सबसे ज्यादा काली कमाई के मामले परिवहन विभाग में ही उजागर हुए।
इन 5 तरीकों से भरती है परिवहन में अफसर और नेताओं की जेब
चेक पोस्ट
चेक पोस्ट कुछ समय पहले तक परिवहन विभाग की 40 चेक पोस्ट थी। यहां सभी वाहनों से टैक्स लिया जाता था। अब ेक पोस्ट खत्म कर दिए पर कई जगह मालवाहक वाहनों से वसूली जारी है। चेक पोस्ट पर सबसे ज्यादा कमाई इन्हीं से होती है। तौलकांटे और परमिट की आड में भारी जुर्माना बता सौदेबाजी कर वाहन निकाल दिया जाता है। यह रकम ठेकेदारों और दलालों के जरिए आगे पहुंचती है।
यात्री वाहन परमिट
यात्री वाहन परमिट प्रदेश में 20 हजार यात्री वाहनों को ग्रामीण परिवहन सेवा के तहत परमिट होता है। इसमें भी बडा खेल होता है। निर्धारित आयु सीमा पूरी कर लेने वाली बसों को भी मोटी रकम लेकर परमिट दे दिया जाता है। कई स्थानों पर तो एक ही परमिट पर दो-दो बसें चल रही है। बसों की चेकिंग न करने के नाम पर भी वाहन मालिक हर महीने परिवहन विभाग के अफसरों को पैसा देते है। इसी तरह पैसा देकर फिटनेस और अन्य पैरामीटर की फर्जी रिपोर्ट बनवा ली जाती है।
अन्य वाहनों
परिहवन विभाग के दायरे में मालवाहक और यात्री वाहनों के साथ ही अर्थमूवर, पर्यटक वाहन, ग्रामीण परिवहन सेवा की बसें और चार्टर्ड बसें भ आती है। बडे ट्रांसपोर्टर्स से एकमुश्त वसूली होती ही है, अर्थमूवर और पर्यटक वाहनों से अलग वसूली होती है। कृषि यंत्रों से जुड वाहनों का भी अंतरराज्यीय परिवहन होता है जिनसे भी मनमानी वसूली की जाती है।
उड़नदस्तों से
परिवहन नियमों की अनदेखी पर उडऩदस्ते वाहनों से जुर्माना वसूलते हंै। जिलों के साथ राज्य स्तरीय उडऩदस्ता भी है। यह विभाग की घोषित और अघोषित आमदनी का बड़ा जरिया है। मापदंड के उल्लंघन पर चालान बनाकर जुर्माना वसूला जाता है, या बिना रसीद काटे वसूली की जाती है।
कार्यों के टेंडर
परिवहन विभाग में कई काम ऑनलाइन होने लगे हैं। ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, वाहन रजिस्ट्रेशन कार्ड के लिए विभाग टेंडर जारी करता है। इनके अनुबंध करने वाली कंपनियों से मोटी रकम रिश्वत के तौर पर ली जाती है। बस स्टैंड, प्रतीक्षालय आदि के लिए टेंडर में भी अफसरों की ऊपरी कमाई होती है।
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