शुक्रवार की जुमे की नमाज के मद्देनजर यहां सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा रखा गया ...
संभल में मस्जिद या हरिहर मंदिर,विवाद पर चढ़ा राजनीतिक रंग !
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद को लेकर उत्पन्न विवाद गरमा रहा है. शुक्रवार को जुमे की नमाज से पहले संभल में कई मुस्लिम धर्मगुरु और उलेमाओं ने मुस्लिमों से अपील की, कि शांति बनाए रखें. मुस्लिम धर्मगुरुओं और उलेमाओं ने लोगों से अपील की है कि शांति के साथ जुमे की नमाज अपने पास की मस्जिदों में अदा करके वापस घरों के लिए लौट जाएं. अफवाहों पर ध्यान न दें. इसका असर देखने को भी मिला. शांतिपूर्ण ढंग से जुमे की नमाज लोगों ने अदा की. संभल जामा मस्जिद विवाद मामला कोर्ट में है... अदालत के आदेश पर मस्जिद का सर्वेक्षण करवाया गया, जिसके बाद मामला और गरमा गया. मामले पर हिंदू और मुस्लिमों की अपनी-अपनी दलीलें हैं. आइए आपको बताते हैं कि संभल जामा मस्जिद विवाद आखिर है क्या...?
संभल जामा मस्जिद विवाद का मूल कारण यह दावा है कि इस मस्जिद के स्थान पर पहले एक हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक प्राचीन हरिहर मंदिर था. उनके पास पुराने नक्शे और अन्य साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर वे यह दावा कर रहे हैं. उधर, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद मुगल काल में बनाई गई थी, यह एक ऐतिहासिक धरोहर है. इस विवाद के कारण न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और मस्जिद का सर्वेक्षण करवाया. सर्वेक्षण के बाद न्यायालय ने अपने फैसले का इंतजार कर रहा है, लेकिन क्षेत्र का माहौल काफी तनावपूर्ण है. अब इस विवाद में धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ राजनीतिक रंग भी देखने को मिल रहा है. विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की है. इस विवाद के कारण समाज में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. दोनों समुदायों के बीच तनाव को कम करने के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
बीते 19 नवंबर को संभल की शाही जामा मस्जिद पर हुए मामले और सर्वे को देखते हुए शुक्रवार को अदा की जाने वाली जुमे की नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर है. वहीं, संभल पुलिस प्रशासन ने किसी भी तरह की आशंका और किसी भी तरह के हालात का सामना करने के लिए पूरी तैयारी की है. लेकिन जुमे की नमाज से पहले संभल के मुस्लिम धर्मगुरु शहर इमाम हज़रत मौलाना आफताब हुसैन वारसी ने सभी मुसलमानों से अपने पास की मस्जिदों में नमाज़ अदा करने की अपील की. साथ ही रास्तों में भीड़ न लगाने व अफवाहों पर ध्यान न देने, कानून का पालन करने व अमन व शांति बनाए रखने की अपील की है. वहीं, शाही जामा मस्जिद के सदर ने भी लोगों से अपने पास की मस्जिदों में नमाज़ अदा करने की अपील की. जुमे की नमाज से पहले संभल के मदरसों के मौलाना ने भी जुमे की नमाज शांति से अदा करने की अपील की.
संभल जिले की एक अदालत के आदेश पर मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया. दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को खंडित करके किया गया है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिये ‘एडवोकेट कमीशन' गठित करने के निर्देश दिये. अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए. उन्होंने कहा था, ‘संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि का अवतार यहां से होना है। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी. यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है. उसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता. वहां पर बहुत सारे निशान और संकेत हैं, जो हिन्दू मंदिर के हैं. इन सारी बातों को ध्यान रखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किया है." उन्होंने कहा था कि इस मामले में एएसआई, उत्तर प्रदेश सरकार, जामा मस्जिद कमेटी और संभल के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संभल की जामा मस्जिद को लेकर शुरू हुए विवाद पर शुक्रवार को सरकार और सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की अपील की. बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ‘उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वेक्षण की खबरें राष्ट्रीय चर्चा तथा मीडिया की सुर्खियों में हैं. किन्तु इस प्रकार से सद्भाव और माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा माननीय उच्चतम न्यायालय को भी जरूर लेना चाहिए.
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