G News 24 : दिव्यांग से दुष्कर्म मामले में,स्नेहालय संचालक डॉ दंपति को 10-10 साल की सजा, चौकीदार को उम्र कैद !

सिकरौदा तिराहा स्थित स्नेहालय में 6 साल पहले सुर्ख़ियों में आया था ये सनसनीखेज मामला ...

दिव्यांग से दुष्कर्म मामले में,स्नेहालय संचालक डॉ दंपति को 10-10 साल की सजा, चौकीदार को उम्र कैद !

ग्वालियर। शहर के सिकरौदा तिराहा स्थित स्नेहालय में 6 साल पहले हुए सनसनीखेज मूकबधिर युवती के साथ दुष्कर्म और गर्भपात के बाद उसके भ्रूण को गटर में बहाने का मामला सुर्खियों में आया था। प्रकरण सुनवाई बरा न्यायालय में विचाराधीन थी। जिसका निर्णय आज छह साल बाद हुआ। इस मामले में चौकीदार साहब सिंह को उम्र कैद की सजा से दंडित किया गया है। वहीं संस्था के संचालक डॉ बीके शर्मा और उनकी कथित पत्नी डॉक्टर भावना शर्मा सहित प्रभा यादव सुपरवाइजर रवि वाल्मीकि सफाई कर्मी आदि को 10-10 साल की सजा से दंडित किया गया है। सभी आरोपियों पर सात सात हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया है। 

शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि घटना 6 साल पहले सितंबर 2018 की है,जब स्नेहालय संस्था में रहने वाली मूकबधिर युवती के साथ वहां के चौकीदार ने दुष्कर्म किया था।यही रहने वाली एक अन्य लड़की ने इसे उजागर किया था।इस घटना को प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाने के बजाय डॉक्टर बीके शर्मा उनकी पत्नी भावना शर्मा और संस्था के अन्य पदाधिकारियों ने इस घटना को छुपाए रखा और युवती के भ्रूण को भी जलाकर उसे गटर में बहा दिया। यह स्नेहालय  झांसी रोड के सिकरौदा तिराहे पर स्थित था। यहां रहने वाली एक बालिका ने 19 सितंबर 2018 को बताया था कि चार-पांच महीने पहले संस्था परिसर में मूक बधिर युवती के साथ चौकीदार साहब सिंह दुष्कर्म किया था ।इसके संबंध में संस्था के प्रमुख डॉ बी के शर्मा द्वारा चौकीदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई न ही उसे हटाया गया। संस्था के वार्डन से भी घटना की पुष्टि की गई थी। 

यहां कार्यरत रवि वाल्मीकि सुपरवाइजर ने संस्था के प्रमुख डॉ बीके शर्मा के आदेश पर युवती का गर्भपात करने के बाद उसके भ्रूण को जला दिया था। इस मामले में बिलौआ थाने में सभी आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। चौकीदार के खिलाफ बलात्कार और अन्य लोगों के खिलाफ सबूत मिटाने के आरोप लगाए गए थे। चूंकि युवती मूक बधिर थी। इसलिए भाषा अनुवादक के माध्यम से उसके कथन कराए गए। खास बात यह है कि  संस्था के संचालक बीके शर्मा को ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तक से आर्थिक मदद मिलती थी। बाद में यहां रहने वाली सभी लड़कियों को दूसरे आश्रम में शिफ्ट कर दिया गया था।

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