G News 24 : महाकुंभ 2025 से आस्था, धर्म, परंपरा के दीगर इतना रेवेन्यू पैदा होगा, कि प्रदेश की GDP आसमान छूने लगेगी !

 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो रहा है...

महाकुंभ 2025 से आस्था, धर्म, परंपरा के दीगर इतना रेवेन्यू पैदा होगा, कि प्रदेश की GDP आसमान छूने लगेगी ! 

महाकुंभ आस्था, धर्म और परंपरा का एक अद्भुत संगम है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं. यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मेला है जो राज्य की अर्थव्यवस्था को भी जबरदस्त बढ़ावा देगा. आइए जानते हैं कि महाकुंभ 2025 से कितना रेवेन्यू पैदा होगा और GDP पर इसका क्या असर पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि महाकुंभ के दौरान लगभग 40 से 45 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे, जिनमें विदेशी भी शामिल होंगे. कई बड़े नेता, अधिकारी और अमीर लोग भी इस महाकुंभ में शामिल हो सकते हैं. ऐसे ही एक खास मेहमान होंगी एपल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में आ रही हैं और वो यहां 'कल्पवास' करेंगी यानी कुछ दिनों तक यहीं रहकर पूजा-पाठ करेंगी. कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार लगता है और हर 12 कुंभ के बाद महाकुंभ का आयोजन होता है. इस बार महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होगा. यह सिर्फ धर्म-कर्म का मेला नहीं है, बल्कि इससे प्रदेश में बहुत पैसा भी आने का अनुमान है.

महाकुंभ से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा !

ये समझने के लिए एबीपी न्यूज ने भारत की अर्थव्यवस्था के जानकार मोहम्मद शोएब अहमद से बातचीत की. उन्होंने बताया, 'महाकुंभ में अगर 15 करोड़ लोग भी आ जाते हैं तो अर्थव्यवस्था को काफी बूस्ट मिलेगा. जब भी ऐसा कोई इवेंट होता है तो बाहर से लोग आकर अपनी दुकानें लगाते हैं. महाकुंभ में भी हजारों लोग खाने-पीने और दूसरे चीजों की दुकान लगाएंगे. दूसरा- इतने लाखों लोग पैदल तो नहीं आएंगे, किसी न किसी ट्रांसपोर्ट से आएंगे. इस तरह ट्रांसपोर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा. मोहम्मद शोएब ने आगे बताया, 'महाकुंभ में आने वाले लोग पैसा खर्च करेंगे. लोग शॉपिंग भी करेंगे, इससे प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ेगी. डिमांड बढ़ेगी, तो उत्पादन भी बढ़ेगा. इससे नए नए बिजनेस खुलेंगे. बिजनेस शुरू होंगे, तो ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. दुनियाभर में भारत का नाम होगा, कहा जाएगा भारत भी इतने बड़े-बड़े इवेंट करने की क्षमता रखता है. लेकिन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती भी है. सवाल उठता है कि क्या लोकल प्रशासन इतना बड़ा इवेंट करने के लिए तैयार है. इसके अलावा, कानून व्यवस्था बनाए रखना भी एक चुनौती है. योगी सरकार के राज में महाकुंभ का आयोजन होना उनके लिए बहुत सौभाग्य की बात है.'

अर्थशास्त्री मोहम्मद शोएब ने कहा- जीडीपी का मतलब होता है, एक साल में एक क्षेत्र में जितने भी सामान और सेवाएं पैदा होती हैं, उनकी कुल कीमत. इसे ही जीडीपी कहा जाता है. महाकुंभ में अगर सामान और सेवाओं का उत्पादन बढ़ रहा है, तो जाहिर सी बात है जीडीपी बढ़ेगा. बहुत से राज्य के लोग यूपी में आकर पैसा खर्च करेंगे, इससे यूपी को ज्यादा जीएसटी मिलेगा. लेकिन सालभर ऐसा नहीं होगा, एक महीने या क्वार्टर में ग्रोथ देखने को मिल सकती है.

महाकुंभ से सिर्फ UP को फायदा होगा या पूरे देश को !

अर्थशास्त्री मोहम्मद शोएब ने कहा, 'जब दूसरे राज्य से आकर लोग यूपी में खर्च करेंगे, तो यूपी की ग्रोथ होगी लेकिन देखा जाए तो उस दूसरे राज्य में उतना ही पैसा कम खर्च हुआ. जैसे बिहार से कोई व्यक्ति महाकुंभ में गए, उसने वहां 5000 रुपये खर्च किए. अगर वह व्यक्ति यूपी नहीं जाता, तो बिहार में ही वह 5000 रुपये खर्च करता. तो इसे नेशनल ग्रोथ नहीं कहा जा सकता है. इसे क्राउडिंग आउट इफेक्ट कहा जाता है. मतलब, एक सेक्टर की ग्रोथ हो रही है दूसरे सेक्टर के खर्च पर. 

