'सुनियोजित तरीके हो रहा देश को खंडित करने का काम'...
कुछ ऐसी ताकते हैं देश में और बाहर जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रही हैं ':उपराष्ट्रपति
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, कुछ ऐसी ताकतें हैं देश में और बाहर जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रही हैं। देश को खंडित करने का, देश को विभाजित करने का, देश की संस्थाओं को अपमानित करने का, सुनियोजित तरीके से एक कृत्य हो रहा है। हमें एकजुट होकर हर राष्ट्र-विरोधी कहानी को बेअसर करना होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कुछ ताकतें भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहीं और इसे खंडित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और हम राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं कर सकते। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार को राजस्थान के जयपुर में सोहन सिंह स्मृति कौशल विकास केंद्र के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
'सुनियोजित तरीके हो रहा देश को खंडित करने का काम'
इस दौरान उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, 'कुछ ऐसी ताकतें हैं देश में और बाहर, जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहीं। देश को खंडित करने का, देश को विभाजित करने का, देश की संस्थाओं को अपमानित करने का काम सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।' उन्होंने कहा, 'आम लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, हमें एकजुट होकर हर राष्ट्र-विरोधी 'विमर्श' को बेअसर करना होगा।'
कुछ ऐसी ताकते हैं देश में और बाहर जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रही हैं।
देश को खंडित करने का, देश को विभाजित करने का, देश की संस्थाओं को अपमानित करने का, सुनियोजित तरीके से एक कृत्य हो रहा है।
We must neutralise in togetherness every anti-national narrative.… pic.twitter.com/GEIkNrqqrg — Vice-President of India (@VPIndia) December 11, 2024
'विकसित भारत 2047' अब सपना नहीं बल्कि लक्ष्य- धनखड़
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'विकसित भारत 2047' अब सपना नहीं बल्कि लक्ष्य है। यह लक्ष्य निश्चित रूप से प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, 'हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्रवाद से हम कभी समझौता नहीं कर सकते। यह राष्ट्रवाद में निहित्त है कि देश का हर व्यक्ति अपने आप को समृद्ध और सुखी पाये और यह तभी संभव है, जब हमारी सोच कुटीर उद्योगों, ग्रामीण उद्योगों जाए।'
'विकसित भारत का रास्ता ग्रामीण परिपेक्ष से जाता है'
वहीं इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, विकसित भारत का रास्ता ग्रामीण परिपेक्ष से जाता है, लघु उद्योग से जाता है, कौशल केंद्र से जाता है।
उन्होंने कहा, देश के हर व्यक्ति की समृद्धि तभी संभव है, जब हमारी सोच कुटीर उद्योग, ग्रामीण उद्योग और लघु उद्योग पर जाए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, कौशल मनुष्य को तपस्वी बनाता है और हौसले के साथ एक आत्म सम्मान भी देता है! समाज में संतुलन की आवश्यकता है! हमारे अधिकार हैं, पर अधिकारों के साथ-साथ हमें कर्तव्य बोध भी होना चाहिए।
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