G.NEWS 24 : ब्रह्माकुमारीज़ ने किया सीसुबल के सेवानिवृत्त भाइ-बहनों का सम्मान

मधुर भजनों ने हजारों की तादाद में आये भाई-बहनों को किया मंत्र मुग्ध...

ब्रह्माकुमारीज़ ने किया सीसुबल के सेवानिवृत्त भाइ-बहनों का सम्मान

ग्वालियर। ब्रह्म कुमारी बहनों ने ब्रह्मा कुमारी आश्रम को चलाते हुए 63 साल ग्वालियर में और सीमा सुरक्षा बल अकादमी के पास टेकनपुर में संस्था को चलाते हुए हो गये। जिसमें लाखों भाई बहिनों बच्चों ने लाभ प्राप्त किया। इस महापर्व में ब्रह्मा कुमारी बहिनों ने सीसुबल के सेवानिवृत्त सभी भाइयों बहनों को सादर आमंत्रित कर सम्मानित किया। यह एक बहुत बड़ी बात है। इस समारोह में जयेंद्र सिंह राणा राष्ट्रीय अध्यक्ष कानंफेडरेशन ओफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेज मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन व जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव व बीएसएफ के बयोबृधद खत्री को भी सम्मानित किया। 

इस आयोजन का सहयोग सहभागी भी बीएसएफ के भाई-बहनों ने प्रबंधन किया। व्यवस्था को देख भाल सहयोग एक्स रमन चौहान व एक्स रुस्तम सिंह सिकरवार व सहयोगी जनों ने किया। सबसे बड़ी बात टेकन पुर टीस पी पर आश्रम चलाने वाली ब्रह्म कुमारी बहिन नीलम और ब्रह्म कुमारी बहिन सरिता जिन्होंने यह आयोजन किया। आभार व्यक्त करता हूं। इस अवसर के मुख्य यजमान ब्रह्म कुमारी बहिन अवधेश बहिन जिनको पूरा जीवन बाबा को समर्पित करते हो गया लगभग 65 साल म प्र की व्यवस्था को संचालित करतीं हैं। 

दूसरा बोम्बे से ब्रह्म कुमार भाई पुनीत मेहता विश्व प्रसिद्ध गायक ने अपने प्यारे भजनों से आये हुए हजारों की तादाद में भाई बहनों को मंत्र मुग्ध कर दिया। इसी घड़ी में ब्रह्म कुमार भाई आशीष कुमार ने भारी भरकम गाडी दांतों से खींच कर एक बहुत बड़ा कर्तव्य दिखाया। इस अवसर पर स्थानीय विधायक सुरेश राजे भी मौजूद रहे। सबसे पुनीत बात गुंजन बहिन ने आज शिव बाबा के साथ शादी की और  समर्पित हुईं। 

यह बहुत बड़ी बात है अविनाशी बाबा को अपना बरण किया। मानव जीवन को पावन और अनंत जन्मों को सुधारने और बाबा की बरसा सम्पत्ति के मालिक बनने के लिए यह मानव जीवन को व्यर्थ न गमाएं और अध्यात्म का रास्ता चुनें। खाना पीना सोना भोग यह सब पशुओं का भी काम है। सुंदर मानव जीवन को अति पावन बनाने के लिए  मोह निसा को त्याग कर तत क्षण में मालिक के शरण आजाओ घर ग्रहस्ती का काम भी करो साथ में प्रभू को भजो । यह मानव जीवन दुवारा नहीं मिलेगा।84 लाख योनियों को भोगने के बाद यह मानव जीवन मिला है। मानव जीवन के लिए देवता भी तरसते हैं।

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