किसानों के प्रदर्शन के बीच कृषि मंत्री शिवराज सिंह का संसद में बड़ा बयान !
मोदी सरकार सभी कृषि उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी : कृषिमंत्री
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। खबर के अनुसार उच्च सदन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री चौहान ने प्रश्नकाल के दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह आश्वासन दिया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी हर फसल
शिवराज ने यह आश्वासन उस दिन दिया जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली तक पैदल मार्च करने की योजना बना रहे हैं। चौहान ने सदन को बताया, ‘‘मैं आपके (सभापति के) माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसानों की सभी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी। यह मोदी सरकार है और मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब दूसरी तरफ के हमारे मित्र सत्ता में थे तो उन्होंने रिकॉर्ड पर कहा था कि वे एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते, खासकर उपज की लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने की बात। मेरे पास रिकॉर्ड है।’’ चौहान ने अपने दावे के समर्थन में पूर्व कृषि राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया, कृषि मंत्री शरद पवार और के वी थॉमस का हवाला दिया।
सभापति धनखड़ ने मांगा सबूत
शिवराज के दावे के बाद, उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने उनसे अपने दावे की पुष्टि करने के लिए दस्तावेज सदन के पटल पर पेश करने को कहा। चौहान इस पर सहमत हो गए। मंत्री ने दावा किया, ‘‘उन्होंने (पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने) कभी किसानों का सम्मान नहीं किया और कभी किसानों की लाभकारी कीमतों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया। मैं आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि 2019 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करने का फैसला किया है।
पहले ही किसानों को लाभकारी कीमत दे रही सरकार
शिवराज सिंह ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार पहले से ही किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है। चौहान ने कहा कि धान, गेहूं, ज्वार, सोयाबीन को तीन साल पहले से ही उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत पर खरीदा जा रहा है। उन्होंने वस्तुओं की दरों में गिरावट होने पर निर्यात शुल्क और कीमतों को बदलने में हस्तक्षेप का भी हवाला दिया।
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