भारत के हिंदु अब निकल पड़े हैं एक जुटता की राह पर...
पूरे देश की तरह ग्वालियर का हिंदू भी हो रहा है एकजुट !
ग्वालियर। बांग्लादेश में यूनुस सरकार के संरक्षण में हिंदुओं के साथ जो बर्बरता हो रही है। मकान दुकान व्यवसाय को नष्ट किया जा रहा है लूटमार की जा रही है मंदिरों में तोड़फोड़ हो रही है मूर्तियों का अपमान हो रहा है बहन बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ हो रहा है। लगातार वहां हिंदुओं का कत्लेआम किया जा रहा है इसे लेकर देश के कट्टरपंथियों द्वारा उन्हें मौन समर्थन और बांग्लादेश की यूनुस सरकार के की मौन सहमति के खिलाफ भारत एवं पूरी दुनिया में बसे हिंदुओं में आक्रोश है। और यह आक्रोश अब सड़कों पर दिखने भी लगा है। मंगलवार दिसंबर को पूरे देश में जगह-जगह हिंदुओं ने प्रमुख बाजारों में निकलकर सड़कों पर धरना प्रदर्शन व रैली निकाल कर अपना आक्रोश प्रकट किया।
इसी के तहत ग्वालियर में भी हिंदू संगठनों से जुड़े तमाम हिंदुओं के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी विश्व हिंदू परिषद आदि राजनीतिक पार्टियों के हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर कट्टरपंथियों एवं यूनुस सरकार के खिलाफ फुलवाग का चौराहे पर एकत्रित होकर धरना दिया उसके बाद एक रैली के रूप में सड़क पर मार्च निकाला। लेकिन इस आक्रोश मार्च विवाह आंदोलन में कांग्रेस एवं कांग्रेस जैसी विचारधारा वाली अन्य पार्टियों से जुड़े हिंदू लोगों ने इस आंदोलन में शामिल न होकर यह जाता दिया उनके लिए राजनीति ही सबसे बढ़कर है। इन लोगों ने यह सिद्ध कर दिया कि सत्ता में अपना वर्चस्व बनाने के लिए एवं एक समुदाय विशेष को संतुष्ट करने के लिए वे ऐसे किसी कार्य में नहीं जुड़ेंगे।
भले ही यह कार्य देश के एवं विदेश में रहने वाले हिंदू समाज के लोगों के के हित में आवाज उठाने के लिए ही क्यों ना किया जा रहा हो। चाहे तेरे हिंदुओं पर कितना भी अत्याचार होता रहे। इन पार्टियों को तो सिर्फ और सिर्फ अपने वोट बैंक और कुर्सी की ही चिंता है । लोग मरते हैं तो मरते रहे, उनकी बहन बेटियों की आबरू लुटती है तो लुटती रहे, सनातन का अपमान होता है तो होता रहे लेकिन उनका वोट बैंक नाराज नहीं होना चाहिए। क्योंकि अगर वोट बैंक गया तो फिर कुर्सी भी जाना तय है। कारण है कि देश से जुड़े किसी भी मामले में यह लोग पहले अपना नफा नुकसान देखते हैं उसके बाद फैसला लेते हैं।
जबकि यहां आंदोलन किसी पार्टी का आंदोलन नहीं था यह पूरे देश में हिंदुओं की एक आवाज थी जिसे सभी देशवासियों ने एक साथ मिलकर के बुलंद करना चाहिए था। जिससे भारत सरकार को भी बल मिलता और बांग्लादेश के खिलाफ करवाई हो पाती। लेकिन इस आक्रोश आंदोलन में एक बार तो देश को बात ही दिया कि देश के बाहर और देश के भीतर जो भी कट्टरपंथी देश में जिहाद का सपना पाल कर बैठे हैं और इसके लिए उन्होंने कुछ उल्टा सीधा किया तो उनका आने वाले समय में यह आकर्षित हिंदू क्या हश्र करेंगे। यह छोटे से आक्रोश आंदोलन ने जाहिर कर दिया है।
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