कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिये...
डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की उपयोगी सलाह !
ग्वालियर। डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया व मच्छर जनित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक बार फिर से उपयोगी सलाह जारी की गई है। घर व आसपास तथा छतों पर विभिन्न प्रकार के पात्र खुले अवस्था में पडें रहते है मसलन पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत, मटके, पाइप, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोतल, कप, गिलास, टूटा फूटा सामान व खिलौने, कनस्तर इत्यादि में भी मच्छर अण्डे देते हैं। अण्डे अर्थात लार्वा 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र पूर्ण कर मच्छर बनकर उड जाते है। इसलिए नियमित रुप से 7 दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करें। साथ ही अनुपयोगी वस्तुओं को हटा दें।
दिन में काटता है डेंगू का मच्छर
डेंगू का मच्छर सामन्यतः दिन में काटता है। यह मच्छर उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है और घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है। एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते हैं और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू संक्रमित हो जाता है। इसलिए मच्छरों से बचाव जरूरी है।
डेंगू के लक्षण
डेंगू संक्रमित व्यक्ति में प्रारंभ में कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके बाद मरीज के शरीर व आंखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूड़े या अन्य स्थान से रक्त स्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते हैं। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना, या सॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। अतः ऐसे लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार लेना चाहिये।
चिकित्सक के परामर्श के बिना दवा न लें
डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता है। बुखार होने पर पैरासीटामोल की दवा ली जा सकती है। डेंगू होने पर डरने की अनावश्यक नहीं है अनावश्यक दवाओं व भ्रांतियों से बचें व चिकित्सक की सलाह से उपचार लेवें।
यहाँ कराएँ जाँच
जिले में डेंगू व चिकुनगुनिया की जांच मुरार स्थित जिला चिकित्सालय व मेडीकल कॉलेज ग्वालियर में निःशुल्क उपलब्ध है। बुखार व दर्द होने पर रोगी तत्काल अपनी जांच करावें। ताकि समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर उपचार किया जा सके व प्रभावित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यवाई की जा सके। जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी, ओआरएस का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शीघ्र लाभ मिलता है।
सावधानियाँ
डेंगू के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नही होने दें। व खुली टंकियों को ढंककर रखें, अनावश्यक कबाड़ का सामान नष्ट करें या उनमें पानी इकट्ठा न होने दें। सप्ताह में एक बार आवश्यक रुप से टंकी, मटके, कूलर व अन्य उपयोगी जलपात्रों में भरा पानी बदलें। जिन अनुपयोगी जलपात्रों को का पानी नहीं बदल सकते उनमें मिट्टी का तेल, खाने का तेल, गांडियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है। मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरे बांह के कपडे पहनना चाहिये। मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छररोधी क्रीम, अगरबत्ती का उपयोग कराना चाहिये। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये।
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