विभाग की बदनामी पहले से कहीं अधिक होना शुरू हो गई है...
45 चेक पॉइंट शुरू तो कर दिए, लेकिन अब हो रही है कहीं अधिक वसूली !
ग्वालियर। परिवहन विभाग में जब चेक पोस्ट चलते थे तो जमकर बदनामी होती थी, लेकिन उससे कहीं अधिक अब वसूली हो रही है पर उसका पैटर्न बदला हुआ नजर आ रहा है। बदले हुए पैटर्न के बाद पुरानी व्यवस्था चलने की जानकारी कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दी है। प्रदेश में परिवहन विभाग के करीब 45 चेक पोस्ट हुआ करते थे जिसमें से 19 चेक पोस्ट इंट्रीग्रेटेड थे, जिनको बनाने में लाखों की राशि खर्च की गई थी। यह चेक पोस्ट उस समय भी चालू रखे गए थे, जब प्रदेश में चेक पोस्ट को बंद किया गया था।
चेक पोस्ट पर निजी लोग (कटर) पहले भी रखे जाते थे और उसको लेकर कई बार शिकायतें आला अधिकारियों के पास भी पहुंचती थीं, लेकिन उन शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता रहा था, क्योंकि वसूली कैसे ओर किसके सहारे होती है, यह सभी को पता था। कुछ सालों से तो चेक पोस्ट ठेके पर उठने लगे थे और विभाग के ही कुछ मजबूत लोग कई चेक पोस्ट चलाने की जिम्मेदारी लेकर मुंह मांगी राशि देते थे, इसके चलते वहां विभाग का प्रभारी तो तैनात रहता था, लेकिन वह सिर्फ मोहरा बनकर रहते थे। ठेका प्रणाली के तहत चलने वाले चेक पोस्ट के कारण वसूली खुलकर होने लगी थी, जिसके चलते विभाग की खासी बदनामी हो रही थी।
दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टरों का दबाव अधिक था जिसके चलते सरकार को गुजरात पैटर्न के तहत चेक पोस्ट समाप्त कर चेक पॉइंट शुरू करने का आदेश जारी करना पड़ा था, लेकिन यह आदेश अब पुरानी व्यवस्था को नहीं बदल सका है। चेक पॉइंट व्यवस्था शुरू होने के दो माह तक तो विभाग के निरीक्षकों ने काम करना ही बंद कर दिया था, जिसके चलते सड़क पर माल वाहक वाहनों की रफ्तार बिना रोक-टोक तेज बनी रही थी। इससे एक तरफ दुर्घटना का खतरा रहता था तो दूसरी तरफ राजस्व का भी नुकसान हुआ। जब दबाव बना तो विभाग ने निरीक्षकों को मनाकर चेक पॉइंट शुरू कराए, लेकिन उसमे भी अब निजी लोग (कटरों) का सहारा लिया जा रहा है।
विभाग में लंबे समय से चेक पोस्टों पर जमे निजी लोग (कटर) अपने हिसाब से काम करते थे और प्रभारी सिर्फ नाम के रहते थे। व्यवस्था बदलने के बाद प्रदेश में कुछ माह बाद 45 चेक पॉइंट शुरू तो कर दिए गए, लेकिन वहां अब निजी लोगों का सहारा लेकर सेटिंग के तहत संचालन करने का काम किया जा रहा है। विभागीय सूत्र का कहना है कि जिस तरह की व्यवस्था चलाई जा रही है उसके चलते विभाग की बदनामी पहले से कहीं अधिक होना शुरू हो गई है।
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