G News 24 : मुद्दे तो बहुत हैं राजनीति की करने के लिए,लेकिन कांग्रेसियों को दिखाई नहीं देते हैं !

 कभी जातिय जनगणना,कभी अंबेडकर के नाम हो रही राजनीति, देश के साथ एक धोखा है ...

मुद्दे तो बहुत हैं राजनीति की करने के लिए,लेकिन कांग्रेसियों को दिखाई नहीं देते हैं !

सत्ता पाने के लिए साम दाम दंड भेद सभी का उपयोग करके सभी पार्टियों के नेता सत्ता के सिंहासन पर बैठना चाहते है। सत्ता का सुख भोगने के लिए ये नेता आम जनता को कैसे मुर्ख बनाते हैं, उसे कैसे भ्रमित करते हैं ये इन दिनों संसद के अंदर और बाहर दोनों ही जगह देखा जा सकता है। सत्ता में बने रहने या सत्ता में आने के लिए ये नेता कैसे-कैसे हथकंडे अपनाते हैं पूरा देश देख रहा है। 

देश जलता है तो जलता रहे, लोग मरते हैं तो मरते रहे, इनकी बला से, उससे ना कोई लेना-देना नहीं है। इन्हें तो सिर्फ राजनीति करना हैं, इनको आम जनता और उसकी परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है ।सत्ता के लालची ये भेड़िए तो रात दिन सिर्फ इसी जुगत में लगे रहते हैं की किस प्रकार उन्हें सत्ता की कुर्सी हासिल हो जाये और उस कुर्सी पर बैठ कर सत्ता के पावर का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों अरबों की संपत्ति बनाकर अपनी लाइफ सेटल करें। 

आम जनता से चुनाव के दौरान इनके द्वारा किए गए वादों के झांसे में आकर जनता इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर के परिषद, विधानसभा और लोकसभा में इस उम्मीद के साथ भेजती है कि नेताजी वहां जाकर हमारे हक की आवाज उठाकर, हमारे विकास और उन्नति के लिए योजनाएं बनाएंगे।  लेकिन योजनाएं बनवाना तो छोड़िए ये नेता सदन में पहुंचकर ना तो सदन चलने देते हैं ना ही किसी जनहित वाली योजना पर विचार या चर्चा होने देते हैं। इन्हें योजनाओं से कोई मतलब नहीं है ये नेता तो सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए और

 मीडिया पर आने के लिए ऐसी उटपटांग हरकतें सदन के अंदर करते हैं की की हरकतों को देखकर अच्छे-अच्छे शर्मसार हो जाएं । क्योंकि इस प्रकार की हरकतें शायद कोई जाहिल गंवार अनपढ़ व्यक्ति भी सड़क पर नहीं करता होगा, जैसी उनकी हरकतें सदन के अंदर होती हैं और इनकी इन्हीं हरकतों की वजह से ये एक्सपोज भी हो रहे हैं। कभी-कभी ये ऐसे फिजूल के मुद्दों को बेवजह हौआ बना देते हैं जिनका कि  वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता।

अभी सदन में इसी सीतकलीन सत्र के दौरान कुछ मुद्दों को लेकर संविधान पर चर्चा हो रही थी इसी चर्चा के दौरान संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ आंबेडकर का नाम भी आया, और इस नाम को लेकर बार-बार बेवजह संसद में कांग्रेस और उसके विपक्ष के साथी लगातार हो हल्ला मचा रहे थे। इस वजह से संसद की कार्यवाही प्रभावित हो रही थी जिन मुद्दों पर चर्चा होनी थी वह चर्चा नहीं हो पा रही थी। लगातार दो से तीन दिन तक सदन में चर्चा के नाम पर हुआ अल्लाह होता देख सत्ताधारी बीजेपी के नेता एवं गृहमंत्री अमित शाह जब विपक्ष के प्रश्नों का जब जवाब देने के लिए बोलने लगे तो फिर से वही विपक्ष ने हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। यह देख  गृहमंत्री ने आक्रोश भरे लहजे में कहा कहा की बहुत हो चुका अंबेडकर-अंबेडकर ! इतनी बार यदि भगवान को भी याद करते तो वह भी मिल जाते! अब आप सदन को अपना काम करने दें। आप सदन की कार्रवाई को सुचारू रूप से चलने दें। 

यह विपक्ष के बेवजह के शोर शराबे को देखते हुए एक आम प्रतिक्रिया थी, अमित शाह कि यह टिप्पणी किसी भी तरह से अंबेडकर के अपमान को नहीं दर्शाती है । क्योंकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है तो उसने इस टिप्पणी को ही बेवजह का मुद्दा बनाकर पहले संसद की कार्रवाई को ठप किया उसके बाद संसद के बाहर प्रदर्शन किया इस प्रदर्शन के दौरान दो सांसदों को धक्का मुक्की में चोट भी लगी और अब विपक्ष के लोग देश में जगह रैलियां निकाल रहे हैं धरना दे रहे हैं प्रदर्शन कर रहे हैं इससे आखिर आम जनता को क्या मिलने वाला है उसका क्या भला होने वाला है इसका जवाब कांग्रेस एवं उसके विपक्षी साथियों को आम जनता को देना चाहिए। 

रही अमित शाह की संसद में की गई टिप्पणी वाली बात,तो हो सकता है की अमित शाह ने विपक्ष के द्वारा संसद की कार्यवाही बार-बार प्रभावित किए जाने के कारण ये बात गृहमंत्री ने यह बात बोली हो। जो कि इस प्रकार के शोर शराबे और कार्य में बाधा डालने के बाद की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है! लेकिन कांग्रेस एवं उसके विपक्ष के सहयोगी दलों ने इस बात को बेवजह का मुद्दा बनाकर सदन को ठप कर दिया इन्होंने ना सिर्फ सदन को ठप किया बल्कि देश में जगह-जगह धरने प्रदर्शन देकर लोगों को भ्रमित करने का काम भी कर रहे हैं। इन्होंने पूरे शीत सत्र का समय बर्बाद करके रख दिया, इस सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल एवं योजनाएं पारित होनी थी जो इन्होंने नहीं होने दी। ना सिर्फ इन्होंने समय बर्बाद किया बल्कि देश की जनता का करोड़ों रुपया भी बर्बाद कर दिया।

बात अगर कांग्रेस की की जाए तो कांग्रेस ने कितनी बार अंबेडकर जी का अपमान किया यह पूरा देश जानता है। इन्होंने न सिर्फ अंबेडकर जी का अपमान किया बल्कि अंबेडकर जी को मानने वालों का भी कई मर्तबा अपमान किया और उन्हें दोयम दर्जे का बनाकर रखा। यही कारण है कि आज भी कई जगह है जो दलित और पिछड़ी जातियां हैं उनके साथ तमाम तरह का भेदभाव एवं अत्याचार की घटनाएं होती रहती है। अगर कांग्रेस इतनी ही अंबेडकरवादी है तो फिर पिछले लगभग 50-55 वर्ष में उसने देश से अस्पृश्यता एवं छुआछूत को दूर क्यों नहीं किया! क्यों नहीं उसने कड़े और कठोर नियम बनाए कि अगर कोई इस प्रकार की घटनाएं करेगा तो उन्हें कठोर से कठोरता सजा मिलेगी! क्यों नहीं उसने कठोर कानून बनाए! इसका भी जवाब कांग्रेस को देना चाहिए।!!

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