यह PSLV की 61वीं और PSLV-XL कॉन्फिगरेशन की 26वीं उड़ान रही...
इसरो के बाहुबली PSLV-C59 रॉकेट ने, प्रोबा-3 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाया !
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के PSLV C-59 रॉकेट ने गुरुवार को ऐतिहासिक उड़ान भरी. अपनी पीठ पर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के ‘प्रोबा-3’ मिशन को लादकर यह शाम 4.04 बजे अंतरिक्ष की ओर चल पड़ा. ESA का यह स्पेसक्राफ्ट जैसे ही पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा, ISRO का बेंगलुरु ऑफिस खुशी से झूम उठा.
श्रीहरिकोटा स्थित मिशन कमांड सेंटर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने लॉन्च में शामिल सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी. इसरो ने PSLV-C59/PROBA-3 मिशन के सफल लॉन्च की घोषणा की. X पर अपने पोस्ट में ISRO ने बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सैटेलाइट्स को उनकी तय कक्षा में पहुंचा दिया गया है.
4.04 PM PSLV-C59 का लिफ्टऑफ सफल
ISRO के वैज्ञानिकों ने श्रीहरिकोटा से PSLV-C59 रॉकेट को लॉन्च कर दिया है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को लेकर इसने शाम 4.04 बजे उड़ान भरी.
3.40 PM: प्रोबा-3 सैटेलाइट्स को कहां प्लेस करेगा PSLV-C59 !
ESA के प्रोबा-3 मिशन की लॉन्चिंग में अब आधे घंटे से भी कम का समय बचा है. इसरो के मुताबिक, दोनों सैटेलाइट्स को अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में प्लेस किया जाएगा.
प्रोबा-3 मिशन के लिए PSLV-C59 का फ्लाइट सीक्वेंस
पहले इसरो ने 'प्रोबा-3' स्पेसक्राफ्ट को बुधवार शाम 4.08 बजे श्रीहरिकोटा के ‘स्पेसपोर्ट’ से लॉन्च करने की योजना बनाई थी. हालांकि, लॉन्च से कुछ देर पहले ही ESA के अनुरोध के बाद इसरो ने लॉन्च को रीशेड्यूल कर दिया. फिर लॉन्च के लिए पांच दिसंबर शाम चार बजकर चार मिनट का समय तय किया गया. सैटेलाइट प्रपल्शन सिस्टम में विसंगति पाए जाने के बाद इसे रीशेड्यूल किया गया.
इसरो ने गुरुवार को दिए अपडेट में कहा, 'पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 मिशन. उल्टी गिनती शुरू हो गई है. प्रक्षेपण का समय पांच दिसंबर, 2024 को शाम चार बजकर चार मिनट निर्धारित है. पीएसएलवी-सी59 के ईएसए के ‘प्रोबा-3’ उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की तैयारी के लिए बने रहें.' इसरो की वाणिज्यिक शाखा 'न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड' को ईएसए से यह ऑर्डर मिला है.
सूर्य के बाहरी वायुमंडल कोरोना का अध्ययन करेगा !
प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड एनाटॉमी) में दो उपग्रह - कोरोनाग्राफ (310 किलोग्राम) और ऑकुल्टर (240 किलोग्राम) हैं. इसमें दो अंतरिक्ष यान एक साथ उड़ान भरेंगे तथा सूर्य के बाहरी वायुमंडल कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक मिलीमीटर तक सटीक संरचना बनाएंगे. ईएसए ने कहा कि कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय मौसम की उत्पत्ति होती है. यह व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है.
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