"इस बात को दूसरे तरीके से ऐसे भी समझ सकते हैं जैसे- किसी बैंक ने सरकार को लोन दिया तो अब ये पैसा सरकार खर्च करेगी. अगर किसी प्राइवेट सेक्टर को लोन दिया होता तो वह सेक्टर खर्च करता. अगर सरकार कम खर्च करेगी, तो बैंक ये पैसा प्राइवेट सेक्टर को देगा. अर्थशास्त्री मोहम्मद शोएब ने आगे कहा, "क्योंकि एक राज्य में खर्च होने वाला पैसा दूसरे राज्य में हो रहा है. ऐसे में महाकुंभ मेले से यूपी को ज्यादा फायदा होगा, लेकिन इससे पूरे देश की जीडीपी बढ़ना मुश्किल है. लेकिन ऐसा असंभव भी नहीं है. महाकुंभ से देश की जीडीपी पर भी पॉजिटिव असर पड़ेगा. जैसे अगर महाकुंभ से पहले मैंने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी खोली और 10 बसें खरीदीं. तो इससे देश की जीडीपी पर भी असर पड़ेगा."

विदेशियों के आने से यूपी या देश की अर्थव्यवस्था में क्या असर पड़ेगा !

अर्थशास्त्री मोहम्मद शोएब ने समझाते हुए बताया, जब विदेशी आएंगे तो वह डॉलर-यूरो लेकर आएंगे. इस तरह फॉरेन एक्सचेंज भारत में आएगा. भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ेगा. ये उस वक्त बढ़ेगा जब भारत से फॉरेन कैपिटल बाहर भाग रहा है. डॉलर का फेडरल रेट जब बढ़ता है तो दुनियाभर से कैपिटल अमेरिका की तरफ आता है. जब डॉलर का फेडरल रेट घटता है तो कैपिटल अमेरिका से बाहर जाता है. अब जैसे अमेरिका में फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट बढ़ा है और कैपिटल भारत से जा रहा है, हालांकि भारत में फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट बढ़ा है. ऐसे में जब टूरिस्ट विदेशों से बाहर आएंगे, तो  भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ेगा. भारत की इकनॉमी को बल मिलेगा.उन्होंने ये भी कहा, 'महाकुंभ एक तरह का टूरिज्म ही है. जैसे लोग ताजमहल देखने जाते हैं, तीर्थ यात्रा पर जाते हैं या हज पर मक्का मदीना जाते हैं. इससे भी उस जगह या देश की अर्थव्यवस्था बढ़ती है. हालांकि, टूरिज्म को धार्मिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए. इकोनॉमी के चश्मे से देखें तो बहुत अच्छी चीज है.'

यूपी सरकार को महाकुंभ से कितनी कमाई का अनुमान

महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. यूपी सरकार को इससे अपने GDP का लगभग 8% कमाई होने की संभावना है. महाकुंभ 2025 से उत्तर प्रदेश को 2 लाख करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है. जब श्रद्धालु कहीं धार्मिक स्थल पर जाते हैं, तो वे यात्रा, रहने, खाने और दूसरी चीजों पर पैसे खर्च करते हैं. इससे स्थानीय दुकानदारों और काम करने वालों को फायदा होता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व कमाने के लिए यूपी सरकार ने लगभग 5000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. गंगा-यमुना को साफ रखने और प्रदूषण रोकने के लिए सरकार ने बहुत सारे इंतजाम किए हैं. शौचालय बनाए गए हैं और पानी साफ करने के लिए नई मशीनें लगाई गई हैं. इस पर काफी पैसा भी खर्च किया गया है. पर्यावरण को साफ रखने के लिए  1.5 लाख से ज्यादा शौचालय बनाए गए हैं.

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को जोरदार बढ़ावा मिला है. 2023-24 में राज्य की कुल कमाई (GSDP) 8% बढ़कर 25.48 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल 22.58 लाख करोड़ रुपये थी. GSDP का मतलब है  Gross State Domestic Product यानी  किसी राज्य में एक निश्चित समय में  उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य. सरल शब्दों में कहें तो यह राज्य की कुल कमाई होती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 तक राज्य की कमाई (GSDP) को 32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो देश की आय में 9.2% का योगदान देता है. लेकिन, उत्तर प्रदेश के लिए सब कुछ अच्छा नहीं है. 2019-2024 के दौरान कर्ज और GSDP का अनुपात बढ़कर 26% हो गया है. इसका मतलब है कि राज्य की कमाई के मुकाबले उसका कर्ज बढ़ रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक उत्तर प्रदेश पर कुल कर्ज लगभग 6.7 लाख करोड़ रुपये था. CAG (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में बाजार से कर्ज लेने का चलन बढ़ा है. सरकार का यह भी कहना है कि पिछले सात सालों में प्रति व्यक्ति आय 47,118 रुपये से बढ़कर 93,514 रुपये हो गई. राज्य का 'फिस्कल डेफिसिट' (राजस्व और खर्च के बीच का अंतर) 2.86% है, जो FRBM अधिनियम में निर्धारित 3.50% की सीमा से कम है.


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