2018 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही प्राधिकरण में नियुक्तियां हुई थी...
ग्वालियर मेले का संचालन इस बार भी प्रशासन ही चलाएगा, मेला कमेटी नही बना पाई सरकार !
ग्वालियर। पिछले पांच सालों से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल के बिना चल रहा ग्वालियर व्यापार मेला इस बार भी प्रशासनिक अधिकारियों के भरोसे ही संचालित होने की उम्मीद लग रही है। क्योंकि अभी तक शासन की तरफ से नियुक्तियों के संबंध में कोई सुगबुगाहट नही हुई है। गौरतलब है कि 2018 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही प्राधिकरण में नियुक्तियां हुई थी उसके बाद कांग्रेस की सरकार गिरने और भाजपा की सरकार बनने के बाद अब तक कोई राजनैतिक नियुक्ति ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण में नही हुई है।
भाजपा-कांग्रेस से जुडे लोगों को मानना है कि मेले में राजनीतिक नियुक्तियां होने से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल पूरा समय मेले के देते थे जिससे मेले में व्यापारी और सैलानियों को होने वाली किसी भी समस्या का तत्काल निदान हो जाता था वहीं मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित अन्य आयोजनों की भी रूपरेखा आम सैलानियों की रूचि के अनुसार बनाई जाती थी लेकिन देखा जा रहा है पिछले कुछ सालों में मेला केवल एक व्यापारिक आयोजन मात्र बनकर रह या है। हांलाकि इस मामले में मेला व्यापारी संगठन के पदाधिकारियों की अलग-अलग राय है।
इनका कहना हैः
मेला कमेटी बनने से व्यापारियों को सहूलियत होती है। कोई भी समस्या होने पर अपनी बात तत्काल उन तक पहुंचाई जा सकती है। और निराकरण को लेकर फॉलोअप भी मिल जाता है। मंत्री या संभागायुक्त के अध्यक्ष होने पर व्यापारियों को बात रखने में समस्या आती है। मंत्री के पास भोपाल बार बार नही जा सकते और संभागायुक्त से भी मुलाकात बार बार नही हो पाती - महेंद्र भदकारिया, अध्यक्ष, ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ
कमेटी के बजाए प्रशासन मेले को बेहतर तरीके से चलाता है। राजनीतिक नियुक्तियां होने पर वो बड़े व्यापारियों को संतुष्ट कर देते है और छोटे व्यापारी परेशान होते है संभागायुक्त को ही अगर स्थाई मेला अध्यक्ष बना दिया जाए, तो मेला संचालन बेहतर होगा। सारी व्यवस्थाएं समय पर पूरी होंगी -अनिल पुनियानी, प्रवक्ता एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ
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