कवि सम्मेलन के माध्यम से दी गई श्रद्घांजलि,पुष्पांजलि...
शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह को उनके 15वां शहादत दिवस पर विशेष तरीके से किया नमन !
ग्वालियर | ग्वालियर-चंबल की माटी वीर सपूतों की माटी है| शहीद कैप्टन उपमन्यु की शहादत इसका उत्कृष्ट उदाहरण है, देश ऋणी है इनका और उन माताओं को नमन है जो ऐसे वीर सपूत को जन्म देती हैं| यह बात आज शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री नारायण सिंह, कैबिनेट मंत्री म.प्र. शासन ने कही| वहीं कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि महापौर डॉ. श्रीमती शोभा सिकरवार ने कहा कि शहीद कैप्टन उपमन्यु की शहादत को जो हर वर्ष स्मरण करवाते हैं, इसके लिए आयोजकों को नमन, वीर सपूत की महान माता को नमन और वीर सपूत के प्रति यह शहर अपने श्रद्घा सुमन अर्पित करते हुए उस वीर सपूत पर गर्व करता है|
7 दिसम्बर,2010 को सोपोर कश्मीर में 22 रायफल रेजीमेंट के कैप्टन उपमन्यु सिंह की हुई थी शहादत
7 दिसम्बर,2010 को सोपोर कश्मीर में 22 रायफल रेजीमेंट के कैप्टन उपमन्यु सिंह को एक मकान में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली कैप्टन उपमन्यु ने अपनी टुकड़ी के साथ उस मकान को घेर कर आतंकवादियों को समर्पण करने के लिए ललकारा तब आतंकवादियों की ओर से गोली चली कैप्टन उपमन्यु और उनकी टुकड़ी ने गोली का जवाब गोली से दिया| परिणामत: आतंकवादियों की ओर से गोली चलना बंद हो गई तब लगा कि आतंकवादी सेना की गोली का शिकार हो गये हैं| लेकिन कैप्टन उपमन्यु अपनी टुकड़ी की रक्षा में भी कोई चूक नहीं रखना चाहते थे| इसलिए पहले टुकड़ी को सुरक्षित अपने पीछे किया और आतंकवादियों की ओर देखते हुए हुए मकान के अंदर घुस रहे थे कि कहीं छुपे हुए आतंकवादी ने गोली चलाई जो उनके सीने में लगी| शहीद कैप्टन उपमन्यु ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश पर अपनी जान न्यौछावर करने से पहले जवाब में गोली चलाई, जिससे बचा हुआ आतंकवादी भी ढेर हो गया| इस तरह कैप्टन उपमन्यु सिंह की शहादत हुई|
सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने यह शहादत की जानकारी देते हुए मांग कि -
- 1. शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह पार्क में उनकी शहादत की कहानी को शिलालेख पर उकेर कर स्थाई रूप से लगाया जाये ताकि सैलानी उनकी शहादत को जानकर प्रेरणा ले सकें|
- 2. शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह पार्क दिन में ताला लगाकर नहीं रखा जावे, वह आम नागरिकों के लिए खोला जावे|
- 3. शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह पार्क को जानवर से खतरा नहीं बल्कि खतरा नशा करने के लिए पार्क में आने वाले जानवर रूपी व्यवहार करने वाले मानवों से है| वह ऐसा नहीं कर पायें इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा की जावे|
शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह स्मृति सेवा संस्थान की अध्यक्षा और शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह की माँ श्रीमती सुमन सिंह ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने कैप्टन उपमन्यु सिंह जैसे वीर सपूत को अपनी कोख से जन्म दिया है| हालांकि उसकी शहादत के बाद उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन वह मुश्किलें जब अपने सपूत की शहादत को देखती हैं तब उनका अहसास भूल जाती हैं|
कवियों ने इन पंक्तियों के साथ वीर सपूत को अपनी शब्दांजलि प्रस्तुत की-
धन्य-धन्य चंबल की माता तूने शिशुओं को
दूध में ही पाठ देशप्रेम का पढ़ाया है
देखी नहीं निज पीर देश को दिए हैं वीर
भारत के मान सम्मान को बढ़ाया है
-कवि रवींद्र रवि
न कोई शोहरत न कोई आसन न कोई यशगान मिले
न नीलगगन का चंद्र बनूँ न दिनकर सा सम्मान मिले
हे मात भारती करबद्ध निवेदन है तुमसे बस इतना सा
हर जन्म में ये वद हो हर जन्म में हिंदुस्तान मिले
-कवि विपिन साहिल
सेना में जाए कोई जब फूला नहीं समाता है
आँखें सबकी नम होतीं जब पहन तिरंगा आता है
साथ नहीं होता था जो किसी तीज-त्यौहारों में
घर के बाहर दौड़ने वाला छपा आज अख़बारों में
-कवि आकाश शर्मा
शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बृजेश भारती, उदयन सिंह, जयवीर भारद्वाज, हरिदास अग्रवाल, ओमप्रकाश जजौरिया, दीपक शुक्ला, आशीष अग्रवाल, संजय अग्रवाल, कृष्ण बिहारी गोयल, मनोज बंसल, नीरज जैन, राहुल शर्मा, जय कुमार गुप्ता, अंकुर अग्रवाल, सन्तोष जैन, मोहित अग्रवाल, अमित परवाल, नंदकिशोर गोयल, दिनेश अग्रवाल, सुशांत सिंहल, आशुतोष मिश्रा, दीपक वाजपेयी, रामकुमार गोयल, संजय धवन, गौरव श्रीवास्तव, रोशन गाबरा, अरुण गुप्ता, श्याम अग्रवाल, जयदीप सिंह, संदीप कुमार, ताराचंद गर्ग, नकुल अग्रवाल आदि उपस्थित रहे|
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