फील्ड में पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह नीटू ने अपनी टीम के साथ पूरी ताकत लगा रखी थी ...
उपचुनाव में वनमंत्री रावत रहे सत्ता के सहारे रहे और कांग्रेस ने चुनाव में उन्हें निपटाकर घर बैठा दिया !
मध्य-प्रदेश में हुए उपचुनाव में वनमंत्री रामनिवास रावत यह समझ रहे थे कि वह तो चुनाव जीत ही जाएंगे। उपचुनाव का ऐलान होने के बाद से ही कांग्रेस ने जिस तरह से रणनीति बनाई उसका परिणाम आखिर में उनके लिए सुकून भरा सामने आया। यहां र अशोक सिंह यादव और नीटू सिकरवार की जोड़ी ने रावत को वनवास करा दिया। विजयपुर उपचुनाव की कमान भले ही राज्यसभा सांसद अशोक सिंह के हाथ में थी, लेकिन मैदान में मेहनत पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) ने की।
गौरतलब है कि वन मंत्री रामनिवास रावत कांग्रेस में रहते हुए विजयपुर से 6 बार से विधायक बनते आ रहे थे, लेकिन सत्यपाल सिकरवार नीटू लोकसभा चुनाव में अपने स्वार्थ के चलते मतदान से दो दिन पहले पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए तो उसके बाद मुरैना लोकसभा से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिकरवार को संभलने का मौका नही मिला था, जिसके चलते वह चुनाव हार गए थे।
कांग्रेस ने हार को लेकर रावत को निशाने पर लिया और लोकसभा चुनाव की हार को भूलकर विजयपुर में होने वाले उपचुनाव की तैयारी में जुट गए थे। इसके पीछे कारण यह रहा कि मुरैना प्रत्याशी रहे नीटू ने उसी समय ठान लिया था कि उपचुनाव में किसी भी तरह से रावत को वनवासी करना है और उसके तहत उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी। विजयपुर उपचुनाव में पहली बार कांग्रेस संगठन ने पूरी दमखम के साथ मैदान संभाला हुआ था।
इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मोर्चा संभाले रहे। पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव व जयवर्धन सिंह के साथ ही विधायक सतीश सिकरवार, साहब सिंह गुर्जर, दिनेश गुर्जर, प्रभूदयाल जौहरे भी सक्रिय रहे और अलग-अलग क्षेत्र संभालकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का काम करते रहे। साथ ही उप चुनाव से पहले संगठन को भी नए सिरे से तैयार कर लिया था, क्योंकि रावत के भाजपा में जाने से कांग्रेस संगठन भी पूरी तरह से छिन्न भिन्न हो गया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उपचुनाव को लेकर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह को विजयपुर उपचुनाव का जिम्मा दिया था। अशोक सिंह ने जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन करते हुए कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देशन देने के साथ ही प्रचार के दौरान क्या जरूरत है उसकी पूर्ति की।
कांग्रेसजनों को भी एकजुट रखने का काम किया और फील्ड में पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह नीटू अपनी टीम के साथ दमखम से लगे रहे, जिसका परिणाम यह रहा कि रामनिवास को वनवासी बनाने के लिए जनता ने मतदान किया। इस लड़ाई में एक तरह से अशोक सिंह व नीटू ने सत्ता पक्ष के खिलाफ मैदान मारने का काम किया, क्योंकि कांग्रेस के जो प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा थे, उनको अगर सत्यपाल सिंह नीटू का साथ और राज्यसभा सांसद अशोक सिंह का निर्देशन नहीं मिलता तो शायद मुकेश विधानसभा पहुंचने में सफल नहीं होते।
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