13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने जा रहे महाकुंभ में ....
महाकुंभ में डुबकी लगाने से पहले जरूर जान लें ये 3 नियम, तभी मिलेगा लाभ !
महाकुंभ का मेला 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होगा। कुंभ मेले को हिंदू धर्म के पवित्र आयोजनों में से एक माना जाता है। ग्रहों की विशेष स्थिति को देखकर महाकुंभ के मेले के समय का निर्धारण होता है। माना जाता है कि इस दौरान पवित्र नदियों का जल अमृत बन जाता है। इसलिए महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति भक्तों को होती है। हालांकि कुछ ऐसे नियम भी हैं जिनका पालन आपको महाकुंभ में डुबकी लगाते समय रखना चाहिए। आज हम आपको इन्हीं नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, अगर आप भी महाकुंभ में स्नान करने वाले हैं, तो इन बातों को अवश्य ध्यान में रखें।
प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से होगी और 26 फरवरी का इस पावन पर्व का समापन होगा। इस दौरान करोड़ों भक्त प्रयागराज पहुंचेंगे और कुंभ में डुबकी लगाएंगे। साथ ही नीचे बताए गए नियमों का पालन भी आपको इस दौरान करना चाहिए, तभी आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
नियम 1
महाकुंभ के दौरान सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। नागा साधुओं के स्नान के बाद ही अन्य लोग स्नान कर सकते हैं। इसलिए गलती से भी आपको महाकुंभ के दिन नागा साधुओं से पहले डुबकी न लगाएं। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता। यह नियमों का उल्लंघन है और इसके कारण आपको कुंभ के स्नान का शुभ फल भी प्राप्त नहीं होता।
नियम 2
अगर आप महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि गृहस्थ लोगों को 5 बार डुबकी लगानी चाहिए। धार्मिक मतानुसार गृहस्थ लोग जब महाकुंभ में 5 बार डुबकी लगाते हैं, तभी उनका कुंभ स्नान पूरा माना जाता है।
नियम 3
महाकुंभ में स्नान के बाद अपने दोनों हाथों से सूर्य देव को जल का अर्घ्य आपको अवश्य देना चाहिए। कुंभ मेले का आयोजन सूर्य देव की विशेष स्थिति को देखकर ही किया जाता है, इसलिए महाकुंभ के स्नान के साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कुंभ स्नान के दौरान सूर्य को अर्घ्य देना कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत भी करता है।
नियम 4
कुंभ में स्नान करने के बाद आपको प्रयागराज में स्थिति लेटे हुए हनुमान जी या नागावासुकी मंदिर के दर्शन भी करने चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों का दर्शन करने के बाद ही भक्तों की धार्मिक यात्रा पूर्ण मानी जाती है। ऊपर बताए गए नियमों का पालन करते हुए अगर आप महाकुंभ में स्नान करते हैं, तो कई तरह के लाभ आपको प्राप्त होते हैं। आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी आप विकास करते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। )
0 Comments